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खुद के जीवित होने की लड़ाई लड़ रहीं मनाय और मुगिया

खुद के जीवित होने की लड़ाई लड़ रहीं मनाय और मुगिया

Wednesday January 30, 2019 , 4 min Read

सांकेतिक तस्वीर


छत्तीसगढ़ की दो सगी बहनों को उनके भाई ने ही अठारह साल पहले मृत घोषित कराकर उनकी जमीन-जायदाद हड़प ली थी। इसी तरह वाराणसी की मुगिया के दो बेटों ने मां को ही तहसील दस्तावेजों में मारकर उसके नाम की जमीन अपने नाम करा ली। ये महिलाएं अब कोर्ट में अपने जीवित होने की गुहार लगाते-लगाते थक चुकी हैं। 


हमारे देश की अदालतों में इस वक्त कितने मुकदमे लंबित हैं, इसकी सही जानकारी तो किसी सरकार या प्राधिकारण के पास भी नहीं, लेकिन बताया जाता है कि भारत की अदालतों में जितने मामले लंबित हैं, उनकी संख्या नीदरलैंड और कजाकिस्तान की आबादी के बराबर पहुंच चुकी है। फिलहाल एक जानकारी के मुताबिक, देश भर की जिला अदालतों में करीब पांच हजार न्यायिक अधिकारियों की कमी के कारण 2 करोड़, साठ लाख मामले लंबित हैं। उन्ही मामलों में एक है छत्तीसगढ़ की दो सगी बहनों का, जो अपने ही भाई द्वारा ही मृत घोषित किए जाने के बाद पिछले अठारह वर्षों से अपने जिंदा होने का मुकदमा लड़ रही हैं। यह केस लड़ते-लड़ते बूढ़ी हो चली हैं लेकिन फैसला आज भी नहीं मिल सका है। जाली मृत्यु सर्टिफिकेट जमा कर उनके भाई ने उनकी जमीन-जायदाद पर अधिकार जमा लिया है।


अपने आप को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में फंसी दोनों बहनों में से एक मनाय बाई बताती हैं कि वे दोनों ग्राम पंचायत चिखलपुटी के आश्रित ग्राम चिचपोलंग की निवासी हैं। उनके पिता की मौत के बाद जमीन संबंधी राजस्व रिकार्ड में उन दोनों के साथ उसके सगे भाई का नाम भी संयुक्त रूप से दर्ज कराया गया था। सभी अपने-अपने हिस्से में खेतीबाड़ी करते थे। अचानक एक दिन उनके नाम पर बैंक से कर्ज वसूली का नोटिस मिला, जबकि उनकी ओर से बैंक से कोई कर्ज लिया ही नहीं लिया गया था। 


जब उनके बेटे ने पूरे मामले की जानकारी ली, तो पता चला कि उनके सगे भाई ने ही उनके नाम पर कर्ज लिया था और फिर कर्ज न चुकाना पड़े और जमीन हड़पने की नीयत से यह बताकर कि उनकी दोनों जीवित बहनों की मौत हो चुकी है, राजस्व रिकॉर्ड से अपनी दोनों सगी और जीवित बहनों का नाम कटवाकर पूरी जमीन अपने नाम पर करा ली। जमीन के लालच में आकर अपने ही सगे भाई की चालबाजी की शिकार होने के बाद से वे दोनों शारीरिक रूप से नि:शक्त होने के बावजूद विभिन्न न्यायालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। 


मनाय बाई बताती हैं कि पिता की ओर से दी गई जमीन पर कब्जा करने के लिए उसके सगे भाई ने उन्हें जीते जी मृत घोषित करा दिया है। उन्हें स्वयं को जीवित सिद्ध करने और अपने हिस्से की जमीन को वापस पाने के लिए न्यायालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। लंबी लड़ाई के बाद विभिन्न न्यायालयों से तो न्याय मिल चुका है, अब केवल तहसील न्यायालय का ही मामला अटका हुआ है। मनाय बाई का बेटा राजू बताता है कि उसके मामा ने मेरी मां के नाम पर बैंक से पांच हजार रुपये कर्ज लिया था। यह मामला लड़ते-लड़ते अठारह साल हो चुके हैं। तहसीलदार रितु हेमनानी का कहना है कि यह मामला उनकी जानकारी में नहीं है। वह प्राथमिकता के आधार पर इसका निराकरण शीघ्र करने का प्रयास करेंगी। 


देश में तहसील स्तर की अदालतों में कर्मचारियों की गैरकानूनी संलिप्तता से भी ऐसे मामले अनिर्णित रह जा रहे हैं। जाली काम कराने वाले इन कर्मचारियों की जेब गरम कर फैसला किसी भी कीमत पर न होने देने का आखिरी जोर तक प्रयास करते रहते हैं। भाई द्वारा ही जमीन-जायदाद हथियाने के छत्तीसगढ़ के मामले से ज्यादा चौंकाने वाला एक और मामला वाराणसी (उ.प्र.) के मिर्जा मुराद क्षेत्र का है, जहां के गांव अमिनी निवासी मुगिया देवी के चार बेटों में से मझले और सबसे छोटे, दोनो बेटों शिवप्रसाद और ओमप्रकाश ने सारी जमीन जाली दस्तावेजों के बूते अपने नाम करा ली है। अब मुगिया न्याय के लिए दर-दर भटक रही है। तहसील के दस्तावेज में मुगिया को मृत घोषित कर दिया गया है। अब खुद को जीवित साबित करने के लिए वर्षों से अदालतों की चौखट पर दस्तक दिए जा रही है, न्याय है कि उसके लिए दूइज का चांद हो चुका है। 

 

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