कभी चाय बेचने वाले Prafull Billore ने खरीदी है 1 करोड़ की गाड़ी, मगर सोशल मीडिया पर बधाईयों के साथ आलोचना क्यों?
प्रफुल गुजरात में CAT की तैयारी कर रहे थे लेकिन असफलताओं के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और IIT-अहमदाबाद के बाहर उन्होंने चाय बेचना शुरू किया. परेशानियों के बावजूद उन्होंने MBA chaiwala को ऊंचे मुकाम पर पहुंचा दिया, जिस लिए सोशल मीडिया से लेकर असल जिंदगी में कई युवा उन्हें अपना इंस्पिरेशन मानते हैं.
एमबीए चायवाला(
) के नाम से मशहूर प्रफुल बिल्लोरे(Prafull Billore) एक बार फिर चर्चा में हैं. उन्होंने दो दिन पहले अपने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने 90 लाख रुपये की मर्सिडीज(Mercedes) खरीदी है.इस पोस्ट पर कई तरह के रिएक्शन आ रहे हैं. कई लोग उन्हें इस उपलब्धि के लिए बधाइयां दे रहे हैं तो कई लोगों का मानना है कि उन्होंने 90 लाख की गाड़ी खरीदकर पैसे की बरबादी की है. पूरा सोशल मीडिया इसे लेकर दो धड़े में विभाजित हो गया है.
प्रफुल बिल्लोरे ने सोशल मीडिया पर मर्सिडीज खरीदने का वीडियो पोस्ट किया जिसमें वो शोरूम इस महंगी गाड़ी को लेने जा रहे हैं. प्रफुल के पॉपुलर होने की पीछे उनकी कहानी है.
प्रफुल गुजरात में CAT की तैयारी कर रहे थे लेकिन तीन बार लगातार असफलता मिलने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. उसके बाद IIT-अहमदाबाद के उन्होंने चाय बेचना शुरू किया.
प्रफुल को इस रास्ते पर काफी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा. हालांकिस सभी परेशानियों को पार करते हुए उन्होंने अपने वेंचर MBA चायवाला को ऊंची बुलदिंयों पर पहुंचा दिया. एमबीए चायवाला में MBA का मतलब ‘मिस्टर बिल्लोरे अहमदाबाद चायवाला’ है.
सफलता मिलने के साथ उन्होंने कई शहरों में अपनी फ्रेंचाइजी खोली. उन्हें कई IIM, हार्वर्ड जैसे बड़े बड़े संस्थानों में गेस्ट लेक्चरर की तरह बुलाया भी गया है.
कई युवाओं के लिए उनकी कहानी बेहद प्रेरणादायक रही है. अगर देखा जाए तो पढ़ाई छोड़कर अपना कुछ शुरू करने के चलन को युवाओं के बीच उनके सफर ने काफी बढ़ावा दिया है. उनके सफल होने के बाद कई ऐसे युवा थे जिन्होंने ड्रॉपआउट होने को एक उपलब्धि की तरह देखने लगे थे.
इस वजह से लोगों ने प्रफुल के तकरीबन 1 करोड़ रुपये की गाड़ी खरीदने तक के सफर को काफी सराहा है. लेकिन दूसरी तरह जो लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं.
इन लोगों को कहना है कि अगर उन्होंने इतनी सफलता हासिल कर भी ली तो क्या इस तरह से उसकी शोबाजी करना सही है? शोबाजी छोड़िए क्या उन्हें इतनी रकम महज एक गाड़ी पर खर्च करना सही है?
2018-19 के आयकर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक महज 6 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स फाइल किया था. जिसमें से 60 लाख लोग ऐसे थे जिनकी तनख्वाह 10 लाख रुपये सालाना से अधिक है.
उस समय भारत के आबादी 125-130 करोड़ थी. इस हिसाब से भारत में ऐसे करीबन 1 फीसदी लोग ही थे जो 10 लाख रुपये से ज्यादा सैलरी उठा रहे थे.
ये गाड़ी खरीदने के बाद प्रफुल एक तरह से इन्हीं 1 फीसदी सुपररिच लोगों की कैटेगरी में शुमार हो गए हैं. उन्होंने एक गाड़ी पर जितनी रकम खर्च की है उसे देने में टैक्सपेयर्स की आबादी का गिना चुना तबका आता है.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जिसने इतनी मेहनत से संघर्ष के बाद सफलता हासिल की हो क्या उसका एक झटके में इतने पैसे बहा देना सही लगता है? इससे उन लोगों के बीच क्या संदेश जाएगा जो लोग उनकी कहानी से प्रेरित हो रहे हैं?
उनका ऐसा करना सही है या गलत इसका फैसला करने का कोई पैमान नहीं है. हां, लेकिन एक पब्लिक फिगर होने के नाते सामाजिक जिम्मेदारी के नजरिये से देखा जाए तो शायद उनके इस फैसले पर आलोचनाओं वाला पलड़ा भारी नजर आ सकता है.
Edited by Upasana