राज्यों में भी गठित होंगी नीति आयोग जैसी संस्थाएं, जानिए इसकी जरूरत क्यों है?
नीति आयोग का मानना है कि साल 2047 तक देश को विकसित बनाने के राष्ट्रीय विजन को ध्यान में रखते हुए तेज और समग्र विकास के लिए राज्यों में भी नीति आयोग जैसी संस्था जरूरी है.
भारत को साल 2047 तक विकसित बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग सभी राज्यों में भी योजना बोर्डों की जगह ऐसी ही संस्था चाहता है. बता दें कि, जनवरी, 2015 में केंद्र सरकार ने देश में पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करने वाले योजना को खत्म कर नीति आयोग का गठन किया था.
पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकसित बनाने का महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किया था. इसी को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग का मानना है कि साल 2047 तक देश को विकसित बनाने के राष्ट्रीय विजन को ध्यान में रखते हुए तेज और समग्र विकास के लिए राज्यों में भी नीति आयोग जैसी संस्था जरूरी है.
राज्यों में नीति आयोग जैसी संस्था के गठन के पीछे तर्क
नीति आयोग के विचार के पीछे यह भी तर्क है कि रक्षा, रेलवे और हाइवे को छोड़कर देश की जीडीपी को तय करने वाले अन्य पैमाने राज्य के विकास पर निर्भर करते हैं. उदाहरण के तौर पर हेल्थ, एजुकेशन और स्किलिंग राज्य सरकार के तहत आते हैं.
नीति आयोग का कहना है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को सुधारने, भूमि सुधारों, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, लोन बांटे जाने और शहरीकरण में राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.
मार्च 2023 तक 10 राज्यों में नीति आयोग के गठन का लक्ष्य
बीते 6 सितंबर को नीति आयोग योजना सचिवों के साथ स्टेट सपोर्ट मिशन पर बैठक की थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नीति आयोग को राज्यों से इस संबंध में पॉजिटिव रिस्पांस आया है. उसका लक्ष्य है कि मार्च, 2023 तक 8-10 राज्यों में ऐसी संस्था का गठन कर दिया जाए और तब तक वह अन्य राज्यों तक भी इसके लिए संपर्क करेगी. संस्था के गठन के लिए नीति आयोग राज्यों को हर तरह का सपोर्ट मुहैया कराएगी जिसमें आईआईएम और आईआईटी के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे.
यूपी सहित चार राज्य शुरू कर चुके काम
अपने-अपने राज्यों में नीति आयोग जैसी संस्था स्थापित करने के लिए कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम पहले ही काम शुरू कर चुके हैं. वहीं, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और गुजरात जल्द ही इस दिशा में काम शुरू कर सकते हैं.
राज्यों के लिए नीति आयोग जैसी संस्था की जरूरत क्यों है?
बता दें कि, 65 साल पुराने योजना आयोग को खत्म कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जनवरी, 2015 में नीति आयोग का गठन किया था. नीति आयोग के गठन का लक्ष्य देश के विकास के लिए एक थिंक-टैंक बनाने का था. इसके बाद से सरकार ने फंड बांटने की शक्ति वित्त मंत्रालय को सौंप दी थी.
हालांकि, अधिकतर राज्यों ने अभी भी अपने योजना विभागों या बोर्डों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं किए हैं. इससे पहले ये विभाग या बोर्ड केंद्रीय योजना आयोग के साथ मिलकर राज्यों के लिए केंद्र सरकार की पंचवर्षीय नीतियों के अनुरूप अपनी नीतियां बनाते थे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अधिकतर राज्यों के योजना विभाग के पास बड़ी संख्या में कर्मचारी हैं लेकिन वे निर्जीव पड़े हुए हैं और उनके पास अपने काम को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. नीति आयोग ने राज्य योजना बोर्डों के मौजूदा ढांचे के परीक्षण के लिए एक टीम तैयार करने में मदद करने की योजना बनाई है. ये टीमें अगले 4 से 6 महीने में स्टेट इंस्टीट्यूशंस फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (SIT) की संकल्पना तैयार करेंगी.
अधिकारी ने कहा कि एसआईटी में प्रोफेशनल्स की लैटरल भर्ती की जाएगी जो कि एनालिटिकल काम के साथ पॉलिसी से संबंधित सिफारिशें भी करेंगी. नीति आयोग को एसआईटी में बदलने के अलावा ये टीमें एक ब्लूप्रिंट भी तैयार करेंगी जो बताएगी कि एसआईटी नीति निर्धारण में राज्यों को कैसे सलाह देगी, कैसे सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी और उनका मूल्यांकन करेगी और इसके साथ ही स्कीम्स की डिलीवरी के लिए टेक्नोलॉजी और मॉडल्स के लिए सुझाव देंगी.
Edited by Vishal Jaiswal