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मिलिए दिव्यांगों को कार चलाने की ट्रेनिंग देने वाली अनीता शर्मा से

मिलिए दिव्यांगों को कार चलाने की ट्रेनिंग देने वाली अनीता शर्मा से

Monday April 01, 2019 , 4 min Read

अनीता और उनकी स्टूडेंट

कितनी दुखद बात है कि हमारे समाज में दिव्यांगों के अनुकूल बहुत सी चीजें नहीं हैं, फिर चाहे इन्फ्रास्ट्रक्चर्स की बात हो या फिर किसी तरह की ट्रेनिंग की। इस वजह से उन्हें अपना सामान्य जीवन जीने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। किसी दिव्यांग को अगर कार चलाने की ट्रेनिंग लेनी हो तो सबसे पहले समाज के लोग उसे ऐसा करने से हतोत्साहित करेंगे दूसरी बात उसे कोई ट्रेनिंग सेंटर भी नहीं मिलेगा। लेकिनन इस मुश्किल का समाधान करने वाली महिला का नाम अनीता शर्मा है।


जयपुर से ताल्लुक रखने वाली अनीता पोलियो से पीड़ित हैं और इसलिए उन्हें पता है कि दिव्यांगों के लिए गाड़ी चलाना सीखना बिलकुल भी आसान नहीं होता है। अनीता ने आईआईएम इंदौर से दिव्यांगता और उद्यमिता में पीएचडी की डिग्री हासिल की है। उन्होंने अपनी कार को मोडिफाइ करवाया। इससे एक्सलरेटर्स और ब्रेक को पैर की जगह हाथ से कंट्रोल किया जा सकता है।


जब लोगों ने अनीता को कार चलाते हुए देखा तो वे हैरत में पड़ गए। क्योंकि उन्हें लगता था कि वे कभी गाड़ी चला ही नहीं पाएंगी। इसके बाद उनसे कुछ दोस्तों ने भी कार सिखाने की गुजारिश की जो दिव्यांगता से पीड़ित थे। इसके बाद अनीता ने लोगों को कार चलाने की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। अनीता ने कहा, 'मैंने भारत में विकलांग लोगों के लिए ड्राइविंग स्कूल की तलाश की। मैंने ढेर सारे ट्रेनिंग स्कूलों को फोन किया और पाया कि उनमें से किसी ने दिव्यांगों को ड्राइविंग सिखाने के लिए हां नहीं कहा क्योंकि उनके पास कोई रेट्रोफिटेड कारें नहीं थीं (यानी हैंड कंट्रोल वाली संशोधित कारें), जिस पर दिव्यांगता से पीड़ित लोगों के लिए ड्राइविंग सत्र संभव था।


अनीता बताती हैं कि दिव्यांगों को कार सिखाने के लिए एक अलग से लाइसेंस लेना पड़ता है, जो कि किसी के पास नहीं था। इस कमी को पूरा करने के लिए अनीता ने मई 2017 में अमृतसर में एक ड्राइविंग स्कूल की शुरुआत की। उनके पास दो रेट्रोफिटेड कार हैं। लेकिन अनीता को इसके बाद भी कई मुश्किलें उठानी पड़ीं जैसे कि दिव्यांगों के परिवारवालों को राजी करना। अनीता ऐसे लोगों को कार सिखाने के लिए मामूली सी फीस लेती हैं। इस फीस से जो आय होती है उसका एक हिस्सा वे व्हीलचेयर्स खरीदकर जरूरतमंदों में दान कर देती हैं।


योरस्टोरी से बात करते हुए वे कहती हैं, 'विकलांगता से प्रभावित लोग अक्सर कम आत्मविश्वास महसूस करते हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने मदद करना मुश्किल हो जाता है। शरीर में होने वाले परिवर्तनों को स्वीकार करने के लिए आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। इसके लिए मैं उनकी जीवनशैली में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के बारे में मानसिक रूप से मजबूत होने में उनकी मदद करती हूं।'


कार चलाने की ट्रेनिंग देने के साथ ही अनीता दिव्यांगों से लगातार बातें करती हैं और उन्हें हरसंभव उपलब्ध कराने की कोशिश करती हैं। फिर चाहे कार को मोडिफाई करने की बात हो या फिर उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो हर कदम पर अनीता दिव्यांगों का साथ देती हैं। अभी तक अनीता 16 दिव्यांगों को कार चलाना सिखा चुकी हैं और अब इन सभी के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी हो गया है। वे एक समय पर एक ही व्यक्ति को ही कार चलाना सिखाना पसंद करती हैं ताकि बेहतर तरीके से उसे सिखाया जा सके। अभी वे अपने 17वें स्टूडेंट को कार सिखा रही हैं।


उन्होंने जन जागरूकता पैदा करने की बात करते हुए कहा, 'मैंने अमृतसर में एक स्थानीय एनजीओ के साथ साझेदारी की थी और हम दिव्यांग लोगों के लिए एक जागरूकता अभियान का आयोजन कर रहे हैं। चार-पहिया वाहन चलाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, सार्वजनिक परिवहन, ड्राइविंग लाइसेंस, ईंधन रियायत आदि का उपयोग कर रहे हैं। मैं विकलांग ड्राइवरों की सकारात्मक कहानियों को साझा करती रहती हूं। दूसरों को प्रेरित करने के लिए खुद के फेसबुक पेज पर काफी कुछ शेयर करती हूं।' अनीता आने वाले समय में व्हीलचेयर पर बैठे लोगों के लिए खास कार डिजाइन करना चाहती हैं जिसमें दिव्यांग लोग आसानी से सीधे कार में प्रवेश कर सकें।


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