'मिस डेफ वर्ल्ड 2019' खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनीं यूपी की विदिशा
कहते हैं कि जब आपके हौसले बुलंद हों तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। इस बात को सही साबित कर दिखाया है उत्तर प्रदेश की विदिशा बालियान ने। यूपी के मुजफ्फरनगर जिले की विदिशा बालियान ने ‘मिस डेफ वर्ल्ड 2019’ का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। विदिशा मिस डेफ वर्ल्ड जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। 23 वर्षीय विदिशा ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित एक प्रतियोगिता में सुंदरता का ताज अपने नाम किया। विदिशा एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन की मॉडलिंग स्टूडेंट हैं। मिस डेफ वर्ल्ड 2019 कंपटीशन के फाइनल राउंड में 16 देशों की 11 फाइनलिस्ट्स ने भाग लिया था। जिसमें विदिशा विजेता बनीं और दूसरे नंबर पर दक्षिण अफ्रीका की एक प्रतियोगी रहीं। विदिशा बचपन से ही श्रवण-बाधित हैं।
खिताब जीतने के बाद विदिशा ने कहा, “मुझे विश्वास हासिल करने और अपने व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए प्रतियोगिता में भाग लेने की प्रेरणा मिली। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से, मैं बधिर समुदाय को उनकी प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना चाहती हूँ और इस बात से परेशान नहीं होना चाहिए कि उनके पास क्या है।” विदिशा एक स्पोर्ट्स पर्सन रही हैं। उन्होंने डेफओलम्पिक्स में इंटरनेशनल टेनिस खिलाड़ी के तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि पीठ में चोट के चलते उन्होंने टेनिस से अलग होने का फैसला किया।
पैरालिंपियन दीपा मलिक से मिली प्रेरणा
टेनिस से अलग होने के बाद विदिशा ने ब्यूटी पैजेंट में भाग लेने का फैसला किया था। विदिशा को अपने परिवार से अलावा भारतीय पैरालिंपियन दीपा मलिक और उनकी बेटी देविका से काफी सपोर्ट मिला। दीपा मलिक की बेटी देविका व्हीलिंग हैप्पीनेस फाउंडेशन की सह-संस्थापक भी हैं। विदिशा ने इंस्टाग्राम पर एक अपनी जर्नी के हर लम्हे को शेयर किया है। आंखों में खुशी के आंसू लिए विदिशा ने एक बेहद स्पेशल पोस्ट में अपनी इस जर्नी के बारे में लिखा है। अपनी यात्रा को साझा करते हुए विदिशा ने लिखा, “मिस डेफ वर्ल्ड के रूप में ताज पहनाए जाने का पल मुझे जीवन भर याद जाएगा, यह जीत मेरे लिए कई कारणों से खास थी। श्रवण-बाधित बच्चे के रूप में मैंने दरवाजे की घंटी न सुनने से लेकर लोगों द्वारा नजरअंदाज किए जाने तक, यह सब देखा है। लेकिन एक टेनिस खिलाड़ी के रूप में मेरे खेल करियर ने मुझे काफी कुछ दिया। मैंने 'डेफओलम्पिक्स' में 5 वीं रैंक अर्जित की, टेनिस मेरे लिए उतनी ही महत्वपूर्ण थी जितना की सांसे लेना। लेकिन उसके बाद मेरे जीवन में एक गहरा झटका लगा - गंभीर बैक इंजरी ने मेरी आशाओं को खंडित कर दिया।"
'मैं कभी हार नहीं मानती'
विदिशा ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा- मेरे पास जीने का कोई कारण नहीं था लेकिन मेरे परिवार ने मुझे जो ताकत दी है, उसके चलते मैंने हार नहीं मानी। और समय के साथ, मुझे एक और तरीका दिखा - मिस डेफ इंडिया। ब्यूटी और फैशन की दुनिया के लिए मैं एक नौसिखिया थी लेकिन मैंने सीखा कि खिताब जीतने के लिए किस चीज की जरूरत होती है। मेरे पास एक क्वालिटी है- अगर मैं किसी चीज के लिए अपना दिमाग लगाती हूं तो मैं समय और एफर्ट्स नहीं देखती, मैं इसे पूरा करती हूं। चाहे वह डांस, बास्केटबॉल, तैराकी, टेनिस या योगा हो, मैं कभी भी अपने प्रयासों में सुस्त नहीं पड़ती।"
इस प्रतियोगिता के टैलेंट राउंड में विदिशा ने तांडव पर परफॉर्म किया था। तांडव भगवान शिव का डांसफॉर्म माना जाता है। विदिशा ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, "शायद एक विकलांग बच्चे के रूप में मैंने अपनी सुनने की समस्या को कड़ी मेहनत से अपने रास्ते में नहीं आने दिया। ऊपर वाले की कृपा से, मिस डेफ इंडिया प्रतियोगिता के बाद, हमने व्हीलिंग हैप्पीनेस के साथ मंजिलों को पार किया। व्हीलिंग हैप्पीनेस एक एनजीओ जो विकलांग लोगों को सशक्त बनाती है। इस जीत में योगदान देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को धन्यवाद। ताज हमारा है।”
आपको बता दें कि बधिर लोगों के लिए शुरू की गई ये प्रतियोगिता साल 2001 में शुरू हुई थी। इस प्रतियोगिता की आधिकारिक भाषा इंटरनेशनल साइन लैंग्वेज हैं। 2001 में पहला ब्यूटी पेजेंट स्पेन में हुआ था। तब से विदिशा पहली भारतीय बनी हैं जिन्होंने इस ताज पर कब्जा किया है।