लॉकडाउन का एक साल: कोरोना महामारी से एडटेक सेक्टर में आया जबरदस्त उछाल, इन 10 देसी स्टार्टअप को खूब हुआ फायदा
इस बात में कोई शक नहीं है कि मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद से देश के एडटेक सेक्टर में जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिली है। यहां तक कि इस सेक्टर के कुछ फाउंडर्स का मानना है कोरोना ने एडुटेक सेक्टर को वही उछाल दी है, जैसी नोटबंदी से फिनटेक सेक्टर को मिली थी।
महामारी को आए 12 महीने से अधिक का समय हो गया है। इस दौरान ऑनलाइन एजुकेशन (एडटेक) को ना सिर्फ सबसे अधिक यूजर्स ग्रोथ और वीसी फंडिंग मिली, बल्कि ट्विटर ट्रेंड्स और गूगल सर्च में भी यह शीर्ष पर रही।
गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच 'एडटेक' सर्च करने वालों लोगों में 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यहां तक कि इस सेक्टर की बायजू, वेदांतु, टॉपर सहित तमाम कंपनियों को सर्च करने वालों की संख्या भी खूब बढ़ी। भारत में स्कूल जाने वाले छात्रों की संख्या करीब 26.5 करोड़ है, जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक है।
बार्क इंडिया और निल्सन की एक संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के पहले तीन महीनों में एजुकेशन ऐप्स पर बिताए जाने वाले समय में 30% प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
एडटेक को मिलने वाली फंडिंग भी बढ़ी हैं। प्राइवेट इक्विटी एंड वेंचर कैपिटल एसोसिएशन (IVCA) के मुताबिक, 2019 में इस सेक्टर को 52.2 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली थी, जो 2020 में बढ़कर 2.2 अरब डॉलर पर पहुंच गई। सिर्फ पहले से मौजूद एडटेक स्टार्टअप्स ही नहीं फले-फूले, बल्कि महामारी से पैदा हुए 'नए हालात' को देखते हुए कई नए ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म भी लॉन्च हुए।
सबसे अधिक प्रोडक्ट और प्लेटफॉर्म इनोवेशन K-12 (केजी से बारहवीं तक के स्टूडेंट्स वाले) सेगमेंट में देखे गए। एडटेक सेक्टर में सबसे अधिक छात्रों (टारगेट कस्टमर्स) संख्या इसी सेगमेंट में हैं। भारत में 15 लाख से अधिक स्कूल हैं, लेकिन अगर डिजिटल स्कूलों की बात करें तो इनकी संख्या 20 हजार से भी कम है।
ऐसे में स्कूलों को ऑफलाइन से ऑनलाइन होने में मदद करने के लिए एडटेक स्टार्टअप्स में होड़ लगी है।
केपीएमजी के एक आकलन के मुताबिक भारत में 3,500 से अधिक एडटेक स्टार्टअप हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक भारत का एडटेक खर्च 2030 तक बढ़कर 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।
पहले जिन स्टार्टअप्स को अधिक दाम या कम जागरूकता के कारण यूजर्स को आकर्षित करने में संघर्ष करना पड़ता था, उनके प्लेटफॉर्म पर अब यूजर्स ट्रैफिक, एगेंजमेंट और रिन्यूअल में मजबूत वृद्धि देखने को मिल रही। साथ ही ई-लर्निंग के भविष्य को लेकर संशक के बादल भी छंट गए हैं और अब यह मुख्यधारा में आ गया है।
