सरकार ने भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए ITDC के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
आयुष मंत्रालय और ITDC, ITDC द्वारा संचालित होटलों में आयुर्वेद और योग केंद्र की स्थापना का पता लगाएंगे. आयुष मंत्रालय और ITDC टूरिस्ट सर्किट की पहचान करेंगे, जहां मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने की अपार गुंजाइश है.
आयुष मंत्रालय (Ministry of Ayush) ने भारत पर्यटन विकास निगम (India Tourism Development Corporation - ITDC), पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के साथ आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.
आयुष मंत्रालय के निदेशक डॉ. शशि रंजन विद्यार्थी और ITDC के निदेशक (वाणिज्यिक और विपणन) पीयूष तिवारी ने आयुष मंत्रालय के विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक और आयुष मंत्रालय और ITDC के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.
समझौता ज्ञापन के अनुसार, आयुष मंत्रालय ITDC के अधिकारियों को आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करेगा. यह पर्यटक सर्किट की पहचान करेगा, जहां आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने की अपार गुंजाइश है और ITDC को समय-समय पर सभी तकनीकी जानकारी प्रदान करेगा.
आयुष मंत्रालय के सुझाव पर ITDC "नॉलेज टूरिज्म" के तहत पर्यटन स्थलों में भारतीय चिकित्सा पद्धति के ऐतिहासिक विरासत स्थलों को शामिल करेगा और पर्यटकों के लिए उपयोगी फिल्म/साहित्य विकसित कर सकता है. यह ITDC द्वारा संचालित होटलों में आयुर्वेद और योग केंद्र की स्थापना का पता लगाएगा और सहयोग से संवेदीकरण कार्यशालाओं का आयोजन करेगा.
समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन और प्रगति की निगरानी एक संयुक्त कार्य समूह (JWG) द्वारा की जाएगी, जिसकी सह-अध्यक्षता आयुष मंत्रालय और ITDC के प्रतिनिधि करेंगे. JWG मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड आदि द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम तौर-तरीकों की भी पहचान करेगा, ताकि खुद को मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में प्रचारित किया जा सके.
केरल के तिरुवनंतपुरम में भारत की अध्यक्षता में जी20 की हाल ही में संपन्न पहली स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक में जी20 प्रतिनिधियों ने भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के अवसरों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया.
हाल के वर्षों में भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है. ग्लोबल वेलनेस इंस्टीट्यूट (GWI) की रिपोर्ट 'द ग्लोबल वेलनेस इकोनॉमी: लुकिंग बियॉन्ड कोविड' के अनुसार, ग्लोबल वेलनेस इकोनॉमी सालाना 9.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. आयुष आधारित हेल्थकेयर और वेलनेस अर्थव्यवस्था के 2025 तक 70 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है.
भारत में मेडिकल टूरिज्म सेक्टर रफ्तार पकड़ रहा है. इसमें देश का स्टार्टअप इकोसिस्टम भी अपनी अहम भूमिका निभा रहा है. ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस (GMI) के आंकड़ों पर गौर करें, तो 2020 तक, दुनिया भर में मेडिकल टूरिज्म का मार्केट साइज 10 बिलियन डॉलर था. अगले पांच वर्षों में इसके 37 बिलियन डॉलर का आंकड़ा छूने का अनुमान है. इसके 12.1% की CAGR से बढ़ने का अनुमान है.
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए रोगियों की संख्या के मामले में थाईलैंड, मैक्सिको, अमेरिका, सिंगापुर, भारत, ब्राजील, तुर्की और ताइवान पहली पसंद हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में हार्ट सर्जरी का खर्चा लगभग 4 लाख रुपये है. थाईलैंड में यह लगभग 15 लाख रुपये है, और अमेरिका में यह करीब 80 लाख रुपये में होता है.
मेडिकल टूरिज्म का मतलब है जब कोई मरीज इलाज के लिए किसी दूसरे देश की यात्रा करता है. हर साल, लाखों विदेशी नागरिक इलाज के लिए मेडिकल टूरिज्म वीजा पर भारत आते हैं. भारत में सस्ते और क्वालिटी ट्रीटमेंट के लिए कई विकसित देशों के मरीज भी भारत का रुख कर रहे हैं. भारत में इलाज का खर्चा पश्चिमी देशों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत कम है और दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे सस्ता है. हेल्थकेयर ट्रीटमेंट के लिहाज से आज भारत को सही जगह माना जा रहा है, जहां स्वास्थ्य लाभ के अलावा खूबसूरत जगहों का भ्रमण भी किया जा सकता है.