जानिए कौन हैं जस्टिस यूयू ललित, जो बनने जा रहे हैं देश के 49वें चीफ जस्टिस
सीजेआई एनवी रमण ने गुरुवार को देश के 49वें सीजेआई के लिए जस्टिस यूयू ललित के नाम की सिफारिश कर दी है. महाराष्ट्र से आने वाले जस्टिस ललित 8 नवंबर, 2022 तक पद पर रहेंगे. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि जस्टिस यूयू ललित कौन हैं और इससे पहले वह किन फैसलों का हिस्सा रहे हैं.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जस्टिस एनवी रमण आगामी 26 अगस्त को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में उनकी जगह सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर जज जस्टिस यूयू ललित आगामी 27 अगस्त को देश के अगले सीजेआई बनेंगे.
सीजेआई रमण ने गुरुवार को देश के 49वें सीजेआई के लिए जस्टिस यूयू ललित के नाम की सिफारिश कर दी है. महाराष्ट्र से आने वाले जस्टिस ललित 8 नवंबर, 2022 तक पद पर रहेंगे. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि जस्टिस यूयू ललित कौन हैं और इससे पहले वह किन फैसलों का हिस्सा रहे हैं.
कौन हैं जस्टिस यूयू ललित?
जस्टिस यूयू ललित का जन्म 9 नवंबर, 1957 को यूआर ललित के घर हुआ था, जो सीनियर वकील थे और दिल्ली हाईकोर्ट में जज के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से पढ़ाई की और क्रिमिनल लॉ में विशेषज्ञता हासिल की.
उन्होंने जून, 1983 में एक वकील के रूप में नामांकन किया और जनवरी, 1986 में दिल्ली ट्रांसफर होने से पहले दिसंबर 1985 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस किया. 1986 और 1992 के बीच, उन्होंने पूर्व अटॉर्नी-जनरल सोली जे. सोराबजी के साथ काम किया. सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2004 में जस्टिस ललित को सीनियर वकील के रूप में नामित किया था.
वह कई मामलों में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) के रूप में उपस्थित हुए और दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की लीगल सर्विसेज कमिटी के सदस्य के रूप में कार्य किया. 13 अगस्त 2014 को, उन्हें सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के जज के रूप में नियुक्त किया गया था. जस्टिस ललित मई 2021 में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष बने.
वकील के रूप में महत्वपूर्ण केसेस
एक वकील के तौर पर, जस्टिस ललित कई प्रमुख आपराधिक मामलों में पेश हुए, जिनमें पुणे के व्यवसायी हसन अली खान, काले हिरण शिकार मामले में अभिनेता सलमान खान और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के भ्रष्टाचार के आरोप शामिल थे.
उन्होंने गुजरात में सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ों सहित दो हाई-प्रोफाइल मामलों में मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का प्रतिनिधित्व किया था. उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2जी घोटाले में सीबीआई का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया था.
बार से सुप्रीम कोर्ट के जज बनने वाले दूसरे सीजेआई
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद पर नियुक्त होने के बाद जस्टिस यूयू ललित ऐसे दूसरे सीजेआई होंगे, जिन्हें बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट की बेंच में पदोन्नत किया गया है.
उनसे पहले जस्टिस एस. एम. सीकरी मार्च, 1964 में सुप्रीम कोर्ट की बेंच में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे. वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे.
लैंडमार्क जजमेंट
जस्टिस यूयू ललित मुसलमानों में ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं.
1. अगस्त, 2017 में पांच जजों की संविधान पीठ ने मुस्लिमों में तुरंत ‘तीन तलाक’ की प्रथा को 3-2 के बहुमत से अवैध और गैरकानूनी ठहराया था. जस्टिस यूयू ललित बहुमत वाले तीन जजों में से एक थे.
2. जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के ‘स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’ संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यौन मंशा है, बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं.
3. एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में जस्टिस ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास केरल में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार है.
कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई से खुद को किया अलग
साल 2014 में, जस्टिस ललित ने याकूब मेनन की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. अपनी याचिका में मेनन ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की समीक्षा करने की मांग की थी जिसमें 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में उनकी मौत की सजा को बरकरार रखा गया था.
जस्टिस ललित ने 2008 के मालेगांव बम धमाकों की निष्पक्ष सुनवाई की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से भी खुद को अलग कर लिया. दरअसल, वकील के रूप में जस्टिस ललित ने मामले में एक आरोपी का बचाव किया था.
2016 में, उन्होंने जेल में बंद आसाराम के मुकदमे में प्रॉसिक्यूशन के एक प्रमुख गवाह के लापता होने की जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया.
जस्टिस ललित ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.
2019 में, उन्होंने अयोध्या टाइटल विवाद मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त संविधान पीठ से खुद को अलग कर लिया था.