यहां भारत के 10 ऐसे ही एडटेक स्टार्टअप्स के बारे में जानकारी दी जा रही हैं, जिनके लिए पिछला साल काफी शानदार रहा।
BYJU’S
दुनिया का सबसे अधिक वैल्यूएशन वाला एडटेक स्टार्टअप निश्चित तौर पर एक दिन में नहीं बना होगा। हालांकि महामारी ने निश्चित ही इसकी ग्रोथ को तेज किया है। 2020 में बायजू ने रिकॉर्ड फंड्स जुटाया और एक डीकॉर्न कंपनी बन गई। इसने इस सेगमेंट की कंपनियों का अधिग्रहण किया और 4.5 करोड़ नए यूजर्स जोड़े।
लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में बेंगलुरु मुख्यालय वाली इस कंपनी ने अपने सभी कंटेंट फ्री कर दिए थे। साथ ही इसने पहली बार 'लाइव क्लास' नाम के एक नए फीचर को शामिल किया। इसका मकसद बच्चों को क्लासरूम जैसा माहौल देना था, जहां बच्चे स्कूल की तरह ही नियमित अंतराल पर अलग-अलग क्लास अटेंड कर सकें। अप्रैल में बायजू ने 350 करोड़ का रिकॉर्ड रेवेन्यू दर्ज किया था।
कंपनी के फाउंडर और सीईओ ने योर स्टोरी को बताया, “हम भाग्यशाली हैं कि हम इस समय ऐसे बिजनेस में है, जिसकी अब सकारात्मक प्रासंगिकता है। यह एक स्पष्ट बदलाव बिंदु हैं, इसलिए आमदनी में भी सुधार हुआ है। इस क्षेत्र की अच्छी कंपनियां अपने विकास में गजब का उछाल देखेंगी।"
कंपनी की को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ ने बताया, "हमने अब तक ऐप में जितने अपडेट किए थे, उसके कई अधिक अपडेट पिछले तीन हफ्ते में कर चुके हैं।"
Vedantu
K-12 सेगमेंट की कई अन्य स्टार्टअप्स की तरह वेदांतु ने भी अप्रैल में अपनी सभी लाइव क्लासेज को मुफ्त कर दिया था। स्टूडेंट्स की इसके लाइव ट्यूशनिंग प्लेटफॉर्म (वीएवी) पर क्लासेज, टेस्ट्स, किसी प्रश्न को लेकर शंका दूर करना, नोट्स, अध्ययन सामग्री, रिकॉर्ड किए गए सेशन आदि सामग्री तक असीमित पहुंच थी।
कंपनी के इस फैसले से उसके प्लेटफॉर्म पर प्राइमरी-ग्रेड और मिडिल-ग्रेड के बच्चों के एगेंजमेंट स्कोर में स्पष्ट सुधार हुआ। अप्रैल से मई 2020 के बीच बेंगलुरु मुख्यालय वाले स्टार्टअप के सभी चैनलों को मिलाकर कुल अरब मिनट तक देखा गया और इसकी रेवेन्यू में 80 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह पिछले ढाई सालों में दर्ज की गई कंपनी की अब तक सर्वाधिक ग्रोथ है।
मई के बाद स्कूलों ने भी जब अपने ऑनलाइन क्लासेज शुरू कर दिए, तब वेंदातु की ओर से ऑफर किए जाने वाले लाइव ट्यूटोरिंग में छात्रों को स्क्रीन से होने वाली थकान का सामना करना पड़ता था।
इस समस्या को दूर करने के लिए प्लेटफॉर्म ने अपनी क्लासेज में एक नया फीचर्स को शामिल किया, जिसके तहत एक नियमित समय के बाद टीचर्स को आंखों की एक्सरसाइज करने और स्टूडेंट्स के बीच मजेदार एक्टिविटीज कराने के निर्देश दिए जाते हैं।
वेदांतु के को-फाउंडर और सीईओ वाम्सी कृष्णा ने फ्यूचर ऑफ वर्क 2021 कॉन्फ्रेंस में योरस्टोरी को बताया, "पहले ऑनलाइन एजुकेशन को पैरेंट्स और छात्र गंभीरता से नहीं लेते थे। हालांकि 2020 में ऑनलाइन ही इकलौता विकल्प बन गया। अब हमें पैरेंट्स के दृष्टिकोण में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर लोगों के नजरिए में बदलाव आया है और काफी संख्या में अभिभावक अब लर्निंग और टीचिंग के इस नए तरीके पर भरोसा करने लगे हैं।"
