SBM-U 2.0 द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन में महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिये राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
यह SBM-U 2.0 द्वारा आयोजित अपनी तरह का पहला सम्मेलन था, जिसे SBM-U के एक दिग्दर्शक राज्य के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य मिशन की क्षमता निर्माण पहलों के अंग के रूप में अपने समकक्षों से सीखने को प्रोत्साहित और प्रेरित करना तथा अपने ज्ञान को साझा करना था।
केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 (SBM-U 2.0) ने ‘सोशल एंटरप्राइसेज फॉर गार्बेज फ्री सिटीज़ः एनकरेजिंग विमेन आंत्रप्रन्योर्स इन वेस्ट मैनेजमेंट’ (अपशिष्ट मुक्त शहरों के लिये सामाजिक उद्यमः अपशिष्ट प्रबंधन में महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन) पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पूर्वावलोकन के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से रायपुर में किया गया। कार्यक्रम में लगभग 100 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 19 राज्यों और वहां के शहरी निकायों के वरिष्ठ अधिकारियों, इस सेक्टर के साझीदारों और देशभर के अपशिष्ट प्रबंधन उद्यमों से जुड़ी महिला प्रतिनिधि शामिल थीं। अन्य विशिष्टजनों में छत्तीसगढ़ सरकार के शहरी विकास मंत्री शिव कुमार दहारिया, रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज़ धीबर, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव मनोश जोशी, छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन, छतीसगढ़ की शहरी विकास सचिव अलरमल मंगाई डी तथा संयुक्त सचिव और राष्ट्रीय मिशन निदेशक, SBM-U 2.0 रूपा मिश्रा शामिल थीं।
कार्यक्रम में लगभग 100 ‘स्वच्छता दीदी’ ने हिस्सा लिया, जो पूरे छत्तीसगढ़ की महिला स्वसहायता समूहों की सदस्यायें हैं। इन सबको पूरे राज्य में विकेंद्रीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन श्रृंखला की देखरेख करने में कुशल बनाया गया है। इनके कार्यों में घरों से अलग-अलग प्रकार के कचरे को जमा करने, उपयोग करने का शुल्क जमा करने, जमा किये हुये कचरे को स्थानीय ठोस तथा तरल स्रोत प्रबंधन (SLRM) केंद्रों तक ले जाने की जिम्मेदारी शामिल है। केंद्रों में कचरा पहुंचने के बाद उसकी फिर छंटाई होती है। उसके बाद उसका प्रसंस्करण किया जाता है तथा री-साइकिल का काम पूरा करने के बाद कचरे का निपटान कर दिया जाता है। इनके अलावा शहर भर के तमाम लोगों ने वर्चुअल तरीके से कार्यक्रम को देखा।
शिव कुमार दहारिया ने अपने सम्बोधन में जोर देकर कहा कि स्वच्छता दीदियों ने लोगों के बीच अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर व्यावहारिक बदलाव लाने में मुख्य भूमिका निभाई है, जिसके परिणामस्वरूप SBM-U के तहत छत्तीसगढ़ को लगातार तीन वर्षों तक देश के सबसे साफ शहरों में शामिल होने में सफलता मिलती रही। रायपुर के महापौर ने सभी 10 ज़ोनों में महिला द्वारा संचालित बर्तन बैंक जैसी विभिन्न अपशिष्ट प्रबंधन पहलों का उल्लेख किया। उन्होंने गार्बेज क्लीनिक, नेकी की दीवार जैसी पहलों का भी विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महामारी के दौर में रायपुर में सफाई कर्मचारियों ने अभूतपूर्व काम किया है तथा संक्रमित घरों तक जाकर उन सबने अपने कर्तव्य का पालन किया। कार्यक्रम के प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुये आवासन एवं शहरी कार्य सचिव ने कहा कि देशभर के शहरों को अपशिष्ट प्रबंधन में छत्तीसगढ़ मॉडल से सीखना चाहिये और अपने यहां उसे लागू करना चाहिये।
