पीएम मुद्रा योजना के तहत 18.60 लाख करोड़ रुपये के 34.42 करोड़ से अधिक ऋण खाते खोले गए: वित्त मंत्री
वित्तीय समावेश के लक्ष्य के साथ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की शुरुआत की गयी थी। हम इस योजना की 7वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। आइए हम इस योजना की कुछ प्रमुख बातों और उपलब्धियों पर एक नज़र डालें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) का शुभारम्भ किया था, जिसका उद्देश्य गैर-कॉर्पोरेट व गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपये तक की ऋण सुविधा प्रदान करना था।
योजना की 7वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “उल्लेखनीय है कि आय सृजन गतिविधियों के निर्माण के लिए इस योजना के तहत कुल 18.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशि के लिए 34.42 करोड़ से अधिक ऋण खाते खोले गए हैं।”
PMMY के माध्यम से कारोबारी माहौल में सुधार और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा, “योजना ने विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने में मदद की है और जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किये हैं। 68 प्रतिशत अधिक ऋण खाते, महिलाओं के लिए स्वीकृत किये गए हैं और 22 प्रतिशत ऋण नए उद्यमियों को दिये गए हैं, जिन्होंने योजना की शुरुआत के बाद से अब-तक ऋण नहीं लिए हैं।“
सभी मुद्रा लाभार्थियों को बधाई देते हुए और अन्य संभावित उधार लेने वालों से आगे आने तथा राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने का आग्रह करते हुए सीतारमण ने कहा, “अब तक स्वीकृत कुल ऋणों में से 51 प्रतिशत ऋण अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति / ओबीसी श्रेणी समुदाय को दिए गए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है तथा इस अर्थ में 'सबका साथ, सबका विकास' भावना की सच्ची प्रतीक है, जो माननीय प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप है।“
इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने कहा की प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) शुरू करने के पीछे की प्रेरक शक्ति सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को परेशानी मुक्त / निर्बाध तरीके से संस्थागत ऋण प्रदान करना है। अपनी शुरूआत के बाद से, पिछले सात वर्षों में, कुल 34.42 करोड़ खाताधारकों को सहायता प्रदान करते हुए यह योजना उत्साही उद्यमियों को सफलतापूर्वक लाभ पहुंचा रही है।
वित्त राज्यमंत्री डॉ. कराड ने कहा की इस योजना के तहत ऋण प्राप्त करने वाले कई उद्यमी समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस योजना के तहत सबसे बड़ा लाभार्थी समूह महिलाओं का है। इस योजना के तहत खोले गए ऋण खातों में से 68 प्रतिशत से अधिक खाते महिलाओं के हैं। इस योजना के अंतर्गत चलाए गए विशेष अभियान ने भी महिलाओं और अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़े वर्ग पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए संभावित ऋणकर्ताओं तक पहुंचने में मदद की है। PMMY का अन्य उल्लेखनीय फोकस नीति आयोग द्वारा चिन्हित किए गए ‘आकांक्षी जिलों’ में अधिक से अधिक संख्या में लाभार्थियों को ऋण प्रदान करना है और इस प्रकार ऋण से वंचित इन जिलों में ऋण के प्रवाह को अनुकूल बनाना है, वित्त राज्यमंत्री डॉ. कराड ने कहा।
देश में वित्तीय समावेश (FI) कार्यक्रम का कार्यान्वयन तीन स्तंभों पर आधारित है, अर्थात्, बैंक की सुविधा से वंचित लोगों को बैंकिंग सुविधा देना, असुरक्षित ऋण को सुरक्षित बनाना और वित्तीय सुविधा से वंचित लोगों को वित्तीय सुविधा देना। इस कार्यक्रम के तहत, प्रौद्योगिकी की मदद से और विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाकर इन तीन उद्देश्यों को पूरा करने के प्रयास किये जा रहे हैं और इसके साथ ही जरूरी सुविधाओं से वंचित लोगों को सहायता भी प्रदान की जा रही है।