ConveGenius
नोएडा मुख्यालय वाली एडटेक स्टार्टअप कॉन्वीजिनियस की शुरुआत बजट स्कूलों में टैबलेट-आधारित लर्निंग की सुविधा ऑफर से हुई थी। कंपनी ने इस दौरान कई उपलब्धियों को हासिल किया और अब वॉट्सऐप पर चैटबॉट की मदद से छात्रों को व्यक्तिगत लर्निंग ऑफर करती है।
जून 2020 के बाद से इसके यूजर्स की संख्या 5 लाख से बढ़कर 1 करोड़ तक पहुंच गई है। साथ ही कंपनी अंतिम पायदान पर मौजूद 10 करोड़ स्कूली छात्रों तक शिक्षा को पहुंचा रही है।
स्टार्टअप ने अपना खुद का व्हाट्सएप एपीआई को जोड़ा है और यूजर्स को सीखने के लिए हर सप्ताह व्हाट्सऐप के जरिए छोटे-छोटे मॉड्यूल और पाठ्यक्रम सामग्री मुहैया करा रहा है। कॉन्वीजीनियस की योजना 2021 के अंत तक 4-5 करोड़ छात्रों तक पहुंचने की है।
कॉन्वीजीनियस के फाउंडर और सीईओ जयराज भट्टाचार्य ने योरस्टोरी को बताया, “कोरोना के बाद नजरिया बदला है। कस्टमर्स, पैरेंट्स आधारित प्रॉडक्ट को देखने के लिए तैयार थे क्योंकि पैरेंट्स भी घर पर ही थे और बच्चे सीखने के लिए उनके फोन का इस्तेमाल कर सकते थे। हम हमेशा बी2बी की जगह बी2सी सेगमेंट में जाना चाहते थे और हमारे लिए यह सही समय था।"
Toppr
K-12 सेगमेंट की अहम स्टार्टअप में से एक, टॉपर ने लॉकडाउन के दौरान अपनी सभी ऑनलाइन क्लासेज को फ्री कर दिया था। इसके चलते यूजर्स ट्रैफिक में 9 गुना वृद्धि देखी गई। साथ ही स्टार्टअप ने इस दौरान तेजी से कई नए प्रोडक्ट को भी लॉन्च किया, जिसमें- स्कूल ओएस, टॉपर कोडर, टॉपर आंसर आदि प्रमुख हैं। इन सबसे के चलते 2020 के अंत तक कंपनी का यूजर बेस बढ़कर 3.5 करोड़ पहुंच गया, जो 2019 में 60-70 के आसपास था। मुंबई मुख्यालय वाली इस स्टार्टअप के यूजर्स इंगेजमेंट में 600 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
टॉपर के फाउंडर और सीईओ, जीशान हयात ने योरस्टोरी को बताया, "यह सब इसलिए संभव हो पाया क्योंकि हम अपने प्लेटफॉर्म पर सबकुछ ऑफर कर रहे थे। जैसे- वीडियो क्लासेज, लाइव कक्षाएं, अभ्यास, टेस्ट सीरीज, शंकाओं को दूर करना, आदि। यहां सभी मिलकर सीखने का एक पूर्व अनुभव दे रहे थे, जिसका टॉपर ने शुरुआत से ही वकालत की है।"
टॉपर का लक्ष्य साल के अंत तक 10 लाख डेली यूजर्स तक पहुंचना और अपने स्कूल ओएस प्लेटफॉर्म पर करीब 50 शहरों के 3,000 स्कूलों को जोड़ना है। इसके अलावा कथित तौर बायजू के साथ इसकी 15 करोड़ डॉलर में बिक्री के लिए बातचीत भी चल रही है।
Edumarshal
नोएडा स्थित एडुमर्शल एक ईआरपी सॉफ्टवेयर चलाती है जो स्कूल से संबंधित सभी कार्यों की निगरानी और मैनेज करती है। स्कूल अपनी एडमिशन से पूर्व पूछताछ, स्टूडेंट्स का एडमिशन, परीक्षाएं, रिपोर्ट की ग्रेडिंग और आकलन करना, टीचर-पैरेंट के बीच बातचीत, फीस कलेक्शन, लाइब्रेरी और हॉस्टल का मैनेजमेंट, गेट और विजिटर मैनेजमेंट और इस तरह की दूसरी तमाम मैनुअल प्रक्रियाओं को भी स्वचालित कर सकते हैं।
