Bombay Dyeing और वाडिया परिवार पर सेबी की कार्रवाई, 2 साल के लिए बाजार से प्रतिबंधित, भारी जुर्माना भी लगा
आरोपित व्यक्तियों को किसी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों या सेबी के साथ पंजीकृत एक मध्यस्थ सहित किसी भी तरह से सिक्योरिटीज मार्केट से जुड़े होने से प्रतिबंधित किया गया है.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने बॉम्बे डाइंग (Bombay Dyeing) और मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी (BDMCL) के साथ कंपनी के प्रमोटरों नुस्ली वाडिया (Nusli Wadia) और उनके बेटों नेस वाडिया (Ness Wadia) और जहांगीर वाडिया (Jehangir Wadia) को दो साल के लिए कैपिटल मार्केट्स से प्रतिबंधित कर दिया है. इन सभी पर वित्तीय लेन-देन की गलत जानकारी देने का आरोप है. बाजार नियामक ने दोनों कंपनियों और आठ अन्य लोगों पर कुल 15.75 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
अपने 100 पेज के आदेश में सेबी पूर्ण कालिक सदस्य अनंत बरूआ ने कहा कि मैं दर्ज करता हूं कि बीडीएमसीएल के वित्तीय विवरणों की गलत प्रस्तुति के कारण, बीडीएमसीएल के राजस्व और लाभ में वित्त वर्ष 2011-12 से वित्तीय वर्ष 2017-18 की अवधि के दौरान क्रमशः 2,493.94 करोड़ रुपये और 1,302.2 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी.
नियामक ने उल्लंघनकर्ताओं पर धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम (PFUTP) विनियमों के तहत आरोप लगाए हैं. आरोपित व्यक्तियों को किसी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों या सेबी के साथ पंजीकृत एक मध्यस्थ सहित किसी भी तरह से सिक्योरिटीज मार्केट से जुड़े होने से प्रतिबंधित किया गया है.
सेबी के आदेश के अनुसार, बीडीएमसीएल कथित तौर पर अपनी सहयोगी रियल एस्टेट इकाई स्केल सर्विसेज के साथ संदिग्ध रियल एस्टेट लेनदेन में लिप्त था. हालांकि, बीडीएमसीएल की स्केल सर्विसेज में 19 फीसदी हिस्सेदारी थी, लेकिन बीडीएमसीएल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्केल की संपूर्ण शेयर पूंजी के नियंत्रण में था.
सेबी ने अपने आदेश में कहा कि बीडीएमसीएल द्वारा स्केल को थोक खरीदार के रूप में चुना गया था और इसके साथ 3,033 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया था. क्योंकि इरादा कभी भी स्केल को फ्लैटों की पूरी बिक्री को पूरा करने का नहीं था, बल्कि इरादा केवल ऐसी संदिग्ध बिक्री से राजस्व दर्ज करना था, जिनका विफल होना तय था.
मार्च 2021 में सेबी को दिए अपने सबमिशन में, नुस्ली वाडिया ने कहा था कि वित्त वर्ष 2006 से, स्केल एक थोक खरीदार था और बीडीएमसीएल की आवासीय परियोजना में लगभग 100 अपार्टमेंट बेचने में सफल रहा. इसके अलावा, स्केल के साथ 3033 करोड़ रुपये की राशि के समझौता ज्ञापन में प्रवेश करते समय, उन्होंने किसी भी समय, स्केल की वर्तमान क्षमता का आकलन करना आवश्यक नहीं समझा और केवल इसके पिछले प्रदर्शन पर भरोसा किया.
सेबी के आदेश में कहा गया है कि चूंकि बीडीएमसीएल और स्केल दोनों वाडिया समूह की कंपनियां थीं, इसलिए इन दोनों संस्थाओं के बीच कोई कटौती नुस्ली की जानकारी और अनुमोदन के बिना नहीं होता.
सेबी के आदेश के अनुसार बीडीएमसीएल ने अपने अकाउंट बुक्स में स्केल को बेचे गए फ्लैटों को 'राजस्व' के रूप में दिखाया, लेकिन स्केल ने इन्हें अपनी अकाउंट बुक्स में 'खरीद' के रूप में नहीं दिखाया था.
बता दें कि, स्केल के रियल एस्टेट कारोबार का जुलाई 2018 में बीडीएमसीएल में विलय कर दिया गया था. बीडीएमसीएल के शेयर शुक्रवार को 96 रुपये पर बंद हुए थे. फिलहाल कंपनी का मार्केट कैप 2,000 करोड़ रुपये से कम है.
Moonlighting: Infosys ने कर्मचारियों को दी बड़ी राहत, क्या IT इंडस्ट्री को मिल गया समाधान?
Edited by Vishal Jaiswal