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रिसर्च कामयाब: अब लोग खाएंगे तिरंगा सलाद और रंग-बिरंगी रोटियां

रिसर्च कामयाब: अब लोग खाएंगे तिरंगा सलाद और रंग-बिरंगी रोटियां

Thursday June 06, 2019 , 5 min Read

खाने में तिरंगा सलाद हो और रंग-बिरंगी रोटियां, फिर तो सेहत के क्या कहने। हमारे देश के कृषि और चिकित्सा विज्ञानी लोगों के लिए इसकी उपलब्धि आसान बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने नौ साल रिसर्च के बाद गेहूं की तीन रंगों की बैंगनी, काली और नीली किस्में तैयार की हैं। दावा है कि रंगीन गेहूं सेहतमंद बनाएगा।


colour rotis

रंगीन रोटियां


चीन, सिंगापुर, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में रंगीन गेहूं के उत्पाद बाजार में उतरने के बाद मोहाली (पंजाब) के नेशनल एग्री-फूड बायॉटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने भी नौ साल रिसर्च के बाद गेहूं की तीन रंगों की बैंगनी, काली और नीली किस्में तैयार की हैं। इन्हें फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मंजूरी मिल चुकी है। हमारे देश में अब तक लोग गेहूं की सिर्फ सफेद रोटियां खाते आ रहे हैं, लेकिन अब ब्लू, पर्पल और ब्लैक रंग की रोटियां भी खाने को मिलेंगी।


अलग-अलग कलर के अलावा इनके कई अलग हेल्थ बेनेफिट्स भी हैं। रंग-बिरंगी रोटियां ही नहीं बल्कि बिस्कुट, सुजी, और सिंगापुर की ही तरह पर्पल नुडल्स भी खाने को मिलेगा। शुरुआत में रंगीन गेहूं की खेती केवल अस्सी एकड़ में प्रयोग के तौर पर की गई थी। अब पटियाला और जालंधर से लेकर मध्य प्रदेश में विदिशा तक लगभग सात हजार एकड़ में की गई है। इन तीनों किस्म के रंगीन गेहूं का अभी इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च की ओर से परीक्षण किया जा रहा है। इसके बाद देश भर में इसकी खेती शुरू हो सकती है। सामान्य गेहूं की तुलना में रंगीन गेहूं का उत्पादन कम होने से बाजार में महंगा होगा। सामान्य गेहूं प्रति एकड़ 24 क्विंटल तक पैदा हो जाता है, जबकि रंगीन गेहूं प्रति एकड़ लगभग 20 क्विंटल तक पैदा किया जा सकता है।


भारतीय कृषि वैज्ञानिक विगत नौ वर्षों से इस पर रिसर्च कर रहे थे। कई सीजन तक प्रयोग करने के बाद इसमें सफलता मिली है। भारतीय कृषि के लिए रंगीन गेहूं एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस गेहूं का रंग एंथोक्यानिन से मिलता है। यह वह पिगमेंट है, जो ब्लूबेरी और जामुन जैसे फलों को रंग देता है। रंगीन गेहूं से एंथोक्यानिन की जरूरी मात्रा मिल सकती है। एंथोक्यानिन एक एंटीऑक्सिडेंट है।


गेहूं की नई वेराइटीज में से ब्लैक में एंथोक्यानिन की सबसे अधिक मात्रा है। इसके बाद ब्लू और पर्पल वेराइटी हैं। रंगीन गेहूं सेहतमंद बनाता है। इससे हृदय रोग और मोटापे को रोकने में मदद मिलेगी। चूहे पर इसका प्रयोग हो चुका है। यह गेहूं बच्चों को कुपोषण से भी मुक्ति दिलाएगा। रंगीन गेहूं के कारोबार में अभी तक 10 एग्री कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है, हालांकि, रंगीन गेहूं से बने प्रोडक्ट्स के बाजार को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। जिन कंपनियों के एनएबीआई के साथ लिखित समझौते हो चुके हैं, उन्होंने इन रंगीन गेंहू की खेती शुरू कर दी है। इसे अभी व्यक्तिगत किसानों के लिए जारी नहीं किया गया है क्योंकि उन्हें इसे बेचने में काफी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।




वैज्ञानिकों का कहना है कि काला गेहूं शरीर में वसा जमाव को रोकने में मदद कर सकता है, ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित कर सकता है, इंसुलिन सहिष्णुता और निम्न रक्त कोलेस्ट्रॉल में सुधार कर सकता है। इसमें एन्थोकायनिन होने के अलावा प्रोटीन और जिंक भी काफी अधिक स्तर पर होता है। इस गेहूं का उपयोग कैंसर रोगियों के लिए सकारात्मक डायट के रूप में सफल पाया गया है। भोजन के तौर पर यह बेहतर विकल्प के रूप में सामने आया है। वहीं डायबिटीज रोगियों में काले गेहूं के उपयोग से सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। साथ ही हृदय रोगियों पर किये शोध में भी काला गेहूं का सार्थक परिणाम मिला है।


भोजन में तिरंगा सलाद हो और रंग-बिरंगी रोटियां, फिर तो सेहत के क्या कहने। हमारे देश के कृषि और चिकित्सा विज्ञानी लोगों के लिए इसकी उपलब्धि आसान बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं। जो भी भोजन हम करते हैं शरीर में उसके पाचन के दौरान कुछ हानिकारक तत्व बनते हैं जिन्हें फ्री रेडिकल्स (स्वतंत्र मूलक) कहते हैं। ये फ्री रेडिकल ऑक्सीकरण की दर को बहाकर हमारे शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं। उनकी अधिकता से हमारे शरीर में बुढ़ापे के लक्षण तेजी से आते हैं। संतुलित भोजन के बारे में किसी डायटिशियन से पूछा जाए तो वह कहेगा कि भोजन में दाल, चावल, रोटी, सब्जी और थोड़ी वसा होना चाहिए।


दाल यानी प्रोटीन, चावल, रोटी यानी कार्बोहाइड्रेट और सब्जी अर्थात विटामिन और खनिज लवणों के स्रोत। इसके साथ ही भोजन के अतिरिक्त कुछ मौसमी फलों का भी समावेश होना चाहिए। खट्टे-मीठे फल ऊर्जा एवं खनिज लवणों तथा एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। आप पूछ सकते हैं कि यह एंटीऑक्सीडेंट्स क्या हैं? तो जान लीजिए की ये हमारे स्वास्थ्य के रक्षक हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स पदार्थ स्वतंत्र मूलकों का खात्मा कर इनके दुष्प्रभावों से हमारे शरीर को बचाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स नारंगी, लाल, पीले, जामुनी फलों में खूब पाए जाते हैं। फलों के अलावा भी कुछ चीजें ऐसी हैं, जो न तो सब्जी है न ही फल जैसे प्याज, गाजर, शलजम आदि। सफेद नारंगी और जामुनी वनस्पतियों का यह योग बेहतरीन है।