Brands
YS TV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

मोदी को फिर मिला बहुमत: भारत के सोशल सेक्टर के लिए क्या हैं इसके मायने?

मोदी को फिर मिला बहुमत: भारत के सोशल सेक्टर के लिए क्या हैं इसके मायने?

Sunday May 26, 2019 , 5 min Read

बीजेपी को मिला पूर्ण बहुमत

लोकसभा का चुनाव खत्म हो गया और जनता ने बहुमत से एक बार फिर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का जनादेश दे दिया है। अब सभी चुनाव की चर्चा को छोड़कर अपने काम में व्यस्त हो गये हैं। लेकिन हम आपको उन मुद्दों से रूबरू कराएंगे जिनका वादा भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने जनता से किया था। आपको कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका सीधा असर देश की सामान्य जनता पर पड़ेगा।


कृषि जगत

फसल की पैदावार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, एनडीए ने इस क्षेत्र में 25 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड ऋण योजना का विस्तार किया है ताकि एक सा पांच साल की अवधि के लिए 1 लाख रुपये तक के अल्पकालिक ब्याज मुक्त ऋण प्रदान कराया जा सके। एक और पहल के तहत कृषि उपज के लिए कुशल भंडारण और परिवहन तंत्र के निर्माण की योजना बनाई गई है। प्रधान मंत्री कृषि सम्पदा योजना के तहत एनडीए ने राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार करने और वेयरहाउस सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही है। इसके अलावा एनडीए ने 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन (FPO) बनाने का वादा किया है ताकि खाद, बीज को आसानी से खेतों तक पहुंचाया जा सके।


स्वास्थ्य

भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है। इसे पटरी पर लाने के लिए ही बीजेपी ने सितंबर 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। इस पहल के तहत सरकार ने 2022 तक 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) स्थापित करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया। सरकार ने अब तक 17,150 एचडब्ल्यूसी स्थापित किए हैं, इसलिए लक्ष्य प्राप्त करना महत्वपूर्ण होगा। NDA घोषणापत्र में कहा गया है कि यह इन HWC पर टेलीमेडिसिन और नैदानिक प्रयोगशाला सुविधाओं एक सिस्टम बनाया जाएगा।


नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 तक भारत में डॉक्टर-मरीज का अनुपात 1: 1000 था। यानी भारत में 1000 की जनसंख्या पर केवल एक डॉक्टर है। इसे सुधारने के लिए एनडीए ने कहा है कि एमबीबीएस सीटों की संख्या 18,000 और स्नातकोत्तर स्तर पर सीटों की संख्या में 12,000 की वृद्धि की जाएगी ताकि स्थिति में सुधार हो सके। नई सरकार को 2024 तक डॉक्टरों की संख्या दोगुनी करने पर विचार करना चाहिए। बीजेपी सरकार अपने टीकाकरण कार्यक्रम - मिशन इन्द्रधनुष को भी जारी रखेगी, जिसमें अब तक 3.39 करोड़ बच्चे और 87.18 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है।


शिक्षा

अपने पहले कार्यकाल में, बीजेपी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में कई कार्यक्रम शुरू किए, जैसे- समग्र शिक्षा, साक्षर भारत और जन शिक्षण संस्थान। सरकार ने शिक्षकों के लिए चार साल के एकीकृत पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग;कार्यक्रम के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षित करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया।

घोषणापत्र के अनुसार, बीजेपी सरकार, स्मार्ट कक्षाओं के रूप में छात्रों को जल्द प्रौद्योगिकी से रूबरू कराने पर ध्यान देगी। अपने पिछले कार्यकाल में बीजेपी ने छात्रों को मुफ्त में ई-बुक तक पहुँच प्रदान करने के लिए 'नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडिया' लॉन्च किया था। यह बार सरकार इस कार्यक्रम का विस्तार कर सकती है। इसके अलावा सरकार अपने कार्यात्मक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए उच्च शिक्षण संस्थानों में उत्कृष्टता और गुणवत्ता सीखने को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।


महिला सशक्तिकरण

भाजपा सरकार ने महिलाओं को ध्यान में रखते हुए अपने पिछले कार्यकाल में उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास योजना, सौभाग्य जैसे कई कार्यक्रमों की शुरुआत की थी। अपने अगले कार्यकाल में इस क्षेत्र में अच्छे काम देखने को मिल सकते हैं। सरकार छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए योजना बना रही है ताकि वे अपनी खरीद का 10 प्रतिशत उन जगहों से खरीदें जहां कम से कम 50 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं हैं।

जिस प्रतिष्ठान या कंपनी में 50 से अधिक कर्मचारी हैं वहां पहले से ही क्रेच सुविधा को अनिवार्य किया गया है। लेकिन सरकार अब असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले माता-पिताओं की सहूलियत के लिए क्रेच कार्यक्रम को मजबूत करेगी। इससे आंगनबाड़ी, नागरिक समाज संगठन को लाभ मिलेगा।


कौशल विकास

जब भी कुशल कार्यबल की बात आती है भारत इसमें पिछड़ जाता है। देश में कुशल श्रमिकों की संख्या बढ़ाने के लिए 2015 में स्किल इंडिया अभियान शुरू किया गया था। कार्यक्रम का उद्देश्य 2022 तक राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, कौशल विकास और उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) जैसी योजनाओं के तहत विभिन्न कौशल में 40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करना था। अब, सरकार रीस्किलिंग और अप स्किलिंग के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करना चाहती है।


सरकार ने स्थानीय कारीगरों के कौशल विकास और कल्याण के लिए एक योजना बनाने का भी वादा किया है। यह पहल क्रेडिट, कार्यशील पूंजी और सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच के साथ कारीगरों को साबित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।


विकलांगता

भारत में 2.1 करोड़ से अधिक लोग किसी न किसी प्रकार की विकलांगता से पीड़ित हैं। ऐसे लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने और समाज के बाकी लोगों को इनके प्रति संवेदनशील बनाने के लिए 2015 में सुगम्य भारत का अभियान शुरू किया गया था। विकलांगों के लिए ऑनलाइन लाइब्रेरी की भी स्थापना की गई थी। सरकार इन प्रयासों को तो जारी ही रखेगी और यह भी सुनिश्चित करेगी कि विकलांगों को कम उम्र में आंगनबाड़ी और प्री स्कूल में आसानी से शुरुआती शिक्षा मिल सके।


यह भी पढ़ें: पहली बार वोट देने वाले युवाओं को 'अपनी सरकार' से हैं क्या उम्मीदें