फूड इंडस्ट्री में करियर बना सकें कैदी इसके लिए ये जेल प्रशासन कर रहा है मदद
केरल की नेट्टुकलथेरी ओपन जेल प्रशासन ने कैदियों को फूड इंडस्ट्री में करियर बनाने में मदद करने के लिए एक खास कार्यक्रम शुरू किया है, जहां उन्हें खाना पकाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम के एक एनजीओ की मदद से जेल के भीतर शुरू किया गया है।
अपराध में लिप्त होने के बाद अपराधियों को तय अवधि के लिए जेल में रखा जाता है, जहां उम्मीद की जाती है कि सजा खत्म होने से पहले उनकी मानसिकता में सकारात्मक बदलाव आ चुका होगा। हालांकि कई बार अपनी सजा पूरी कर जेल से बाहर आने के बाद व्यक्ति के लिए अपने लिए रोजगार ढूंढना कठिन हो जाता है।
इस समस्या को हल करने के उद्देश्य से केरल की एक जेल ने बड़ी ही सराहनीय पहल की शुरुआत की है, जहां कैदियों को फूड इंडस्ट्री में करियर बनाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
बतौर शेफ कर सकेंगे काम
केरल की नेट्टुकलथेरी ओपन जेल प्रशासन ने कैदियों को फूड इंडस्ट्री में करियर बनाने में मदद करने के लिए एक खास कार्यक्रम शुरू किया है, जहां उन्हें खाना पकाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम के एक एनजीओ की मदद से जेल के भीतर शुरू किया गया है।
कार्यक्रम का उद्देश्य इच्छुक कैदियों को खाना पकाने का हुनर सिखाना है, जिसके साथ वे अपनी पैरोल अवधि या फिर जेल से रिहा होने के बाद बतौर शेफ फूड इंडस्ट्री में काम कर अपनी जीविका कमा सकेंगे।
सेलिब्रिटी शेफ ने किया उद्घाटन
मालूम हो कि इस कार्यक्रम का उद्घाटन हाल ही में सेलिब्रिटी शेफ सुरेश पिल्लई ने किया था, जहां उन्होंने करीब 50 कैदियों को खाना बनाने से जुड़ा ज्ञान भी दिया था। मीडिया से बात करते हुए जेल अधीक्षक बी रमेशकुमार के अनुसार फिलहाल कैदियों को परोट्टा और अप्पम जैसे प्रमुख केरल व्यंजन के साथ ही चीनी व्यंजन तैयार करने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम की अवधि को एक सप्ताह के लिए रखा गया है और सफलतापूर्वक इस प्रशिक्षण को पूरा करने के बाद इसमें हिस्सा लेने वाले इन कैदियों को इंडस्ट्री लीडर्स द्वारा प्रमाणपत्र भी जारी किए जाएंगे।
गौरतलब है कि एनजीओ ने सबसे पहले इस आइडिया को पेश किया था और जेल विभाग से भी इसे पूरा समर्थन मिला है, क्योंकि यह कार्यक्रम कैदियों को वित्तीय स्थिरता प्रदान कर सकता है।
जेल अधीक्षक के अनुसार ‘पैरोल पर कैदियों को अक्सर वित्तीय कठिनाइयों के बारे में शिकायत करते देखा गया है। ऐसे में कैदी जेल प्रशासन से अनुरोध भी करते हैं कि वे जेल में अपने काम के लिए दैनिक वेतन के रूप में अर्जित की गई राशि को जारी किया जाए। अब ये कार्यक्रम इस समस्या को हल करने में उनकी मदद कर सकता है।‘
पैरोल में भी कर सकेंगे कमाई
जेल अधीक्षक के अनुसार, एक कैदी जहां एक दिन में अधिकतम 230 रुपये कमा सकता है, जिसमें जेल में होने वाले उनके छोटे खर्चों की कटौती भी होती है, वहीं दूसरी ओर एक अनुभवी शेफ रोजाना कम से कम 1,500 रुपये कमा सकता है।ऐसे में जेल से रिहा हुए एक कैदी के लिए यह बहुत मददगार कदम साबित होने वाला है।
मालूम हो कि ओपेन जेलों में कैदी हर ढाई महीने के बाद 15 दिनों की पैरोल के हकदार होते हैं। इस तरह उन्हें साल में ऐसे पांच पैरोल मिलते हैं। इस स्थिति में कैदी अगर चाहें तो वे होटलों या ढाबों में काम करके कुछ पैसे कमा सकते हैं।
Edited by रविकांत पारीक