एडटेक स्टार्टअप ने एक इंडीग्रेटेड एलएमएस प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जो किसी को भी वर्चुअल स्कूल चलाने की सुविधा देता है। इसमें लाइव लेक्चर्स, ऑनलाइन क्लासेज, ई-पुस्तकों के माध्यम से सामग्री की मेजबानी, सत्र रिकॉर्डिंग, वास्तविक समय में चैट, विषय-आधारित चर्चा मंच, वास्तविक समय में छात्रों से सहयोग जैसे कई फीचर्स शामिल हैं।
नए लॉन्च हुए प्रोडक्ट की मदद से इसने स्कूलों को ऑनलाइन सेवा शुरू करने में सहायता की, जिसके चलते लॉकडाउन के दौरान इसमें 250 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। कंपनी के को-फाउंडर और सीईओ गौरव कुमार ने योरस्टोरी को बताया, “हम करीब छह से आठ महीनों से इस ऐड-ऑन प्रोडक्ट को विकसित कर रहे थे और लॉकडाउन शुरू होने के बाद हमने 50 से अधिक स्कूलों के साथ करार किया। वीडियो-आधारित LMS वास्तविक कक्षा के वातावरण की नकल करके एक सहज अनुभव प्रदान करता है। इससे छात्रों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहती है।”
Precisely
प्रीसाइजली पहले इंटर्नशिप एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म के रूप में काम करती थी, जो भारतीय छात्रों को ग्लोबल मेंटर्स, विशेषज्ञों, फेलोशिप, कॉन्फ्रेंस से जोड़ती थी और नेटवर्किंग के अवसर मुहैया कराती थी। हालांकि लॉकडाउन के बाद यह छोटे शहरों के ट्यूशन टीचर्स और कोचिंग सेंटरों को ऑफलाइन से ऑनलाइन बनने में मदद करते लगी।
दिल्ली मुख्यालय वाली इस स्टार्टअप ने 'लर्नेज' लॉन्च किया। यह एक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम था, जिसमें लाइव क्लासेज, वीडियो लेक्चर्स, असाइनमेंट सबमिशन, शेड्यूलिंग, टेस्ट प्रिपरेशन कंटेंट सहित कई फीचर्स शामिल थे। टीचर्स एक निश्चित फीस देने के बाद अपने कोर्सेज को रिकॉर्ड और प्लेलिस्ट के तौर पर अपलोड भी कर सकते हैं। लर्नेज 21 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करती हैं।
फरवरी से सितंबर 2020 के बीच, 65 हजार से अधिक छात्र लर्नेज से जुड़े। प्लेटफॉर्म पर 4,000 से अधिक छोटे और मध्यम आकार के कोचिंग सेंटरों ने साइन-अप किए। खासतौर से जयपुर, इंदौर, सूरत, पटना, लखनऊ और कानपुर जैसे टियर II शहरों के कोचिंग सेंटरों ने। कंपनी की जैसी ग्रोथ है, उसके मुताबिक जून 2021 इसकी यूजर्स संख्या 10 लाख पहुंच सकती है।
प्रीसाइजली के को-फाउंडर और डायरेक्टर, कीर्ति कृष्ण ने योर स्टोरी को बताया, "हम दूसरी कंपनियों के मुकाबले केवल 35-40 प्रतिशत ही शुल्क लेते हैं। साथ ही, हमारा प्लेटफॉर्म जूम से 30 प्रतिशत सस्ता हैं। इससे हमें तेजी से बढ़ने और उत्पाद अपनाने में मदद मिली। हमारे सालाना वृद्धि दर में 55 प्रतिशत की ग्रोथ है।
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एड्यूटिंकर महामारी के दौरान शुरू हुए कई एडटेक स्टार्टअप्स में से एक है। यह सिंगापुर आधारित स्टार्टअप है, जिसका एक ऑफिस दिल्ली में है। इसने अपना कामकाज जुलाई 2020 में शुरू किया और नवंबर में अपने वन स्टॉप स्टूडेंट मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया। कंपनी का लक्ष्य 2021 तक 5 लाख यूजर्स को जोड़ने का है।
