बड़ी घोषणाः भारत में बिजनेस करना हुआ और आसान, सिर्फ PAN कार्ड देने से हो जाएंगे सारे काम
इस समय बिजनेसेज को क्लीयरेंस लेने के लिए राज्य स्तर पर अलग-अलग मंत्रालयों और डिपार्टमेंट से जुड़ी 13 आईडी देनी पड़ती हैं. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्रालय राजस्व विभाग से संपर्क भी कर चुका है.
सरकार व्यवसायों को केंद्र और राज्यों के विभागों की ओर से कई मंजूरियों और अप्रूवल के लिए नैशनल सिंगल विडो सिस्टम (NSWS) के तहत आवेदन करने के लिए अन्य डेटा के स्थान पर परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन कार्ड (PAN Card) के इस्तेमाल की इजाजत देने पर विचार कर रही है.
इस समय क्लीयरेंस लेने के लिए राज्य स्तर पर अलग-अलग मंत्रालयों और डिपार्टमेंट से जुड़ी 13 आईडी देनी पड़ती हैं. इस बारे में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्रालय राजस्व विभाग से संपर्क भी कर चुका है.
गोयल ने कहा, हम मौजूदा डेटाबेस में से एक को ही एंट्री पॉइंट के रूप में उपयोग करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जो पहले से ही सरकार के पास उपलब्ध है. काफी संभावना है कि यह पैन नंबर होगा.
पैन के साथ कंपनी, उसके निदेशकों, पते और बहुत सारे सामान्य डेटा के बारे में बहुत सारे बुनियादी डेटा पहले से ही पैन डेटाबेस में उपलब्ध हैं. इस तरह कई अन्य तरह की आईडी की जरूरत खत्म हो जाएगी.
आपको बता दें कि नैशनल सिंगल विंडो सिस्टम एक ऐसा डिजिटल प्लैटफॉर्म है जो लोगों की कमर्शल जरूरतों की पहचान करने और उसके लिए जरूरी अप्रूवल के लिए आवेदन करने में मार्गदर्शन करने में मदद करता है.
नो योर अप्रूवल्स (KYA) मॉड्यूल में 32 केंद्रीय विभागों और 31 राज्यों के लिए मार्गदर्शन शामिल है. NSWS पोर्टल फिलहाल 248 गवर्नमेंट टू बिजनेस क्लीयरेंस, 26 सेंट्रल विभागों और 16 राज्य सरकारों से अप्रूवल के लिए एप्लीकेशंस को होस्ट करता है.
इसका पहल का मकसद व्यवसायों के लिए प्रक्रिया को थोड़ा आसान बनाना है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह डुप्लीकेशन को रोकेगा, सिस्टम पर प्राप्त होने वाले अन्य आवेदन फॉर्म को ऑटो पॉप्युलेट करने में मदद करेगा. अप्रूवल की प्रक्रिया में लगने वाला समय भी बढ़ेगा.
आंध्र प्रदेश, बिहार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और कर्नाटक जैसे 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही इस सिस्टम को लागू कर दिया है. इस सिस्टम को पिछले साल सितंबर में लॉन्च किया गया था और यह अभी बीटा टेस्टिंग स्टेज में है.
गोयल ने ये भी बताया कि मौजूदा समय में बिजनेसेज स्क्रैपेज पॉलिसी, एथेनॉल पॉलिसी, हॉलमार्किंग ऑप जूलरी, पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गजाइनेशन (PESO) समेत कई और अलग-अलग नीतियों के लिए मंजूरी ले रहे हैं.
गोयल ने कहा कि हम निरीक्षण अप्रूवल, कंट्री ऑफ ओरिजिन अप्रूवल और एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऐप्लिकेशन जैसे नए क्षेत्रों में भी जाएंगे. अगले स्टेज में NSWS में ये सभी मंजूरियां भी उपलब्ध होंगी.
Edited by Upasana