FI के तीन स्तंभों में से एक- वित्तीय सुविधा से वंचित लोगों को वित्तीय सुविधा देना- PMMY के माध्यम से एफआई इकोसिस्टम में परिलक्षित होता है। छोटे उद्यमियों को ऋण-सुविधा देने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया गया है। अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से; PMMY योजना, उभरते उद्यमियों से लेकर मेहनती किसानों तक- सभी हितधारकों की वित्तीय जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करती है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) वंचित और सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित समुदाय को वित्तीय सहायता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसने लाखों लोगों के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने की ताकत दी है और लोगों में आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की भावना का संचार किया है।
आइए हम इस PMMY की प्रमुख बातों और पिछले 7 वर्षों में इसकी उपलब्धियों पर एक नज़र डालें:
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की प्रमुख बातें
PMMY के तहत सदस्य ऋण संस्थानों (MLI) अर्थात बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC), लघु वित्तीय संस्थान (MFI), अन्य वित्तीय मध्यस्थों आदि के माध्यम से 10 लाख रुपये तक के ऋण प्रदान किए जाते हैं। ऋण तीन श्रेणियों- 'शिशु', 'किशोर' और 'तरुण' में प्रदान किये जाते हैं, जो कर्ज लेने वाले के उद्यम के सन्दर्भ में विकास-चरण और वित्त पोषण की जरूरतों को दर्शाते हैं।
- शिशु: 50,000 रुपये तक के ऋण।
- किशोर: 50,000 रुपये से अधिक और रु. 5 लाख रुपये से कम के ऋण।
- तरुण: 5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के ऋण।
नई पीढ़ी के आकांक्षी युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, यह सुनिश्चित किया जाता है कि शिशु श्रेणी के ऋणों को प्राथमिकता दी जाए और इसके बाद किशोर तथा तरुण श्रेणियों के ऋणों पर ध्यान दिया जाए।
शिशु, किशोर और तरुण के तहत सूक्ष्म उद्यम क्षेत्र के विकास की रूपरेखा और व्यापक उद्देश्य के अंतर्गत, मुद्रा योजना द्वारा पेश किए जा रहे उत्पादों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे विभिन्न क्षेत्रों/व्यावसायिक गतिविधियों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हों।
PMMY के तहत, विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों एवं कृषि से संबद्ध कार्यों जैसे मुर्गी पालन, डेयरी, मधुमक्खी पालन आदि; में आय सृजन गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए दोनों घटकों- सावधि ऋण और कार्यशील पूंजी – के सन्दर्भ में ऋण प्रदान किए जाते हैं।
ब्याज दर आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऋण देने वाले संस्थानों द्वारा तय की जाती है। कार्यशील पूंजी सुविधा के मामले में, उधार लेने वाले के ऋण पर एक दिन बीतने के बाद ब्याज लगाया जाता है।
योजना की उपलब्धियां (25 मार्च 2022 तक)
• योजना शुरू होने के बाद से (25 मार्च 2022 तक) कुल 18.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशि के लिए स्वीकृत किए गए ऋणों की संख्या 34.42 करोड़ से अधिक है। कुल ऋण के लगभग 22 प्रतिशत हिस्से को नए उद्यमियों के लिए मंजूरी दी गयी है।
• कुल 4.86 करोड़ PMMY ऋण खातों में 3.07 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि को चालू वित्त वर्ष में (25 मार्च 2022 तक) विस्तार दिया गया है।
• महिला उद्यमियों को कुल ऋणों के लगभग 68 प्रतिशत ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
• ऋण की औसत धनराशि लगभग 54,000 रुपये है।
• 86 प्रतिशत ऋण 'शिशु' श्रेणी के हैं।
• लगभग 22 प्रतिशत ऋण नए उद्यमियों को दिए गए हैं।
• लगभग 23 प्रतिशत ऋण एससी और एसटी समुदाय के लोगों को दिए गए हैं; लगभग 28 प्रतिशत ऋण ओबीसी समुदाय के कर्ज लेने वालों को दिए गए हैं। (कुल 51 प्रतिशत ऋण एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणी के उधार लेने वालों को स्वीकृत किए गए हैं।)
• लगभग 11 प्रतिशत ऋण अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिए गए हैं।
Edited by Ranjana Tripathi