रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जीआईसी, टीपीजी से 7,350 करोड़ रुपये जुटाए, खुदरा इकाई में हिस्सेदारी बेची
कंपनी की ओर जारी बयान में कहा गया है कि जीआईसी ने रिलायंस रिटेल वेंचर्स लि. (आरआरवीएल) में 1.22 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 5,512.5 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं टीपीजी ने 1,837.5 करोड़ रुपये में खुदरा इकाई में 0.41 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है।
नयी दिल्ली, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी खुदरा इकाई में हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए दो विदेशी निवेशकों से 7,350 करोड़ रुपये का निवेश जुटाये हैं।
कंपनी ने शनिवार को घोषणा की कि सिंगापुर के सॉवरेन संपदा कोष जीआईसी तथा वैश्विक निजी इक्विटी कंपनी टीपीजी कैपिटल ने उसकी खुदरा इकाई रिलायंस रिटेल में निवेश किया है। इस तरह पिछले एक माह समूह की खुदरा कारोबार करने वाली इकाई में हिस्सेदारी बेचकर 32,197.50 करोड़ रुपये की राशि जुटा चुकी है।
कंपनी की ओर जारी बयान में कहा गया है कि जीआईसी ने रिलायंस रिटेल वेंचर्स लि. (आरआरवीएल) में 1.22 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 5,512.5 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं टीपीजी ने 1,837.5 करोड़ रुपये में खुदरा इकाई में 0.41 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है। इस निवेश के हिसाब से रिलायंस रिटेल का मूल्यांकन 4.285 लाख करोड़ रुपये बैठता है।
यह टीपीजी का रिलायंस इंडस्ट्रीज की अनुषंगी कंपनी में दूसरा निवेश है। इससे पहले टीपीजी ने इसी साल रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल इकाई जियो प्लेटफॉर्म्स में 4,546.8 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
इसके साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज नौ सितंबर से अपनी खुदरा इकाई की 7.28 प्रतिशत हिस्सेदारी 32,297.50 करोड़ रुपये में बेच चुकी है।
अमेरिकी की निजी इक्विटी कंपनी सिल्वर लेक ने रिलायंस रिटेल में 2.13 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए दो बार में 9,375 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं जनरल अटलांटिक 3,675 करोड़ रुपये में रिलायंस रिटेल में 0.84 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर चुकी है। केकेआर ने 5,550 करोड़ रुपये के निवेश से रिलायंस रिटेल में 1.28 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है।
अबू धाबी के सॉवरेन संपदा कोष मुबाडला इन्वेस्टमें कंपनी ने रिलायंस रिटेल में 6,247.5 करोड़ रुपये का निवेश कर 1.4 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है।
आरआरवीएल की अनुषंगी कंपनी रिलायंस रिटेल लि. देश के सबसे बड़े, तेजी से बढ़ते और सबसे अधिक मुनाफे वाले खुदरा कारोबार का परिचालन करती है। इसके तहत कंपनी सुपरमार्केट्स, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स श्रृंखला स्टोर, कैश एंड कैरी थोक कारोबार, फास्ट-फैशन आउटलेट्स और ऑनलाइन किराना स्टोर जियोमार्ट का परिचालन करती है। कंपनी देश के करीब 7,000 शहरों-कस्बों में 12,000 स्टोरों का परिचालन करती है। किराना, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिकस ओर परिधान क्षेत्र के कंपनी के स्टोरों में आने वाले ग्राहकों की संख्या 64 करोड़ है।
बीते वित्त वर्ष 2019-20 में रिलायंस रिटेल का कुल कारोबार 1.63 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस निवेश के जरिये देश के सबसे अमीर व्यक्ति उद्योगपति मुकेश अंबानी खुदरा बाजार में अपने दबदबे को और मजबूत कर सकेंगे। देश के खुदरा बाजार पर जेफ बेजॉस की अमेजन.कॉम तथा वॉलमार्ट इंक की फ्लिपकार्ट भी अपना दबदबा स्थापित करने का प्रयास कर रही हैं।
विभिन्न संपत्ति वर्गों में टीपीजी के प्रबंधन के तहत 83 अरब डॉलर से अधिक की परिसंपत्तियां हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, ‘‘टीपीजी का वैश्विक प्रौद्योगिकी कारोबार और उद्योग के अगुवा के रूप में रिकॉर्ड काफी बेहतरीन है और हमें अपनी यात्री में उससे समर्थन और दिशानिर्देशन की उम्मीद है।’’
टीपीजी के सह-मुख्य कार्यपालक अधिकारी जिम कॉल्टर ने कहा, ‘‘नियामकीय बदलाव, उपभोक्ता जनांकिकी और प्रौद्योगिकी संबंधी परिवर्तनों से भारत की खुदरा मूल्य श्रृंखला में बड़ा परिवर्तन हुआ है। इन बदलावों के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज ने प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के जरिये रिलायंस रिटेल को काफी मजबूत, बेहतर तरीके से संगठित और नवोन्मेषण में अगुवा के रूप में स्थापित किया है।’’ इस सौदे के लिए अभी नियामकीय और अन्य जरूरी मंजूरियां ली जानी हैं।
इस सौदे में मॉर्गन स्टेनली ने रिलायंस रिेटेल के वित्तीय सलाहकार तथा सिरिल अमरचंद मंगलदास और डेविड पॉल्क एंड वार्डवेल ने कानूनी सलाहकार की भूमिका निभाई। डेलॉयच टच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी ने टीपीजी को सौदे में वित्तीय सलाह प्रदान की। वहीं शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी ने टीपीजी के कानूनी सलाहकार की भूमिका निभाई।
अपनी डिजिटल इकाई जियो प्लेटफॉर्म्स में हिस्सेदारी बिक्री के बाद अब रिलायंस अपनी खुदरा इकाई में हिस्सेदारी बेचने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस दौरान उसने फ्यूचर का अधिग्रहण भी किया है। जियो प्लेटफॉर्म्स में कुल मिलाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने वाले 13 निवेशकों को खुदरा इकाई में भी निवेश का विकल्प दिया गया है।
(सौजन्य से- भाषा पीटीआई)