एलपीजी सब्सिडी के तौर पर तेल कंपनियों को 20 हजार करोड़ और देगी सरकार, बजट में दिया था 5800 करोड़
सरकार ने माना है कि तेल कंपनियों को कुछ मुआवजा दिए जाने की जरूरत है. हालांकि, मुआवजे की निश्चित राशि पर आखिरी फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा कि भारतीय कच्चे तेल की कीमतें किस दिशा में जाती हैं.
मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में कूकिंग गैस पर कम आय होने के कारण केंद्र सरकार सरकारी तेल कंपनियों को उसकी भरपाई करने के लिए बजट में किए गए 5800 करोड़ के प्रावधान के अतिरिक्त 20 हजार करोड़ रुपये की राशि जारी करने पर विचार कर रही है. इसका मतलब है कि ईंधन पर दी जाने वाली जिस सब्सिडी को घटाकर फाइनेंशियल ईयर 2022 में केवल 241 करोड़ कर दिया गया था वह इस साल भी पहले की ही तुलना में बढ़ने वाली है.
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने माना है कि तेल कंपनियों को कुछ मुआवजा दिए जाने की जरूरत है. हालांकि, मुआवजे की निश्चित राशि पर आखिरी फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा कि भारतीय कच्चे तेल की कीमतें किस दिशा में जाती हैं.
सूत्रों का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने एलपीजी को बेचने से मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में तेल कंपनियों को होने वाले नुकसान के लिए अधिकतम कीमत के बारे में जानकारी मांगी है ताकि उनकी बकाया राशि भी चुकाई जा सके.
हालांकि, जून, 2020 के बाद से किसी घर के बैंक अकाउंट में एलपीजी सब्सिडी ट्रांसफर नहीं की गई है लेकिन उपभोक्ताओं को कुछ हद तक राहत देने की सरकार की रणनीति ने सरकारी तेल कंपनियों को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि को बढ़ा दिया है.
यही नहीं, मई 2022 में उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी सब्सिडी को दोबारा शुरू किए जाने फाइनेंशियल ईयर 2023 में सरकार पर 6100 करोड़ रुपये का खर्च बढ़ा देगा. इसके तहत हर साल 9 करोड़ लोगों को 12 एलपीजी सिलेंडर 200 रुपये प्रति सिलेंडर की दर से दिए जा रहे हैं.
बता दें कि, तीन सरकारी तेल कंपनियां इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम 90 फीसदी घरेलू ईंधन की सप्लाई करती हैं और उन्हें पिछली तिमाही में जबरदस्त नुकसान हुई है.
नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी तेल कंपनियों को मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में ही अकेले 9000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि पिछले फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छमाही में 6500-7000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
फाइनेंशियल ईयर 2023 के बजट में, केंद्र ने एलपीजी सब्सिडी के लिए 5,800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जिसमें घरेलू उपयोग के लिए 4,000 करोड़ रुपये का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और उज्ज्वला योजना के तहत गरीबों के लिए अन्य 800 करोड़ रुपये शामिल हैं.
बजट में एलपीजी सब्सिडी के लिए दी जाने वाली राहत फाइनेंशियल ईयर 2020 में 24,172 करोड़ रुपये से घटकर FY21 में 11,896 करोड़ रुपये हो गई. वहीं, FY22 में सब्सिडी सिर्फ 241 करोड़ रुपये थी.
Edited by Vishal Jaiswal