चांद पर कांच की मोतियों में भरा है हजारों करोड़ लीटर पानी, चीन के वैज्ञानिकों ने किया दावा
चीन ने चांद की सतह का सैंपल लाने के लिए Change’s Rover Mission 5 लॉन्च किया था जो सफल रहा था. अब जांच में मालूम पड़ा है कि उस सैंपल मिट्टी में रंगबिरंगे कांच की मोतियां मौजूद हैं जिनके अंदर हजारों करोड़ों लीटर पानी है. ये कांच के मोती अलग-अलग धातुओं के पिघलने से बने हैं.
वैज्ञानिकों ने ल्यूनर मिशन से एक बेहद चौंका देने वाला खुलासा किया है. चीन के वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद पर पानी का एक नया और रिन्यूएबल सोर्स का पता चला है. ये पानी कांच की छोटी मोतियों या गोले में बंद है.
क्या कहती है स्टडी
चीन ने चांद की सतह का सैंपल लाने के लिए Change’s Rover Mission 5 लॉन्च किया था जो सफल रहा था. अब जांच में मालूम पड़ा है कि उस सैंपल मिट्टी में रंगबिरंगे कांच की मोतियां मौजूद हैं जिनके अंदर हजारों करोड़ों लीटर पानी है. ये कांच के मोती अलग-अलग धातुओं के पिघलने से बने हैं.
इन मोतियों की चौड़ाई एक बाल की चौड़ाई से लेकर कई बालों की चौड़ाई के बराबर मापी गई हैं. वैसे तो एक मोती के अंदर पानी की मात्रा अगर मापी जाए तो यह कुछ खास नहीं है लेकिन लेकिन ये मोतियां अरबों की संख्या में मौजूद हैं. इसलिए पानी की मात्रा भी हजारों करोड़ों लीटर के आसपास मापी जा रही है.
दिलचस्प बात ये है कि ये जो पानी मिला है वह रिन्यूएबल सोर्स से है. सौर वायु में हाइड्रोजन की लगातार बौछार से पानी का निर्माण होने का अनुमान है.
तो क्या चांद से निकलेगा पानी?
जर्नल नेचर जियोसाइंस में छपी स्टडी के मुताबिक चांद की मिट्टी में पाई गई मोतियों से पानी निकाला जा सकता है. हालांकि इसकी प्रक्रिया जटिल हो सकती है. पानी निकालना मुमकिन होगा भी या नहीं और अगर पानी निकल भी जाता है तो क्या ये पीने के लिए सुरक्षित होगा या नहीं इन चीजों का पता करने के लिए आगे और स्टडी की आवश्यकता है.
चांद मिशन की कतार
स्टडी से जो भी निर्णय निकले लेकिन इतना तो तय है कि चांद पर पानी के रिन्यूएबल सोर्स ने चांद मिशन के लिए नए आयाम खोल दिए हैं. NASA 2025 तक चांद की सतह पर और अंतरिक्षयात्री भेजने की तैयारी कर रही है. जिसमें चांद के उस सतह से आंकड़े जुटाने की कोशिश की जाएगी जो हमेशा अंधेरे में रहता है. वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि अंधेरे वाली सतह जमे हुए पानी से पटी पड़ी है.
चांद पर वॉल्कैनिक एक्टिविटी से चांद पर पहले भी कांच की मोतियां पाई जा चुकी हैं. जिसे ना सिर्फ पिया जा सकता है बल्कि रॉकेट फ्यूल की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस स्टडी के ऑथर नानजिंग यूनिवर्सिटी के हेजिउ हुई कहते हैं कि यह खोज काफी अहम है, क्योंकि यह दिखाती है कि चांद पर मिला पानी रिचार्जेबल है, यानी खुद ब खुद भरता रहेगा.
किन चीजों से बने हैं ये मोती
ये कांच की मोतियां ग्लास स्फेरूल्स या इंपैक्ट ग्लासेज या माइक्रोटेक्टाइटिस के नाम से जानी जाती हैं. लाखों किमी प्रति घंटा की रफ्तार से आ रहे उल्कापिंड और चांद के बीच टकराव होने से इनका निर्माण होता है. उल्कापिंड के टकराते ही चांद के वायुमंडल में बड़ी तेजी से धूल उड़ती है. इस टक्कर के कारण तापमान एक दम से बढ़ जाता है जो वहां मौजूद सिलिकेट पदार्थ को पिघला देता है. ये पदार्थ ठंडा होकर कांच की गोल मोतियों में बदल जाते हैं.
ये पदार्थ ठंडे होकर जब मोती बन रहे होते हैं तब ये अपने अंदर हाइड्रोजन कैद कर लेते हैं और समय के साथ ये गोले मिट्टी में दबते चले जाते हैं. जब चांद की सतह पर सौर हवा पहुंचती है तो उसके संपर्क में आकर हाइड्रोजन पानी का निर्माण करता है और इस तरह कांच की गोलियां के अंदर पानी जमा होता है. हर कांच की मोती के अंदर 2000 माइक्रोग्राम पानी होने की संभावना जताई जा रही है.
Edited by Upasana