मिलिए सबसे कम उम्र में ज्वालामुखी पर्वतों पर चढ़ाई करने वाले भारतीय सत्यरूप से
हम भारतीय नित नए कीर्तिमान बनाकर दुनिया में अपना झंडा बुलंद कर रहे हैं। सत्यरूप सिद्धांत ने अंटार्कटिका के माउंट सिडले की ज्वालामुखी चोटी को फतह कर इस बात को साबित कर दिया है। यह चोटी 4,285 मीटप ऊंची है। 35 वर्षीय सिद्धांत पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और सातों महाद्वीपों की इस ज्वालामुखीय चोटी पर पहुंच उन्होंने सबसे कम उम्र में ऐसा करने का कीर्तिमान अपने नाम स्थापित कर लिया है।
सिद्धांत ने पर्वतों पर चढ़ाई करने की शुरुआत 2012 में की थी। उन्होंने अब तक दुनिाया की सबसे ऊंची चोटियों को फतह कर लिया है। वे ऐसे इकलौते भारतीय हैं जिन्होंने सात पर्वत शिखरों और सात ज्वालामुखी पर्वतों पर चढ़ाई की है। सिद्धांत ने बताया कि चोटी पर पहुंचने के बाद उन्होंने राष्ट्रगान गाया और तिरंगे झंडे को भी फहराया। इस दौरान उनकी उंगलियां सुन्न पड़ गई थीं।
सिद्धांत की यात्रा का प्रबंध करने वाले उनके एक करीबी मित्र दीपांजन दास ने कहा, 'एक दिन कैंप में विश्राम करने के बाद सिद्धां बेस कैंप के लिए चढ़ाई करेंगे जो कि 2,100 मीटर पर स्थित है। वहां से फिर वे यूनियन ग्लेशियर के लिए उड़ान भरेंगे। बेस कैंप से चोटी तक पहुंचने में उन्हें 10 घंटे लगेंगे।' माउंट सिडले पर पहुंचने से पहले सिद्धांत ने माउंट विंसन मासिफ पर दिसंबर 2017 में चढ़ाई की थी। अंटार्कटिका की इस सबसे ऊंची चोटी को फतह करने वाले वे पांचवे भारतीय बने।
प्रख्यात पर्वतारोही देबाशीष बिस्वास जिन्हें 8,000 मीटर से भी ऊंची चोटियां फतह करने का गौरव हासिल है, उन्होंने कहा, 'सिद्धांत की प्रतिबद्धता को देखते हुए हम कह सकते हैं कि वे आने वाले समय में सारे रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं। इतनी कम उम्र में उन्होंने जितना हासिल किया है उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।' सिद्धांत ने बीते साल सितंबर में मौसमी खाटुआ के साथ एशिया के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पर्वत माउंट दामावंद पर तिरंगा लहराया था। माउंट दामावंद ईरान में सबसे ऊंचा ज्वालामुखी पर्वत है और संभावित रूप से सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है।
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