पेट्रोल-डीजल की हो जाएगी छुट्टी! आ गई हाइड्रोजन ईंधन पर चलने वाली बस
आज सड़क पर चलते पेट्रोल और डीजल संचालित वाहन बड़े स्तर पर कार्बन उत्सर्जन कर पर्यावरण को घातक ढंग से प्रभावित कर रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार बायो फ्यूल और हाइड्रोजन फ्यूल को वाहनों के लिए निकट भविष्य में ईंधन के रूप में अपनाने की बात करती रही है। यह बात और है कि फिलहाल इस तरह के ईंधन से चलने वाले वाहन अभी बड़ी संख्या में सड़कों पर नहीं उतरे हैं।
इस बीच इनोवेशन लैब सेंटिएंट ने देश की पहली स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस लॉन्च की है। बसों और ट्रकों के अलावा इस लैब ने पानी के जहाजों को भी यह तकनीक उपलब्ध करानी शुरू कर दी है।
‘मेड इन इंडिया’ पहल
पुणे स्थित सेंटिएंट लैब्स ने बीते बुधवार को अपनी 'मेड इन इंडिया' हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस लॉन्च करने की घोषणा की थी। 32 सीटर इस बस में सेंट्रल एयर कंडीशनिंग जैसी सुविधाएं भी मौजूद हैं और इसे 30 किलो हाइड्रोजन का उपयोग करके 450 किलोमीटर की दूरी तय कर सकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
हाइड्रोजन ईंधन सेल से चलने वाली इस बस को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला और केंद्रीय विद्युत रासायनिक अनुसंधान संस्थान के सहयोग से इस लैब ने डिजाइन और विकसित किया है।
कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी
गौरतलब है कि इस बस के मॉड्यूलर आर्किटेक्चर को इस तरह तैयार किया गया है कि इसे इसकी रेंज और ऑपरेरिंग कंडीशन की आवश्यकताओं के अनुसार मॉडिफाई कर इसकी डिजाइन में बदलाव किया जा सकता है।
जरूरी बिजली पैदा करने के लिए बस हाइड्रोजन ईंधन सेल और हवा का इस्तेमाल करती है। उत्सर्जन के रूप में बस से सिर्फ पानी निकलता है। इस तरह से यह बस परिवहन के लिहाज से पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। मालूम हो कि एक सामान्य डीजल बस हर साल औसतन करीब सौ टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है, जो पर्यावरण की दृष्टि से काफी चिंताजनक है।
इसी के साथ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस 'मेड इन इंडिया' ईंधन टेक्नालजी की कीमत दुनिया भर में करीब 1 हज़ार डॉलर की तुलना में लगभग 400 डॉलर प्रति किलोवाट होगी। इस वैकल्पिक तकनीक के साथ हवा की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ देश में लगातार बढ़ती तेल की आसमान छूती कीमतों में भी कमी आ सकती है।
किसानों को भी हो सकता है फायदा
अब सेंटिएंट लैब्स हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए भारतीय ऑटोमोटिव ओईएम और फ्लीट ऑपरेशंस के साथ भी बातचीत कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस तकनीक के जरिये देश में सड़कों पर चलने वाली 20 लाख बसों में से कम से कम 5 लाख बसों को ईंधन सेल से चलने वाले वाहनों में बदला जा सकता है।
इसके पहले सेंटिएंट लैब्स को कृषि अवशेषों से हाइड्रोजन को हासिल करने की खोज के लिए भी जाना जाता है, जिसका उपयोग ईंधन सेल से चलने वाले वाहनों में किया जा सकता है। ऐसे में हाइड्रोजन उत्पादन तकनीक किसानों को भी राजस्व का एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान कर सकती है।
Edited by Ranjana Tripathi