रिटेल इन्फ्लेशन के 5.4% पर रहने का अनुमान, खाद्य कीमतों पर दबाव के कारण बढ़ सकती है महंगाई: RBI
मौद्रिक नीति संबंधी वक्तव्य में आरबीआई ने कहा, "मुद्रास्फीति से जुड़ी उम्मीदों को पूरा करने के लिए मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बनाए रखना होगा."
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान शुक्रवार को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखते हुए कहा कि खाद्य कीमतों पर दबाव के कारण नवंबर और दिसंबर में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यहां द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद संवादादाताओं से कहा, "मुद्रास्फीति पर हमारा नजरिया अनिश्चित खाद्य कीमतों से काफी प्रभावित होगा. उच्च खाद्य मूल्य संकेतकों से प्रमुख सब्जियों की कीमतें बढ़ने के संकेत मिलते हैं जो निकट अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है."
सीपीआई पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में घटकर 4.9 प्रतिशत रह गई, जबकि जुलाई में यह 7.4 प्रतिशत थी. दास ने कहा कि रबी मौसम में गेहूं, मसालों और दालों जैसी प्रमुख फसलों की बुवाई की प्रगति पर करीबी निगाह रखने की जरूरत है. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर चीनी की ऊंची कीमतें भी चिंता का विषय हैं.
आरबीआई ने द्विमासिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों को लगातार पांचवीं बार 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. रेपो दर में आखिरी बार बढ़ोतरी फरवरी में की गई थी.
मौद्रिक नीति संबंधी वक्तव्य में आरबीआई ने कहा, "मुद्रास्फीति से जुड़ी उम्मीदों को पूरा करने के लिए मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बनाए रखना होगा."
अक्टूबर महीने के मुद्रास्फीति आंकड़ों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के सभी घटकों में नरमी देखी गई. मुख्य मुद्रास्फीति में व्यापक आधार पर नरमी आई है, जो मौद्रिक नीतिगत कदमों की कामयाबी को दर्शाता है.
इस बीच, चावल को छोड़कर अन्य जिंसों की वैश्विक कीमतों में नरमी आई है. खाद्य तेलों जैसे आयात पर निर्भर खाद्य उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय कीमतें नरम बनी हुई हैं. घरेलू दूध की कीमतें भी स्थिर हो रही हैं. आरबीआई ने कहा कि आपूर्ति पक्ष पर सक्रिय हस्तक्षेप से घरेलू खाद्य कीमतों पर दबाव कम हो रहा है. इसके साथ कच्चे तेल में भी काफी नरमी आई है लेकिन यह अस्थिर रह सकती है.
बयान के मुताबिक, "इसके साथ मानसून सामान्य रहने के अनुमान को ध्यान में रखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है."
वहीं वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत, सितंबर तिमाही में चार प्रतिशत और दिसंबर तिमाही में 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है.