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महिलाओं को दोपहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग देकर उन्हे सक्षम बना रही हैं पवनी

महिलाओं को दोपहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग देकर उन्हे सक्षम बना रही हैं पवनी

Monday February 03, 2020 , 3 min Read

पवनी द्वारा स्थापित आत्मनिर्भर संस्था महिलाओं को दोपहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग देकर उन्हे आत्मनिर्भर बना रही है। यह संस्था अपने इस काम से राजस्व प्राप्ति भी कर रही है।

महिलाओं को दोपहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग दे रही हैं पवनी।

महिलाओं को दोपहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग दे रही हैं पवनी।



मथुरा में महिलाओं को दो पहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए आत्म निर्भर नाम की संस्था की संस्थापक पवनी खंडेलवाल के अनुसार इस गहनशीलता के जमाने में भी महिलाएं बाहर जाने के लिए आज दूसरों पर निर्भर हैं। महिलाएं इस संबंध में एक तरह से दिव्यांग हैं।


महानगरों में महिलाओं के लिए स्कूटर की सवारी एक आवश्यकता बन गई है, लेकिन जैसा कि हम टियर 2 या 3 शहरों की ओर बढ़ते हैं वहाँ स्थिति समान नहीं है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में महिला ड्राइवरों की संख्या काफी कम है और सभी के पास इस अवसर तक पहुंच नहीं है।


द लॉजिकल इंडियन की रिपोर्ट के अनुसार, आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर मथुरा में एक सामाजिक उपक्रम है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए एक समुदाय का निर्माण करना है। यह नवंबर 2017 में 25 साल की पवनी  द्वारा शुरू किया गया था और वर्तमान में मथुरा, भरतपुर और जयपुर में महिला प्रशिक्षकों द्वारा चलाया जाता है।


आत्मनिर्भर संस्था महिलाओं के लिए 10 दिन की कार्यशाला का आयोजन करती है। इसके तहत उन महिलाओं को दोपहिया वाहन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिन्होने कभी साइकल भी नहीं चलाई है।


द लॉजिकल इंडियन से बात करते हुए, पवनी ने कहा,

"मैंने हमेशा एक दोपहिया वाहन चली, लेकिन मुझे इस गतिशीलता का फायदा कभी महसूस नहीं हुआ। मुझे याद है कि मेरी माँ ने स्कूटी चलाना कैसे सीखा, तभी मुझे एहसास हुआ कि यह वास्तव में हो सकता है। लोगों के जीवन पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। मुझे याद है कि उन्होने मुझे बताया कि सवारी करने में सक्षम होना कैसा लगता है, जैसे आपको पंख मिल गए हों।"

पवनी अपने गृह नगर मथुरा में एक रॉयल एनफील्ड डेजर्ट स्टॉर्म की सवारी करती थीं। जल्द ही उन्हे आत्म निर्भर शुरू करने का विचार आया, जब उन्होने समझा कि महिलाओं के लिए वाहन स्वतंत्रता कितनी महत्वपूर्ण है।


पवनी ने कहा,

"मैंने इसे व्यवसाय के अवसर के रूप में देखा या ऐसा कुछ किया जो बड़े पैमाने पर किया जा सकता था जब। कई महिलाओं ने दोपहिया वाहन चलाना और स्वतंत्र होना सीखने में अपनी रुचि दिखाई उस समय यह बदलाव का अवसर था।"

बेहद कम पूंजी से शुरू हुआ यह उपक्रम आज राजस्व की भी प्राप्ति कर रहा है। इस पहल को उत्तर प्रदेश राज्य के परिवहन मंत्रालय और केंद्र सरकार के "स्टार्ट-अप इंडिया" कार्यक्रम ने भी मान्यता दी है। आत्मनिर्भर अब उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अन्य शहरों तक विस्तार करने की तरफ बढ़ रहा है।