Make Your Bed: जिंदगी में छोटी-छोटी आदतों की अहमियत बताती ये किताब
एडमिरल विलियम मैकरावेन ने कुछ चुनिंदा आदतों को समेटे हुए अपनी किताब मेक योर बेड में बड़ी गहराई से बात की है. मैकरावेन ने इस किताब में नेवी में अपने 37 साल के अनुभवों से दस चुनिंदा लाइफ लेसन का जिक्र किया है. यह किताब पहली बार जनवरी 2017 में छपी थी.
कहते हैं अच्छी जिंदगी की शुरुआत अच्छी आदतों से होती है. आदतें छोटी हों या बड़ी अगर अच्छी हों तो जिंदगी को खूबसूरत बना देती हैं. एडमिरल विलियम मैकरावेन ने ऐसी कुछ चुनिंदा आदतों को समेटे हुए अपनी किताब मेक योर बेड(Make Your Bed) में बात की है.
रिटायर्ड यूनाइटेड स्टेट्स नेवी एडमिरल मैकरावेन ने इस किताब में नेवी में अपने 37 साल के अनुभवों से दस चुनिंदा लाइफ लेसन का जिक्र किया है. यह किताब पहली बार जनवरी 2017 में छपी थी.
किताब का नाम इसके पहले चैप्टर पर ही रखा गया है- मेक योर बेड ईच एंड एव्री मॉर्निंग जिसका मतलब है हर सुबह उठने के बाद अपना बिस्तर सही करना. सुनने में ये काफी छोटी सी चीज लग सकती है. लेकिन मैकरावेन इसके पीछे की थियरी समझाते हुए कहते हैं सुबह उठते ही अपना बिस्तर सही करने से आपका दिन एक कंप्लीट टास्क से शुरू होता है.
मैकरावेन ने ऐसे ही छोटी छोटी आदतों की अहमियत समझाई है जो हमें और हमारे दिन दोनों को बदल सकते हैं. मैकरावेन ने किताब में नैवी में रहते हुए अपने साथ के लोगों को और उस दौरान की अपनी जिंदगी के अनुभवों को साझा किया है और यही इस किताब की खासियत हैं.
मैकरावेन किताब में दोस्त और टीममेट्स की अहमियत पर भी बात करते हैं. मैकरावेन ने किताब में अपनी पत्नी को ही अपना टीममेट बताया है. वो लिखते हैं कि उनकी पत्नी ने उन्हें मुश्किल समय से निकलने में मदद की. उनके बिना वो शायद डिप्रेशन में डूब जाते.
एक रिटायर्ड नेवी एडमिरल का खुले में इस बात को कहना वाकई काबिलेतारीफ है. उनकी साइंस ऑफ अटैचमेंट बताती है कि कैसे एक पार्टनर से इमोशनल सपोर्ट मिलना आपको बेहत मजबूत बना देता है.
मैकरावेन आगे बताते हैं कि हमें समझना होगा जिंदगी में उतार चढ़ाव आने ही हैं. आपको हर दूसरे पल लग सकता है कि जिंदगी ने आपके साथ गलत किया है मगर सच ये है कि जिंदगी इसी का नाम है.
हर छोटी छोटी बात को दिल से लगाकर जिंदगी से नाराज होने की बजाय उसे खुल कर जीना शुरू कीजिए. असफलताओं पर बात करते हुए मैकरावेन बताते हैं कि नेवी में उनकी स्विमिंग टीम हमेशा लेट पहुंचती थी. उनकी टीम को लेट पहुंचने की वजह से पनिशमेंट ट्रेनिंग से गुजरना होता था.
ये ट्रेनिंग इतनी सख्त होती थी कि कई मेंबर बीच में ही हार मान जाते थे और कोर्स छोड़ने का फैसला कर लेते. लेकिन मैकरावेन और उनकी टीम इस कठिन प्रक्रिया से गुजरी और आखिरी टेस्ट में पहले नंबर से पास हुई.
वो कहते हैं कि जिंदगी में हमेशा असफलता की गुंजाइश रहती है. आपका गोल जितना बड़ा होगा असफल होने की भी उतनी ज्यादा गुंजाइश होगी.
अगर आप जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले मुश्किलों से ही निपटना होगा. जो डर में और शर्मिंदगी में जीते हैं वो ये नहीं समझते कि यही उनकी सबसे बड़ी असफलता है. इस तरह वो अपनी क्षमता को अनदेखा कर रहे हैं.
मैकरावेन ने इस किताब में और भी कई छोटी-बड़ी चीजों पर और काफी गहराई से बात की है. अगर आपको ऊपर लिखे अंश प्रेरणात्मक लगते हैं तो आपको ये किताब जरूर पढ़नी चाहिए.
Edited by Upasana