उड़ान योजना से अब तक 130 लाख से अधिक लोग लाभान्वित
उड़ान योजना के अंतर्गत सरकार, उड़ान के संचालन के लिए 2024 तक 1000 उड़ान मार्गों को चालू करने और 100 अप्रयुक्त और कम सेवा वाले हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों को विकसित करने का लक्ष्य.
जनता के लिए किफायती दरों पर हवाई सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) - उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) शुरू की. क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना को प्रोत्साहन देने के लिए मौजूदा हवाई पट्टियों और हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के माध्यम से देश के अपर्युक्त और कम उपयोग वाले हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करने की परिकल्पना की गई है. यह जानकारी नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी.
यह योजना दस वर्ष की अवधि के लिए लागू रहेगी. उड़ान योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
i) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना - उड़ान को क्षेत्रीय मार्गों को जोड़ने वाले कम सेवा वाले/अपर्युक्त मार्गों पर हवाई परिचालन को बढ़ावा देने और जनता के लिए उड़ान को किफायती बनाने के लिए बनाया गया है.
ii) केंद्र, राज्य सरकारों और हवाईअड्डा संचालकों की ओर से रियायतों के संदर्भ में वित्तीय प्रोत्साहन चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों को दिया जाता है ताकि कम सेवा वाले/अपर्युक्त हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों से परिचालन को प्रोत्साहित किया जा सके और हवाई किराया वहनीय रखा जा सके.
iii) चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों को वित्तीय सहायता व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) के रूप में है. राज्य सरकारें अपने राज्यों से संबंधित क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ानों के लिए वीजीएफ के लिए 20 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करती हैं. पूर्वोत्तर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वीजीएफ की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है.
iv) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ानों के लिए आरसीएस हवाई अड्डों पर चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों द्वारा शुरू की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिए निकाले गए एविएशन टर्बाइन ईंधन (एटीएफ) पर एक प्रतिशत/दो प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाता है.
v) एयरलाइंस को आरसीएस उड़ानों में विमान के प्रकार और आकार के आधार पर सीटों की एक निश्चित संख्या को आरसीएस सीटों के रूप में प्रतिबद्ध करना आवश्यक है.
vi) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी फंड (आरसीएफ) पूर्वोत्तर क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीप समूह के मार्गों पर उड़ानों के प्रस्थान को छोड़कर 40 टन से अधिक एमटीओडब्ल्यू (अधिकतम टेक-ऑफ वजन) वाले विमानों पर उड़ानों के प्रत्येक प्रस्थान पर लेवी द्वारा बनाया गया है.
vii) संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए, मार्ग आवंटन देश के पांच क्षेत्रों उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर पूर्व (किसी दिए गए क्षेत्र में 30 प्रतिशत की सीमा के साथ) में समान रूप से फैला हुआ है. .
viii) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना-उड़ान एक बाजार संचालित योजना है. इच्छुक एयरलाइंस विशेष मार्गों पर मांग के आकलन के आधार पर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना - उड़ान के तहत बोली के समय प्रस्ताव प्रस्तुत करती हैं.
यह योजना 10 वर्षों की अवधि के लिए लागू होगी और समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाएगी.
क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना मार्ग के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण समर्थन केवल तीन वर्षों की अवधि के लिए उपलब्ध है.
यह योजना समुद्री विमानों और हेलीकॉप्टरों सहित विभिन्न प्रकार के विमानों के संचालन की अनुमति देती है.
डीजीसीए द्वारा जारी अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा (यात्री) के लिए एक वैध अनुसूचित ऑपरेटर परमिट (एसओपी) या एक अनुसूचित कम्प्यूटर ऑपरेटर (एससीओ) परमिट
योजना के तहत देश में हवाई अड्डों के विकास के लिए 4500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, इनमें से योजना के आरंभ से अब तक 3751 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है. 28.11.2023 तक वीजीएफ की राशि 3020 करोड़ रुपये चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों को वितरित की गई.
तमिलनाडु राज्य में हवाई अड्डों को विकसित करने के लिए 97.88 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए इनमें से अब तक 94.51 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.
उड़ान योजना के तहत, सरकार ने योजना के दौरान 1000 उड़ान मार्गों को चालू करने और उड़ान उड़ानों के संचालन के लिए 2024 तक देश में 100 अपर्युक्त और कम सेवा वाले हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों को कार्यशील/विकसित करने का लक्ष्य रखा है. 517 क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना मार्गों में अब तक 76 हवाई अड्डों को जोड़ने के लिए परिचालन शुरू कर दिया है, जिसमें 9 हेलीपोर्ट और 2 जल हवाई अड्डे शामिल हैं. इस योजना का लाभ अब तक 130 लाख से अधिक लोग उठा चुके हैं.
तमिलनाडु सहित देश में 50 नए हवाई अड्डों/हेलीपोर्ट/जल हवाई अड्डों के विकास और संचालन के लिए 2023-26 की अवधि में योजना के दूसरे चरण के तहत 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.