कार्यक्रम में SBM-U 2.0 के तहत अपशिष्ट मुक्त शहरों के लिये राष्ट्रीय क्षमता निर्माण प्रारूप की शुरूआत की गई। आशा की जाती है कि इससे SBM-U 2.0 के तहत राज्यों तथा शहरी निकायों के क्षमता निर्माण, कौशल विकास तथा ज्ञान प्रबंधन पहलों के सिलसिले में ब्लूप्रिंट तैयार करने में मदद मिलेगी। यह SBM-U 2.0 द्वारा आयोजित अपनी तरह का पहला सम्मेलन था, जिसे SBM-U के एक दिग्दर्शक राज्य के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य मिशन की क्षमता निर्माण पहलों के अंग के रूप में अपने समकक्षों से सीखने को प्रोत्साहित और प्रेरित करना तथा अपने ज्ञान को साझा करना था।
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के SBM-U की राष्ट्रीय मिशन निदेशक रूपा मिश्रा ने प्रारूप का समग्र ब्योरा पेश किया। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में त्रिकोणीय नजरिया अपनाया जायेगा – 1. राज्यों और नगर निकाय संवर्ग की क्षमता निर्माण किया जायेगा। यह काम संसाधनों के मूल्यांकन, प्रशिक्षण जरूरतों के मूल्यांकन, अल्पकालीन और दीर्घकालीन प्रशिक्षण, वेबिनारों, समकक्षों से सीखने और ई-लर्निंग के जरिये किया जायेगा, 2. विशिष्ट मानव संसाधनों के जरिये क्षमता विकास का काम कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयों और शहरी प्रबंधकों के रूप में किया जायेगा और 3. ईको-सिस्टम को मौजूदा जन स्वास्थ्य और पर्यावरण सम्बंधी इंजीनियरिंग संगठनों के जरिये मजबूत बनाया जायेगा। इसमें स्वच्छता ज्ञान साझीदारों, स्वच्छता मार्गदर्शकों को संलग्न करके और प्रोफेसर पद की पीठ बनाकर उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना शामिल है।
उन्होंने कहा कि पहली बार स्वच्छता कर्मियों के कौशल पर गहराई से ध्यान दिया जायेगा। इसके लिये सहयोगी मंत्रालयों और प्रतिष्ठानों का सहयोग लिया जायेगा। राष्ट्रीय क्षमता निर्माण प्रारूप को ऑनलाइन देखा जा सकता है।
दिन भर चलने वाला कार्यक्रम महाबोध घाट पर स्वच्छता अभियान से शुरू किया गया, जिसमें एनएसएस, एनसीसी कैडेट और स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसके बाद पाटन के प्रसिद्ध ठोस और तरल संसाधन प्रबंधन केंद्र का दौरा किया गया। यहां आवारा पशुओं के लिये कचरे का प्रबंधन सहित एकीकृत सुविधायें मौजूद हैं। केंद्र में प्रतिभागियों ने श्रमदान किया तथा सूखे कचरे को छांटकर छोटे-छोटे हिस्सों में बांटने का काम किया। प्रतिभागियों ने कुम्हारी का भी दौरा किया। वहां कूड़ा फेंकने वाले स्थान को दुरुस्त करके मलयुक्त गाद उपचार संयंत्र लगाया गया है।
इस दौरान महिला केंद्रित अपशिष्ट प्रबंधन उद्यमों द्वारा प्रस्तुतिकरण देने का कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र रहा। प्रस्तुतिकरण की श्रृंखला में बेंगलुरू स्थित अपशिष्ट जमा करने वाले लोगों के साथ काम करने वाले संगठन हसीरू डाला, रजो-स्वास्थ्य के सम्बंध में पुणे के ‘स्वच्छ’ द्वारा जागरूकता फैलाने वाले सहकारी संगठन ‘रेड-डॉट अभियान’, अपशिष्ट को शुरूआती स्तर पर छांटने के काम में लगे गुरुग्राम के ‘साहस’ एनजीओ, मलिन बस्तियों में सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव और संचालन का काम करने वाला तिरुचरापल्ली, तमिलनाडु की ‘शी’ दल तथा सामुदायिक शौचालयों से लेकर मलयुक्त गाद उपचार संयंत्रों के जरिये स्वच्छता सुविधाओं के संचालन तथा प्रबंधन का काम करने वाले कटक के ट्रांसजेंडर दल ने हिस्सा लिया।
इसके बाद कुछ स्वच्छता दीदियों के साथ स्वच्छता दूत वीना सेंद्रे ने मर्मस्पर्शी बातचीत की। उन्होंने बताया कि कैसे उनका जीवन बदल गया और वे स्वच्छता तथा अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों में हिस्सा लेकर कैसे बेहतर जीवन जी रही हैं। इन स्वच्छता चैम्पियनों के अडिग समर्पण की भावना को देखते हुये पांच प्रखंडों की स्वच्छता दीदियों को सम्मानित किया गया।