एड्यूटिंकर दूरस्थ शिक्षा में अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की जरूरत को समाप्त करने की दिशा में काम करता है, जिससे तुरंत बड़े पैमाने पर पहुंच को सक्षम किया जा सके।
यह स्कूलों के लिए और कोचिंग सेंटरों के ERP समाधान के साथ एक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (LMS) को मिश्रित करता है। इसकी मदद से शिक्षक या ट्यूटर लाइव कक्षाओं को शेड्यूल कर सकते हैं, ऑटो-मार्क अटेंडेंस बना सकते हैं, दैनिक समय सारणी बना सकते हैं, असाइनमेंट और को दे और उसका आकलन कर सकते हैं, ग्रेड ऑनलाइन टेस्ट दे सकते हैं, अध्ययन सामग्री साझा कर सकते हैं, साथ ही कोलैबोरेटिव व्हाइटबोर्ड जैसी सुविधाओं का उपयोग करके रियल-टाइम में छात्रों और अभिभावकों के साथ कक्षा की बातचीत को बढ़ावा दे सकते हैं।
एड्यूटिंकर के फाउंडर और सीईओ आकाश अग्रवाल ने योरस्टोरी को बताया, “शिक्षक विभिन्न गतिविधियों और कक्षाओं के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग कर रहे थे। वे ईमेल पर असाइनमेंट शेयर करते थे, व्हाट्सएप पर एक दूसरे से बातचीत करते थे और कुछ दूसरे प्लेटफॉर्म पर वीडियो कक्षाएं चलाते थे। इसमें बहुत सारे मैनुअल काम शामिल थे। इसलिए, हमने एक एकीकृत प्लेटफॉर्म बनाया, जो एक ही डैशबोर्ड के तहत इन सभी गतिविधियों को व्यवस्थित और स्वचालित कर सकता है, और शिक्षकों और छात्रों की उत्पादकता को बढ़ा सकता है।"
mPowerO
ई-लर्निंग सॉल्यूशंस और लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम की बढ़ती मांग को भुनाने के लिए हैदराबाद की स्किलिंग कंपनी स्किलप्रो ने मई 2020 में एमपावरओ को लॉन्च किया।
एमपावरओ, शैक्षिक संस्थानों के लिए एक सास-आधारित लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम जो उन्हें मोबाइल और वेब पर छात्रों को प्रशिक्षित करने में मदद करता है।
प्लेटफॉर्म का फोकस सीखने की सामग्री से अधिक वितरण क्षमता पर है। स्कूल क्लाउड-आधारित सॉल्यूशंस का उपयोग करके अपना खुद का एप्लिकेशन का बना सकते हैं, और एमपावरओ इस सबमें होस्टिंग, वितरण, ऐप लिस्टिंग और कंटेंट डिलीवरी आदि का ध्यान रखता है।
यह प्लेटफॉर्म मूल रूप से लर्निंग की निरंतरता को बनाए रखने और ऑनलाइन कक्षाओं को बढ़ाने में स्कूलों की मदद करता है।
एमपावर के फाउंडर (और स्किलप्रो के चेयरमैन) अनंत राव ने योरस्टोरी को बताया, “स्किलप्रो से ही हम समझ गए थे कि लर्निंग कैसे होती है। हमने सोचा कि अगर हम इसका फायदा उठाए तो हम टियर II और III शहरों पर फोकस करते हुए स्कूलों और कॉलेजों को इंटरप्राइज-ग्रेड सॉल्यूशंस मुहैया करा सकते हैं। क्लासरूम के विकल्प के तौर पर नहीं, बल्कि कुछ ऐसा जो उसका पूरक हो और स्कूलों व छात्रों को कहीं भी, कभी भी मोबाइल पर पढ़ाने में सक्षम बनाता हो।”
Codingal
