मिलिए 18 साल की लड़की से जिसने आपके कपड़ों का ख्याल रखने के लिए शुरू किया स्टार्टअप
ऐसा अक्सर होता होगा जब आप किसी खास मौके के लिए तैयार होने के लिए अपनी कपड़ों की आलमारी खोलते होंगे, लेकिन आपको अपने मन के मुताबिक कपड़ा नहीं मिलता होगा। कई बार ऐसा भी होता है कि मन मुताबिक कपड़े तो मिल जाते हैं लेकिन फिर उसमें फिर कोई कमी निकल आती है। कभी बटन टूटे होते हैं, कभी वो कपड़ा साफ नहीं होता। लोग ऐसे मौके पर झल्ला उठते हैं। लेकिन मुंबई की रहने वाली लहर अली को इस मुश्किल में बिजनेस आइडिया दिख गया। उन्होंने कपड़ों की इस समस्या से निपटने के लिए 'आलमारी' नाम का एक स्टार्टअप शुरू किया है।
'आलमारी' आपके कपड़ों को घर से उठाता है और उन्हें अपने केयरहाउस में सही से साफ करता है। फिर उनपर प्रेस करके उन्हें वक्त के हिसाब से लोगों तक पहुंचाया जाता है। कपड़ों और मांग के मुताबिक आलमारी ड्राई क्लीनिंग की भी सुविधा मुहैया कराता है। लहर ने इस स्टार्टअप को अपनी मां सान्हा अली के साथ मिलकर चार महीने पहले ही स्थापित किया है। यानी एक तरह से मां-बेटी ही इस स्टार्टअप की फाउंडर हैं।
आलमारी का कॉन्सेप्ट बिलकुल नया है, भारत में तो बिलकुल ही नया। कुछ लोग ये कह सकते हैं कि अपने पसंदीदा कपड़ों को कहीं दूसरी जगह रखने का आइडिया बुरा हो सकताहै लेकिन लहर कहती हैं कि मुंबई जैसे शहरों में जहां लोग छोटी से घर में रहते हैं वहां कपड़ों को सुरक्षित किसी केयरहाउस में रखने का आइडिया सही है। वे योरस्टोरी से बात करते हुए कहती हैं, 'हममें से कई लोग जिसमें मैं भी शामिल हूं, अपने कपड़ों को सूटकेस या बॉक्स में रखते हैं। लेकिन जब आप उन्हें बाहर निकालते हैं तो उनकी हालत पहनने लायक नहीं होती है। इसके बाद आप उन्हें सही करने में घंटों लगाते हैं। फिर आपको लगता है कि कहीं कोई ऐसी सर्विस होती जहां पर इन कपड़ों को सही तरीके से रखा जा सकता।'
लहर कहती हैं कि हमारे पास खिलौने और बाकी कोमल चीजों को सहेजने की व्यवस्था है, लेकिन ड्रेस के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है। 'आलमारी' स्टार्टअप इस कमी को पूरा कर रहा है। यह 'ड्रेस तुम्हारे, स्पेस हमारी' के फॉर्म्यूले पर बनाया गया है। अभी तक इसे 100 ग्राहक भी मिल चुके हैं जिसमें पुरुष भी शामिल हैं। पुरुष अपने बिजनेस सूट्स, ब्लेजर और जैकेट्स रखने के लिए देते हैं। स्टार्टअप के पास मुंबई के मलाड में ही 800 स्क्वॉयर फीट का एक केयरहाउस है जहां 2,000 से ज्यादा कपड़े स्टोर किए जा सकते हैं। हालांकि स्टार्टअप इस साल इस केयरहाउस की क्षमता बढ़ाने वाला है।
