नीबू के बगीचे ने मध्य प्रदेश के किसान को बनाया लखपति
एक ओर तो देश में हर साल लगभग छत्तीस हजार करोड़ का नीबू टोना-टोटका में बर्बाद हो जाता है, दूसरी तरफ इसकी खेती से राजस्थान के किसान शंकरलाल, अभिषेक आदि हर साल छह लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं। रतलाम (म.प्र.) के तो तीन सौ किसान नीबू की खेती से घर-मकान, जमीन-जायदाद खरीदने लगे हैं।
एक ओर जहां टोना-टोटका में सालाना करीब 36 हजार करोड़ का नीबू बर्बाद हो रहा है, दूसरी ओर नीबू की खेती से इतनी कमाई हो रही है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के किसान लखपति लाल बन गए हैं। जालोर (राजस्थान) के भूतगांव के किसान शंकर लाल माली तो नीबू की खेती से मालामाल होने की नई मिसाल कायम कर रहे हैं। रतलाम (म.प्र.) के आसपास के गांवों में तो लगभग तीन सौ किसान नीबू की खेती कर रहे हैं। उनको इतनी कमाई हो रही है कि उन्होंने अपना बकाया कर्ज तो उतार ही दिया है, साथ ही लाखों रुपए हर महीने कमा रहे हैं।
नीबू की कमाई से ही यहां के कई किसानों ने जमीनें भी खरीद ली हैं। इससे पहले वे मिर्च और टमाटर की खेती करते थे लेकिन उसमें फायदा नहीं हो रहा था। हार-थककर उन्होंने नीबू के बगीचा लगा लिए। लागत कम होने से उनकी अच्छी कमाई होने लगी। इस समय ये सैकड़ों किसान करीब दो हजार बीघे में नीबू की खेती कर रहे हैं। उनके यहां से पैदा हो रहा करीब चार सौ कैरेट नीबू इंदौर के अलावा राजस्थान के जयपुर, उदयपुर तक बिकने जा रहा है।
बहरहाल, जालोर (राजस्थान) के भूतगांव के किसान शंकर लाल माली क्षेत्र के किसानों के लिए प्रगतिशीलता की मिसाल बने हुए हैं। 10वीं कक्षा तक पढ़े शंकरलाल छह-सात साल पहले एक वर्ष में मात्र एक-डेढ़ लाख रुपए ही कमा पाते थे। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर वह गेहूं, राई, जीरा और नीबू की खेती करने लगे। आज शंकरलाल नींबू की आधुनिक तकनीक से खेती कर रहे हैं। उनके 27 बीघे खेत में 1400 पौधे हैं, जिनसे अच्छी पैदावार मिल रही है। रोजाना उनके यहां से नींबू की जोधपुर, पाली, जालौर, सिरोही, गुजरात के पालनपुर तक सप्लाई हो रही है।
भीलवाड़ा (राजस्थान) के गांव संग्रामपुर में अभिषेक जैन पहले मार्बल का कारोबार करते थे। पिता के गुजर जाने के बाद वह घर की खेती बाड़ी संभालने लगे। अपनी पौने दो एकड़ जमीन पर वह कुछ सालों से जैविक तरीके से नीबू की खेती कर रहे हैं। अब उन्हें अपने नीबू के बगीचे से सालाना पांच-छह लाख रुपए की बचत हो रही है। नीबू की खेती ने रोहतक (हरियाणा) के गांव इंद्रगढ़ के किसान जसबीर की तकदीर ही बदल कर रख दी है। जब उन्होंने अपने खेतों में नीबू की पौध रोपी थीं, दो साल बाद वे फल देने लगे। आज उनके एक एकड़ के नीबू के बगीचे से सालाना तीन लाख रुपए से अधिक की कमाई हो रही है।
एक ओर किसान नीबू की खेती से लखपति-करोड़पति बन रहे हैं, दूसरी तरफ उसके टोटके का सालाना कारोबार 36 हजार करोड़ रुपए के पार पहुंच चुका है। इस कारोबार ने करीब 57 लाख बेरोजगारों को रोजगार भी दे रखा है। एक टोटके की कीमत पांच से 10 रुपए रहती है। अगर कारोबार ठीक-ठाक है तो दुकान या दफ्तर मालिक रोजाना नींबू-मिर्च का इस्तेमाल करते हैं। जिनका धंधा छोटा-मोटा है तो वे शनिवार या मंगलवार को यह टोटका मंगवा लेते हैं।
इस टोटके को कई सरकारी-गैर सरकारी संस्थान, बैंक, अस्पताल, दुकान, मॉल, शोरूम, रेहडी-फेरी वाले सब इस्तेमाल कर रहे हैं। अकेल दिल्ली में ही कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के मुताबिक, पौने आठ लाख दुकानों के लिए 5166 व्यक्ति इस धंधे में लगे हुए हैं। देशभर में करीब आठ करोड़ व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर यह टोटका लगता है और रोजाना करीब 80 करोड़ रुपये का कारोबार हो जाता है।
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