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महिलाओं का अपमान किए बिना भी हो सकती है कॉमेडी

सिटकॉम ‘बिंग बैंग थ्‍योरी’ में माधुरी दीक्षित के लिए अपमानजनक भाषा पर नेटफ्लिक्‍स को कानूनी नोटिस.

महिलाओं का अपमान किए बिना भी हो सकती है कॉमेडी

Wednesday March 29, 2023 , 4 min Read

माना कि ‘बिंग बैंग थ्‍योरी’ एक सिटकॉम है, जो अपने पात्रों से लेकर आसपास की दुनिया की हरेक चीज का हर वक्‍त मजाक उड़ाता रहता है. लेकिन मजाक उड़ाते-उड़ाते वह इस हद तक पहुंच जाता है कि भारत की मानी-मानी अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को Leprous Prostitute (कोढ़ी वेश्‍या) तक कह देता है.

माधुरी दीक्षित कोई फिक्‍शनल कैरेक्‍टर नहीं है. न वो इस सिटकॉम का कोई चरित्र है. वह एक रिअल लाइफ पर्सनैलिटी हैं.  

पॉलिटिकल एनालिस्‍ट मिथुन विजय कुमार ने नेटफ्लिक्‍स को एक लीगल नोटिस भेजा है और इस वीडियो स्‍ट्रीमिंग कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है. यह मुकदमा भारत की जानी-मानी अभिनेत्री के लिए बेहद अपमानजनक और शर्मनाक शब्‍दों के इस्‍तेमाल के लिए किया गया है.  

‘बिंग बैंग थ्‍योरी’ के दूसरे सीजन के पहले एपिसोड में एक जगह इस सिटकॉम के दो पात्रों राज कूथरापल्‍ली और शेल्‍डन कूपर के बीच बात हो रही है. राज का कैरेक्‍टर प्‍ले कर रहे हैं कुणाल नय्यर और शेल्‍डन का जिम पर्सन. दोनों टेलीविजन के सामने सोफे पर बैठे हुए हैं. तभी स्‍क्रीन पर एक हिंदी फिल्‍म का गाना आता है. शेल्‍डन कहता है-

यह ऐश्‍वर्या राय है न. इस पर राज कहता है, हां, कितनी खूबसूरत है. शेल्‍डन जवाब देता है, मुझे तो ये गरीबों की माधुरी दीक्षित लग रही है. इस पर राज गुस्‍सा हो जाता है और कहता है कि ऐश्‍वर्या राय तो गॉडेस है. उसकी तुलना में माधुरी दीक्षित Leprous Prostitute (कोढ़ी वेश्‍या) है. संवाद का अंत इस वाक्‍य से होता है, जब शेल्‍डन राज से कहता है कि “इससे पता चलता है कि तुम्‍हें हिंदी सिनेमा का कितना ज्ञान है.”

मिथुन विजय कुमार के भेजे लीगल नोटिस में इस सिटकॉम के दूसरे सीजन के पहले एपिसोड के उस हिस्‍से को हटाने की मांग की है, जिसमें माधुरी दीक्षित के बारे में अपमानजनक भाषा का इस्‍तेमाल किया गया है.

‘बिंग बैंग थ्‍योरी’ के जिस सीजन को लेकर इस वक्‍त विवाद हो रहा है, वह 2009 में रिलीज हुआ था. लेकिन उस वक्‍त ओटीटी प्‍लेटफॉर्म नहीं हुआ करते थे और न ही ऐसे सीरियल्‍स की इंटरनेशनल ऑडियंस होती थी. 2007 से शुरू हुई यह सीरीज 2019 तक चली और इसके कुल 12 सीजन आए. मूल रूप से अमेरिकन टेलीविजन नेटवर्क CBS पर रिलीज हुई इस सीरीज के ऑडियंस भी उनके देश तक ही सीमित थे. हालांकि उस वक्‍त खुद माधुरी दीक्षित भी अमेरिका में ही रह रही थीं. वह वर्ष 2011 में हिंदुस्‍तान लौटीं.

 

इस सीरीज को लिखने वाले लोगों को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि आने वाले सालों में इस तरह की सीरीज देखने वालों की दुनिया इतनी तेजी के साथ बदल जाएगी. ओटीटी के माध्‍यम से बड़ी संख्‍या में हिंदी भाषी लोग आज इंटनेशनल फिल्‍में और सीरीज देख रहे हैं. भारतीय सीरीज पूरी दुनिया में देखी जा रही है. अब भौगोलिक सीमा के साथ-साथ एक खास दर्शक वर्ग तक कहानी के सीमित रहने की सीमा भी खत्‍म होती जा रही है और कहानियां एक बड़े दर्शक वर्ग तक फैल रही हैं.

लेकिन इन सारे तथ्‍यों के साथ यह सच नहीं बदल जाता है कि किसी भी महिला के लिए, चाहे वह काल्‍पनिक चरित्र हो या वास्‍तविक शख्सियत, इस तरह की भाषा का प्रयोग दरअसल मिसोजिनी है. औरतों के लिए आपमानजनक भाषा स्‍त्री द्वेष के कारण ही उपजती है. कहानियां लिखने वालों से कम से कम थोड़ी और जिम्‍मेदारी और संवेदनशीलता की उम्‍मीद तो की ही जानी चाहिए.

जया बच्‍चन, उर्मिला मार्तोंडकर और दिया मिर्जा ने इस पर आपित्‍त जताते हुए इसे काफी अपमानजनक बताया है. बॉलीवुड में और सोशल मीडिया पर भी इसके खिलाफ काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. हालांकि मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक नेटफ्लिक्‍स ने उसे हिस्‍से को हटाने का फैसला किया है, फिर भी यह सवाल तो अपनी जगह कायम है कि हमारी कहानियां महिलाओं के प्रति अपनी भाषा के इस्‍तेमाल में कितनी गैरजिम्‍मेदार और स्‍त्री द्वेषी हैं.

कॉमेडी करने और हंसाने के लिए कतई जरूरी नहीं है कि महिलाओं के लिए अभद्र और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया जाए. कॉमेडी औरतों की इंसल्‍ट किए बगैर भी की जा सकती है.


Edited by Manisha Pandey