जेल में बंद एक कैदी की कहानी जो ऑनलाइन पढ़ाकर कमाता है लाखों रुपये
डीजी सोमेश गोयल ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा, “हम सुधार गृह है, हम Punishment Center नहीं है, हम कैदियों को उनकी क्षमता के अनुसार रोजगार दे रहे हैं, ताकि उनकी स्किल्स में और सुधार हो सके।”
जहां देशभर में कोरोना महामारी के चलते कई लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा, वहीं एक शख्स ऐसा भी है जो जेल में रहकर अपनी सजा काटते हुए लाखों रुपये कमा रहा है।
जी हां, उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले का रहने वाला एक शख्स हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की नाहन सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सज़ा काट रहा है।
सजा काटते हुए यह कैदी 10 वीं और 12 वीं की कक्षाओं के छात्रों को ऑनलाइन क्लास लेकर साइंस पढ़ा रहा है। ऑनलाइन क्लास लेने वाली एक नामचीन कंपनी ने इस कैदी को साइंस टीचर के रूप में 10-12 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर नौकरी पर रखा है।
कैदी के इस सकारात्मक रवैये को देखते हुए जेल विभाग भी उसे हर संभव मदद देकर आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में यह पहला मामला है, जब किसी कैदी को इतने बड़े पैकेज पर सेवा देने के लिए किसी शिक्षण संस्थान ने चुना है।
डीजी सोमेश गोयल ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा, “हम कैदियों को उनकी क्षमता के अनुसार रोजगार दे रहे हैं, ताकि उनकी स्किल्स में और सुधार हो सके।”
उन्होंने आगे कहा, “हम सुधार गृह है, हम Punishment Center नहीं है।”
ZeeNews की एक रिपोर्ट के अनुसार, “शिमला जेल में बंद यह कैदी IIT रुड़की का छात्र रहा है, और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी में उसे महारत हासिल है। 2010 में, उसकी प्रेमिका की मृत्यु हो गई जब दोनों आत्महत्या करने की कोशिश कर रहे थे और वह बच गया, इस एक घटना ने उसकी जिंदगी बदल दी। उस पर हत्या का मुकदमा चलाया गया और उसे आजीवन कारावास की सजा मिली है।“
इस बीच, डीजी जेल सोमेश गोयल ने कुशल कैदियों को नौकरी दिलाने के लिए हाथ से काम करने का अभियान शुरू किया। शुरूआती चरणों में, जेल विभाग ने तकनीकी शिक्षा प्राप्त इस कैदी से तकनीकी कार्य के लिए सेवाएँ प्राप्त करना शुरू कर दिया। इसके बाद, उन्होंने जेल विभाग की भर्ती परीक्षा के लिए सॉफ्टवेयर बनाने में भी मदद ली।
पढ़ा-लिखा होने के कारण, इस कैदी ने पिछले साल एक लोकल कोचिंग सेंटर में युवाओं को पढ़ाना शुरू किया। उसके पढ़ाने का तरीका इतना अच्छा था कि बच्चे भी उससे सीखने में रुचि दिखाने लगे। कुछ समय पहले, उसे ऑनलाइन साइंस क्लासेज लेने के लिए देश की एक प्रतिष्ठित कंपनी द्वारा नौकरी पर रखा गया है।
डीजी जेल ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए किसी भी कारण से सजा पाने वालों की मदद करना जरूरी है। इस तरह के प्रयास किए गए हैं, उद्योगों और कंपनियों की मदद से कैदियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक डीजी सोमेश गोयल ने बताया, “वो पल काफी भावुक था और उस पल ने उन्हें गर्व से भर दिया। उन्होंने कहा कि कैदी के पढ़ाए बच्चे अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं और नामी संस्थानों में दाखिला ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल कैदी की पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहते, इसके कई तरह के मायने निकाले जा सकते हैं। हम चाहते हैं कि वह शांतिपूर्वक अपना योगदान देता रहे।“