बाजार में अमूल बटर की हुई शॉर्टेज, ग्राहक परेशान; क्या है वजह

दिवाली के दौरान और बाद में तरल दूध की अगुवाई में सभी डेयरी उत्पादों की मांग अधिक थी.

बाजार में अमूल बटर की हुई शॉर्टेज, ग्राहक परेशान; क्या है वजह

Wednesday November 30, 2022,

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सर्दियों की शुरुआत है और बाजार में अमूल बटर (Amul Butter) की कमी की खबरें सामने आ रही हैं. दिल्ली-NCR, पंजाब, गुजरात आदि समेत देश के कई हिस्सों से अमूल बटर की शॉर्टेज की शिकायत उपभोक्ता कर रहे हैं. दरअसल दिवाली के आसपास फेस्टिव सीजन में अमूल प्रॉडक्ट्स, खासकर बटर की खपत काफी ज्यादा रही थी.

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में अमूल ब्रांड के उत्पादों की मार्केटिंग करने वाली गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी के हवाले से कहा गया है कि उम्मीद से बेहतर दीवाली के बाद मक्खन का उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ रहा है. हालांकि उत्पादन और वितरण में कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन कुछ वितरण केंद्रों ने अचानक मांग बढ़ने का अनुमान नहीं लगाया था, जिससे अस्थायी संकट पैदा हो गया, जिसके बाद घबराहट में खरीदारी और बढ़ गई.

सामान्य हो गए हैं हालात

कंपनी की ओर से कहा गया है कि दिवाली के दौरान और बाद में तरल दूध की अगुवाई में सभी डेयरी उत्पादों की मांग अधिक थी. सोढ़ी का कहना है कि दूध की खरीद से उत्पन्न मिल्क फैट में से 60 प्रतिशत तरल दूध के लिए जाता है, बाकी मक्खन सहित अन्य उत्पादों के लिए. हमने हमेशा तरल दूध उत्पादन को प्राथमिकता दी है और इसकी सप्लाई में कोई रुकावट न आए, यह सबसे पहले देखा जाता है. जब इसकी मांग बढ़ी, तो हमने अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए मिल्क फैट का पुनः आवंटन किया. नतीजतन, हम एक ही समय में मक्खन के उत्पादन में तेजी से वृद्धि नहीं कर सके. हालांकि, कमी अल्पकालिक थी और स्थिति अब सामान्य हो गई है. फेस्टिव सीजन खत्म होने के बाद बटर का उत्पदन 25 प्रतिशत बढ़ाया गया है.

हो रही है पैनिक बाइंग

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोढ़ी का यह भी कहना है कि सप्लाई के रेगुलराइज हो जाने के बाद दिल्ली—एनसीआर में पैनिक बाइंग शुरू हो गई. पैनिक बाइंग की वजह से ही असर ज्यादा दिख रहा है. हालांकि डिमांड-सप्लाई गैप जल्द ही खत्म हो जाएगा. लेकिन उपभोक्ता तो दिक्कत महसूस कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अमूल बटर आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर वेंडर्स और सेलर्स भी अमूल उत्पादों की कमी का सामना कर रहे हैं. इसकी एक वजह गांठदार त्वचा रोग (lumpy skin disease) भी हो सकता है, जिसके चलते कई राज्यों में गायों समेत कई मवेशियों की मौत हो गई.

मक्खन बाजार के 5.24% की दर से बढ़ने की उम्मीद

स्टेटिस्टा के अनुसार, इस साल भारतीय मक्खन खंड में राजस्व 6.86 अरब डॉलर आंका गया है. बाजार के सालाना 5.24 प्रतिशत (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 2022-2027) बढ़ने की उम्मीद है. उद्योग के सूत्रों के अनुसार, अमूल की दैनिक दूध खरीद लगभग 2.7 करोड़ लीटर है, जबकि मक्खन की दैनिक खरीद प्रति वर्ष 150,000 टन है.


Edited by Ritika Singh