स्टार्टअप अभी फिलहाल सिर्फ मुंबई में अपनी सर्विस प्रदान कर रहा है, लेकिन उसे दूसरे शहरों से भी कपड़े स्टोर करने के ऑर्डर मिल रहे हैं। लहर कहती हैं, 'हमें पहले लगता था कि दिल्ली में लोगों के बड़े घर हैं इसलिए उन्हें अपने कपड़े स्टोर करने में कोई दिक्कत नहीं होती होगी। लेकिन हमें सबसे ज्यादा कॉल दिल्ली से ही आती हैं। हमारी सोच गलत निकली। इतना ही नहीं हमें चेन्नई, अहमदाबाद और सूरत जैसे शहरों से भी फोन आए। लोग चाहते हैं कि हम उनके शहरों में भी अपने स्टोर लॉन्च करें।'
अभी फिलहाल 'आलमारी' वॉट्सऐप के जरिए ऑर्डर लेता है और पिकअप और ड्रॉप की सुविधा उपलब्ध कराता है। अभी इनके पास कोई ऐप नहीं है। ग्राहकों को 24 घंटे पहले डिलिवरी की सूचना देनी होती है, लेकिन लहर कहती हैं कि उन्होंने 3 घंटे की नोटिस में भी डिलिवरी की है। कपड़ों की ड्राई क्लीनिंग के लिए आलमारी ने मुंबई के लॉन्ड्री स्टार्टअप क्लोजेट केयर से समझौता किया है। लगभग 20 फीसदी ग्राहक लॉन्ड्री सर्विस का भी अनुरोध करते हैं। बाकी कस्टमर सिर्फ स्टोरेज सुविधा का लाभ उठाते हैं।
'आलमारी' के पास अपनी एक डिलिवरी वैन है जिसमें दो लोग हमेशा तैयार रहते हैं। इस साल के आखिर तक आलमारी मुंबई और अन्य शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है। कंपनी इस साल कम से कम 10,000 ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने की योजना बना रही है। अगर हम सर्विस चार्ज की बात करें तो एक आउटफिट के लिए ग्राहकों को साल भर के लिए 1,799 रुपये देने होंगे, वहीं अगर दस कपड़े रखवाने हैं तो सालभर के लिए 9,999 रुपये देने होंगे। लेकिन अगर कोई 20 आउटफिट रखवाना चाहता है तो उसे 45 फीसद की छूट दी जा रही है और उसे काफी कम पैसे देने पड़ते हैं।
इस तरह से देखें तो आलमारी उन ग्राहकों को अभी लुभाने की कोशिश कर रही है जो अधिक मात्रा में कपड़े रखने में दिलचस्पी रखते हैं। लहर बताती हैं, 'अभी पिछले हफ्ते ही हमें एक महिला ने 60 आउटफिट दिए और उसने कहा कि आने वाले समय में वे और कपड़ें हमें देंगी। तो इस तरह से देखा जाए तो लोगों की प्रतिक्रिया काफी सकारात्मक है।'
लेकिन, 'आलमारी' के लिए कुछ चीजें मुश्किल भी रही हैं। मसलन भरोसा बढ़ाना। लहर ने खुलासा किया कि ग्राहकों सबसे पहले ये पूछते हैं कि हमारे कपड़े चोरी तो नहीं हो जाएंगे?" और आप हमारे कपड़े किराए पर तो नहीं दोगे। लहर कहती हैं कि यह उनके लिए एक चुनौती रही है। वे कहती हैं, 'हम लोगों में भरोसा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर किसी ग्राहक के कपड़े में कोई दिक्कत होती है तो हम उसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं और हम क्षतिपूर्ति के रूप में उनको पैसे दे देते हैं।'
लहर के परिवार ने उन्हें पूरी तरह से सपोर्ट किया है। परिवार ने उन्हें 60 लाख रुपये का लोन दिलाने में मदद की। आलमारी का दावा है कि फिलहाल के लिए इतने पैसे उनके लिए पर्याप्त हैं और वे इन्हीं पैसों से दिल्ली और चेन्नई में अपने स्टोर खोलेंगे।
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