लंदन से पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वदेश लौटी बेटी महिलाओं को बिजली बचाने के लिए कर रही है जागरुक
शालू अग्रवाल सीईईडब्ल्यू के साथ जुड़कर पॉवर सेक्टर में लगतार सुधार लाने का काम कर रही हैं। इस दौरान उनकी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक महिलाओं को इस मुहिम में जोड़ा जाए और उन्हें बिजली आपूर्ति से जुड़ी जानकारियों में शामिल कर जागरूक किया जाए।
उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर के एक छोटे से गांव से निकलकर पहले आईआईटी फिर विदेश से पढ़ाई करने के बाद वापस अपने देश में आकर वहां के लोगों की जिंदगी को आसान और उन्हें जागरूक बनाने वाली इस लड़की की कहानी बेहद ही प्रेरणादायक है।
वह बड़ी-बड़ी कंपनियों में अच्छे पैसों वाली नौकरी छोड़कर घरेलू स्तर की बिजली बचाने और पॉवर सेक्टर में सुधार करने का प्रयास कर रही हैं। इनदिनों काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर संस्थान में सीनियर प्रोग्राम लीड करने वाली शालू अग्रवाल और उनकी टीम यूपी, बिहार और हरियाणा जैसे कई राज्यों में काम कर रही है।
कैसे पूरा किया गाँव से लेकर विदेश तक का सफर
शालू अग्रवाल मूलरूप से मथुरा शहर के किसी गाँव की रहने वाली हैं। बारहवीं तक पढ़ाई-लिखाई सब गाँव से ही पूरी की। शालू की बचपन से ही पढ़ाई में रुचि थी। उनकी इसी रुचि ने उन्हें आईआईटी करने की प्रेरणा दी।
बारहवीं करने के बाद उन्होंने जेईई का एग्जाम क्रैक किया जिसके बाद उन्हें आईआईटी रुड़की में दाखिला मिल गया। वह अपने खानदान में पहली शख्स थीं जिन्हें आईआईटी में एडमिशन मिला। आईआईटी जाकर उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच चुना। इस ब्रांच के लिए करीब 86 स्टूडेंट्स ने आवेदन किया था जिसमें केवल 6 छात्रों का चुनाव किया जाना था, जिसमें शालू का नाम भी शामिल था।
मीडिया से बात करते हुए शालू कहती हैं, “बीटेक कंप्लीट करने के बाद मेरे पास कई जॉब कर ऑफर थे। पैकेज भी अच्छा मिल रहा था। लेकिन, उस वक्त मेरे जहन में कही न कही पिता जी के द्वारा दिखाया गया सपना बसा हुआ था। मैं यूपीएससी करना चाहती थी। मैंने तीन बार यूपीएससी मेंस के एग्जाम दिए, लेकिन कभी एक नंबर, तो कभी दो नंबर से रह गई।”
काम ऐसा करना था जो समाज के काम आए
शालू अपने जीवन में कुछ ऐसा काम करना चाहती थीं, जो समाज के काम आ सके। इसके लिए पहले यूपीएससी की राह पकड़ी थी, लेकिन जब वह नहीं हुआ तो उन्होंने अपने दूसरे प्लान पर काम करना शुरू कर दिया। अब तक समाज को देखने का नजरिया उनको मिल चुका था। उस वक्त उन्होंने पर्यावरण पर काम करने वाली एक संस्था को ज्वॉइन कर लिया। साल 2014 में मैं काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर से जुड़ गईं।
समाजिक तौर पर लाना चाहती हैं बदलाव
शालू अग्रवाल सीईईडब्ल्यू के साथ जुड़कर पॉवर सेक्टर में लगतार सुधार लाने का काम कर रही हैं। इस दौरान उनकी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक महिलाओं को इस मुहिम में जोड़ा जाए और उन्हें बिजली आपूर्ति से जुड़ी जानकारियों में शामिल कर जागरूक किया जाए।
वह कहती हैं, “हमारा फोकस है कि महिलाएं लीडर की भूमिका निभाएं। घर चलाने की बात हो या फिर बिजली बचाने की हर क्षेत्र में वे आगे आएं और खुलकर अपनी बात रखें।”
वर्तमान में उनकी टीम 21 राज्यों के 150 जिलों के लगभग 15 हजार घरों तक पहुंचकर अपने विजन को साझा करने का काम कर चुकी है। इसके साथ ही उनकी टीम ने एनर्जी कंजर्वेशन एंड स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है। इसके अंतगर्त कैसे स्मार्ट तरीके से बिजली बचाई जा सके ताकि जितनी बिजली की मांग हो, उतनी आपूर्ति हो सके और शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों को भी 24 घंटे प्रकाश की व्यवस्था और बिजली की सप्लाई हो सके।
Edited by Ranjana Tripathi