PhonePe ने जुटाई 28.5 अरब रुपये की फंडिंग, डेकाकॉर्न लिस्ट में हुआ शामिल
इस फंडिंग राउंड के साथ PhonePe ने 2020 में 4.5 खरब रुपये (5.5 अरब डॉलर) से अपने वैल्यूएशन को दोगुना से अधिक कर लिया है. 12 अरब डॉलर के वैल्यूएशन के साथ PhonePe अब यूनिकॉन से डेकाकॉर्न बन गया है.
वॉलमार्ट
के स्वामित्व वाले डिजिटल पेमेंट ऐप फोनपे ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने करीब 10 खरब रुपये (12 अरब अमेरिकी डॉलर) की वैल्यूएशन पर 28.5 अरब रुपये (35 करोड़ डॉलर) जुटाए हैं. इस फंडिंग राउंड की अगुवाई प्राइवेट इक्विटी फर्म जनरल अटलांटिक ने की. फोनपे ने एक बयान में कहा, ”मार्की ग्लोबल और भारतीय निवेशक भी इस दौर में भाग ले रहे हैं.”PhonePe को मिली यह फंडिंग उसकी 81.37 अरब रुपये (1 अरब डॉलर) जुटाने के लिए इस महीने शुरू होने वाले फंडिंग राउंड की पहली किस्त है. इस फंडिंग राउंड के साथ PhonePe ने 2020 में 4.5 खरब रुपये (5.5 अरब डॉलर) से अपने वैल्यूएशन को दोगुना से अधिक कर लिया है.
12 अरब डॉलर के वैल्यूएशन के साथ PhonePe अब यूनिकॉन से डेकाकॉर्न बन गया है. बता दें कि, 10 अरब डॉलर का वैल्यूएशन हासिल करने वाले स्टॉर्टअप को डेकाकॉर्न (decacorn) कहा जाता है.
फोनपे द्वारा पूंजी जुटाने की यह कवायद हाल ही में फ्लिपकार्ट
से पूरी तरह अलग होने के बाद शुरू हुई है. अमेरिकी खुदरा कंपनी वॉलमार्ट ने 2018 में फोनपे का स्वामित्व हासिल किया था.कंपनी ताजा जुटाई गई पूंजी से डेटा केंद्रों के विकास सहित बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश करने और देश में बड़े पैमाने पर वित्तीय सेवाएं मुहैया कराने की योजना बना रही है. इसके अलावा कंपनी बीमा, धन प्रबंधन और उधार देने सहित नए व्यवसायों में भी निवेश करना चाहती है.
दिसंबर 2015 में स्थापित फोनपे के 40 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं और 3.5 करोड़ से अधिक कारोबारी इससे जुड़े हैं. ये व्यापारी बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक फैले हैं. देशभर में फोनपे के लिए 3500 कर्मचारी काम कर रहे हैं.
कंपनी के संस्थापक और सीईओ समीर निगम ने कहा कि फोनपे एक भारतीय कंपनी है, जिसे भारतीयों ने बनाया है, और ताजा वित्त पोषण से बीमा, धन प्रबंधन और ऋण देने जैसे नए व्यावसायिक खंड में निवेश करने में मदद मिलेगी. साथ ही भारत में यूपीआई भुगतान के लिए वृद्धि की अगली लहर को भी बढ़ावा मिलेगा.
ऐसे हुई थी शुरुआत
बता दें कि, फोनपे की शुरुआत फ्लिपकार्ट छोड़कर आए तीन कर्मचारियों ने मिलकर की थी. 2015 में फोनपे को फाउंडर समीर निगम और राहुल चारी और कोफाउंडर बुर्जिन इंजीनियर ने मिलकर शुरू किया था.
जब कंपनी ने सफलता की उड़ान भरी तो उसके ठीक एक साल बाद साल 2016 में इसे खुद फ्लिपकार्ट ने खरीद लिया. फोनपे में फ्लिपकार्ट की 87 फीसदी हिस्सेदारी थी. हालांकि, पिछले साल दिसंबर में ही फ्लिपकार्ट और फोनपे ने अलग होने की प्रक्रिया पूरी कर ली और दोनों कंपनियां अमेरिका की खुदरा कंपनी वॉलमार्ट के तहत काम कर रही हैं. वहीं, फ्लिपकार्ट और फोनपे 40-40 करोड़ के यूजर्स के साथ अब भारतीय ब्रांड हैं.
फोनपे पिछले साल अक्टूबर महीने में अपने मुख्यालय को सिंगापुर से भारत लाने का ऐलान किया था. इसके तहत, फोनपे समूह के सभी कारोबार और इकाइयों को फोनपे प्राइवेट लि. इंडिया के अंतर्गत लाया गया था.
लॉन्चिंग के बाद कंपनी ने ऐप सिर्फ पेमेंट ही नहीं, दूसरी सर्विसेज को भी देना शुरू किया. इसमें फूड, रिचार्ज और ग्रोसरी की खरीदारी का भी विकल्प दिया. धीरे-धीरे इसमें इलेक्ट्रिक बिल्स और गैस बिल्स जैसी यूटिलिटी को शामिल किया गया. इसके अलावा इसमें कई सुविधाएं दी गईं. इस तरह फोनपे रोजमर्रा की जरूरत का अहम हिस्सा बन गया.
Edited by Vishal Jaiswal