पीएम मोदी ने अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण पर DRDO को बधाई दी
5000 किमी की मारक क्षमता वाली अग्नि-5, चीन के सबसे उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक क्षमता के अंतर्गत ला सकती है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की प्रशंसा की जो मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से लैस स्वदेश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का प्रथम उड़ान परीक्षण है.
प्रधानमंत्री ने ‘X’ पर पोस्ट किया: "मिशन दिव्यास्त्र के लिए डीआरडीओ के हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है जो मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से लैस स्वदेश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का प्रथम उड़ान परीक्षण है."
‘मिशन दिव्यास्त्र‘ नामक यह उड़ान परीक्षण ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया. विभिन्न टेलीमेट्री और रडार स्टेशनों ने अनेक री-एंट्री व्हीकल्स को ट्रैक और मॉनिटर किया. इस मिशन ने निर्दिष्ट मानकों को सफलतापूर्वक पूरा किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ‘मिशन दिव्यास्त्र‘ के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है.
उन्होंने कहा, इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक ही मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई हथियार तैनात कर सकती है.
सूत्रों ने बताया कि परियोजना निदेशक एक महिला है और इसमें महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है.
हथियार प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता सेंसर पैकेज से लैस है जो यह सुनिश्चित करती है कि पुनः प्रवेश करने वाले वाहन वांछित सटीकता के भीतर लक्ष्य बिंदुओं तक पहुंचें.
यह क्षमता भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति का प्रतीक है.
5000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-5 को देश की दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है. यह मिसाइल चीन के सबसे उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक क्षमता के अंतर्गत ला सकती है.
अग्नि 1 से 4 मिसाइलों की मारक क्षमता 700 किमी से 3,500 किमी तक है और इन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है.
भारत पृथ्वी की वायुमंडलीय सीमा के अंदर और बाहर शत्रुतापूर्ण बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की क्षमता विकसित कर रहा है.