कोडिंगल की शुरूआत जुलाई 2020 में हुई। संयोग से यह वही समय था जब देश के एडटेक सेक्टर में कोडिंग को लेकर तेजी से लोगों की दिलचस्पी बढ़ी। बेंगलुरु मुख्यालय वाली यह स्टार्टअप K-12 छात्रों को एक मजेदार तरीके से लाइव कोडिंग और STEM विषयों को सीखने का प्लेटफॉर्म मुहैया कराती है।
स्टार्टअप तीन तरह के पाठ्यक्रम ऑफर करकी हैं: ब्लॉक कोडिंग (कक्षा 1 से 5), वेब डेवलपमेंट (कक्षा 6 से 8), और पायथन एंड रोबोटिक्स (कक्षा 9 से 12)।
पांच महीनों में, कोडिंगल ने 40,000 से अधिक छात्रों का रजिस्टर किया और 6,000+ लाइव कक्षाएं आयोजित कीं। इससे पहले फरवरी में कंपनी ने सिलिकॉन वैली-आधारित एक्सीलेटर स्टार्टअप से अघोषित फंड हासिल करने के बाद में 'वाई कॉम्बीनेटर्स विंटर बैच 2021' को भी शुरू किया।
कोडिंगल के फाउंडर और सीईओ विवेक प्रकाश ने योरस्टोरी को बताया, “अमेरिका और चीन के स्कूलों में K-12 छात्रों के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित कंप्यूटर साइंस फ्रेमवर्क है। लेकिन, भारत में स्कूल पाठ्यक्रम उबाऊ और पुराना है। इसने मेरे विश्वास की पुष्टि किया कि यह ऐसा सेक्टर है, जहां मैं अपना समय लगा सकता हूं। [क्योंकि] कोडिंग से जुड़ी नौकरियां ही भविष्य हैं। अभी से ही साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स से जुड़ी सभी भूमिकाओं के 60 प्रतिशत से अधिक में इनका हिस्सा है। हम कोडिंगल की कल्पना हम उन सभी बच्चों के लिए डिफॉल्ट खेल के मैदान में करते हैं, जिनकी दिलचस्पी ऐप्स, गेम्स और वेबसाइटों के निर्माण से जुड़े कंप्यूटर विज्ञान को सीखने में है।”
MyCaptain
आईआईए-बी कैपंस से शुरु हुआ स्टार्टअप मायकैप्टन, एक ऑनलाइन मेंटरिंग प्लेटफॉर्म है। यह छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों के डोमेन विशेषज्ञों और पेशेवरों के साथ जोड़ता है। लॉकडाउन के दौरान इसके यूजर्स संख्या में तेज बढ़ोतरी देखी गई। हाई-स्कूल के छात्रों से लेकर अंडरग्रैजुएट्स और कामकाजी पेशेवरों तक के प्लेटफॉर्म पर साइन-अप में वृद्धि देखी गई।
मायकैप्टन के को-फाउंडर और सीईओ मोहम्मद जीशान ने योरस्टोरी को बताया, “कोरोना काल के पहले और बाद के बीच, हमने एनरोलमेंट्स दोगुना कर दिया था। कोरोना को आप एडटेक सेक्टर के लिए नोटबंदी जैसा था। पहले कॉलेज और विश्वविद्यालयों की ओर से ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का विरोध किया जाता था। हालांकि अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है और मांग में अपने आप वृद्धि हुई है। अब, विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा की स्वीकार्यता है।"
बेंगलुरु मुख्यालय वाला यह स्टार्टअप पहले बी2सी पर केंद्रित था, जो अब बी2बी सेगमेंट पर अधिक तेजी से बढ़ रहा है। जीशान ने बताया, “यहां से बी2बी परिदृश्य तेजी से बदलने जा रहा है। पहले, बी2बी सेगमेंट में एक डील को पूरा करने में लगभग डेढ़ साल लगता था। लेकिन अब इसमें तीन से चार महीने लगेंगे और यह सेगमेंट विकसित हो रहा है।”