मिलिए मैत्री से, जो ऊबर ईट्स के साथ मिलकर तोड़ रही हैं समाज की बनाई ज़ंजीरें
हमारे समाज में लिंगगत भेदभाव की बेड़ियों को तोड़कर जब कोई महिला आगे बढ़ती है तो यह पूरे समाज के एक सबक बन जाता है। ऐसा ही सबक पेश करती है, मैत्री की कहानी। एक समाज, जहां महिलाएं पितृसत्ता से लड़ रही हैं, लैंगिक भेदभाव से जूझ रही है और जहां महिलाओं के आज भी पुरुष फ़ैसला करते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं; उस समाज में मैत्री ने अपने लिए एक ऐसा करियर चुना है, जिससे चुनने में आमतौर पर महिलाओं को शर्म महसूस होती है। 26 साल की मैत्री ऊबर ईट्स के साथ डिलिवरी पार्टनर हैं और पूरे उत्साह के साथ वह इस काम को आगे बढ़ा रही हैं।
हमारी मुलाक़ात मैत्री से इंदिरानगर में हुई। ऊबर ईट्स यूनिफ़ॉर्म पहने वह अपना काम कर रही थीं। हर स्टोरी ने उनके पूछा कि क्या लोगों की नज़रों से आपको कुछ अजीब लगता है। इस बारे में वह कहती हैं, "मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता। मैं हर किसी तरह का अपना काम कर रही हूं और मेरा ध्यान सिर्फ़ इस बात पर रहता है कि मैं समय पर फ़ूड डिलिवर कर पाऊं।"
मैत्री बताती हैं कि काम के अलावा, उन्हें फ़िल्में देखना पसंद है। इतना ही नहीं, वह कन्नड़ फ़िल्मों के लिए पार्ट-टाइम डबिंग आर्टिस्ट भी हैं। मैत्री ने अपने जीवन में बहुत सी मुश्क़िलों का सामना किया है, लेकिन वह मानती हैं कि बुरे दिन हमेशा नहीं रहते। चिकबालपुर की रहने वाली मैत्री ने बहुत ही कम उम्र में अपना घर छोड़ दिया था और रोज़गार के लिए बेंगलुरु आ गई थीं। कुछ महीने भटकने के बाद, उन्हें इन्फ़ोसिस में इवेंट ऑर्गनाइज़र की नौकरी मिल गई। ज़िंदगी आगे बढ़ी और उनकी शादी हो गई। कुछ समय बाद उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया। अपनी बच्ची की देखभाल करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। उनके पति की मौत हो गई और बच्ची को पालने की जिम्मेदारी पूरी तरह से उनके ऊपर आई गई। अब उनकी बेटी साढ़े चार साल की हो गई है।
उनके पास काम पर वापस जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। विकल्प तलाशने के दौरान उनकी मुलाक़ात उनके रिश्तेदार प्रदीप से हुई, जो ऊबर ईट्स के साथ डिलिवरी पार्टनर थे। उन्हें यह विकल्प अच्छा लगा और फ़ीमेल डिलिवरी पार्टनर की ओपनिंग का इंतज़ार करने लगीं। प्रदीप ने उन्हें बताया कि पैसा तो अच्छा मिलेगा, लेकिन कंपनी किसी महिला को इस काम के लिए हायर नहीं करना चाहती। जबकि, कुछ महीनों में, ऊबर ईट्स ने फ़ीमेल डिलिवरी पार्टनर्स की ओपनिंग निकाली और मैत्री ने इस मौक़े को भुना लिया।
वह बताती हैं, "शुरुआत में, मेरे साथी बहुत आश्चर्यचकित थे। समय के साथ, कुछ और महिलाओं ने भी जॉइन किया और अब हम महिलाएं, पुरुषों के साथ बराबरी से काम करते हैं और लक्ष्य रखते हैं कि कौन ज़्यादा फ़ूड डिलिवरीज़ करेगा।"
अपनी बच्ची के बारे में बताते हुए वह कहती हैं, "मेरी बेटी लगभग चार साल की है और उसे भी मेरे काम पर गर्व है। इतना ही नहीं, रोज़ मेरे घर लौटने के बाद वह मेरा फ़ोन भी चेक करती है। उसे जानने की इच्छा होती है कि मैंने पूरे दिन में कितनी डिलिवरीज़ कीं। साथ ही, वह मुझे और अच्छा काम करने के लिए प्रेरित भी करती है।"