अपने स्वादिष्ट वड़ापाव से खुशियां बांट रहे हैं ओमकार, महज 300 रुपये से शुरू किया था बिजनेस
कोरोना महामारी के दौरान लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान देश भर में लाखों लोगों के सामने रोज़गार का संकट खड़ा हो गया था और ओमकार गोलबोले भी इससे अछूते नहीं थे। हालांकि 22 साल के ओमकार आज अपने कठिन परिश्रम के साथ संघर्ष को पीछे छोड़ते हुए तमाम लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बन चुके हैं।
लॉकडाउन के लगने के दौरान ओमकार के पास उनकी बचत के कुछ ही पैसे थे हालांकि आय के श्रोत बंद होने के चलते लॉकडाउन के दौरान उनकी जेब में सिर्फ 300 रुपये ही बचे थे। मुंबई के डोंबिवली के रहने वाले ओमकार ने इन्हीं 300 रुपये के साथ अपने जीवन को एक नई दिशा दे दी है।
आर्थिक हालत थी बेहद खराब
मीडिया से बात करते हुए ओमकार ने बताया है कि उनकी माँ को किडनी की बीमारी थी और वे काफी बीमार रहा करती थीं। ओमकार ने इसी बीमारी के चलते अपनी माँ को खो दिया, हालांकि ओमकार बताते हैं कि खाना बनाने का जो सामान्य ज्ञान है वो उन्हें उनकी माँ से ही मिला है।
किडनी की बीमारी के चलते उनकी माँ को डायलिसिस से गुजरना पड़ता था हालांकि परिवार के पास उनके इलाज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते थे। इस दौरान ओमकार की बहन ने नौकरी करते हुए परिवार का जिम्मा अपने कंधों पर संभाला हुआ था और इस दौरान ओमकार अपने माता-पिता की देखभाल के लिए घर पर रुका करते थे।
घर के इन हालातों के चलते ओमकार की पढ़ाई भी पूरी तरह छूट गई थी। इसी बीच बीमारी से लड़ते हुए उनकी माँ का देहांत हो गया। ओमकार के पिता बचपन से ही पोलियो से ग्रसित थे और माँ के देहांत के कुछ समय बाद ही उनके पिता का भी निधन हो गया था।
300 रुपये से शुरू किया व्यापार
माँ से मिले खाना बनाने के हुनर का इस्तेमाल करते हुए लॉकडाउन के दौरान ही ओमकार ने वडापाव का ठेला लगाने का निर्णय लिया, हालांकि इस दौरान उनके पास इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए महज 300 रुपये की कुल जमा पूंजी थी। इस दौरान ओमकार को उनके दोस्तों का काफी समर्थन हासिल हुआ। ओमकार के दोस्त आज भी उनके द्वारा बनाए गए वडापाव को डिलीवर करने का काम किया करते हैं।
आज अपनी दुकान बंद करने से पहले ओमकार के पास जो भी वड़ापाव बच जाते हैं वे उन्हें गरीब लोगों में बाँट देते हैं। ओमकार कहते हैं कि आज अगर उनके माता-पिता उन्हें मेहनत करते और सफल होते देखते तो उन्हें गर्व महसूस होता।
नौकरी की जगह चुना व्यवसाय
ओमकार के अनुसार शुरुआत में उनकी बहन ने उन्हें नौकरी करने का सुझाव दिया लेकिन इस दौरान ओमकार नौकरी न कर अपना व्यवसाय करना चाहते थे। ओमकार के अनुसार उन्हें खाना बनाने में संतुष्टि मिलती है इसलिए उन्होने वडापाव का स्टॉल लगाना चुना।
अब आगे ओमकार होटल मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहते हैं और वे इसके लिए पैसे भी बचा रहे हैं। आज अपने हर एक ऑर्डर को पैक करते हुए ओमकार अपने ग्राहकों के लिए पैकेट पर धन्यवाद देते हुए संदेश भी लिखते हैं। भविष्य में ओमकार वृद्धजनों की भलाई के लिए भी काम करना चाहते हैं।
Edited by Ranjana Tripathi