PLI योजनाओं के कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में FDI में 76% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है: DPIIT सचिव
भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित पीएलआई योजनाओं को 14 क्षेत्रों के लिए अपनी उत्पादन क्षमताओं को मजबूत करने और वैश्विक चैंपियन बनाने में मदद करने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए (लगभग यूएस $ 26 बिलियन) के प्रोत्साहन परिव्यय की नींव पर तैयार किया गया है.
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के कारण देश में उत्पादन, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पीएलआई योजनाओं के कारण पिछले वित्त वर्ष 2020-21 (यूएसडी 12.09 बिलियन) के मुकाबले वित्त वर्ष 2021-22 में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई में 76 प्रतिशत (21.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित पीएलआई योजनाओं को 14 क्षेत्रों के लिए अपनी उत्पादन क्षमताओं को मजबूत करने और वैश्विक चैंपियन बनाने में मदद करने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए (लगभग यूएस $ 26 बिलियन) के प्रोत्साहन परिव्यय की नींव पर तैयार किया गया है.
जिन क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाएं मौजूद हैं और वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2022-23 तक एफडीआई प्रवाह में वृद्धि देखी गई है, वे ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स (+46 प्रतिशत), खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (+26 प्रतिशत) और चिकित्सा उपकरण (+91 प्रतिशत) हैं. पीएलआई योजनाओं ने भारत की निर्यात की सूची को पारंपरिक वस्तुओं से उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार सामान, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों आदि में बदल दिया है.
अब तक, 14 क्षेत्रों में 3.65 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 733 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं. बल्क ड्रग्स, मेडिकल डिवाइसेज, फार्मा, टेलीकॉम, व्हाइट गुड्स, फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल्स और ड्रोन जैसे क्षेत्रों में पीएलआई लाभार्थियों में 176 एमएसएमई शामिल हैं.
मार्च 2023 तक 62,500 करोड़ रुपये का असल निवेश हो चुका है जिसके परिणामस्वरूप 6.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन/बिक्री हुई है और लगभग 3,25,000 का रोजगार सृजन हुआ है. वित्त वर्ष 2022-23 तक निर्यात में 2.56 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ.
वित्त वर्ष 2022-23 में 8 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं के तहत करीब 2,900 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में वितरित किए गए. ये 8 क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (LSEM), आईटी हार्डवेयर, थोक दवाएं, चिकित्सा उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण और ड्रोन और ड्रोन घटक आदि हैं.
पीएलआई योजना ने प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों जैसे, फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन को अपने आपूर्तिकर्ताओं को भारत में स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित किया है. नतीजतन, भारत में शीर्ष हाई-एंड फोन का निर्माण किया जा रहा है. इसके परिणामस्वरूप बैटरी और लैपटॉप जैसे आईटी हार्डवेयर में महिलाओं के रोजगार और स्थानीयकरण में 20 गुना वृद्धि हुई है. डीपीआईआईटी के सचिव ने कहा कि भारत में मोबाइल विनिर्माण में मूल्यवर्धन 20 प्रतिशत के बराबर है. श्री राजेश कुमार सिंह ने आगे कहा, "हम 3 साल की अवधि के भीतर मोबाइल निर्माण में मूल्यवर्धन को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने में सक्षम हैं, जबकि वियतनाम जैसे देशों ने 15 वर्षों में 18 प्रतिशत मूल्यवर्धन हासिल किया है और चीन ने 25 वर्षों में 49 प्रतिशत मूल्यवर्धन हासिल किया है. इस परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह एक बड़ी उपलब्धि है".
मौजूदा चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) के साथ एलएसईएम के लिए पीएलआई योजना ने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में और स्मार्टफोन निर्माण में क्रमश: 23 प्रतिशत और 20 प्रतिशत की वृद्धि की है, जो 2014-15 में नही के बराबर थी. वित्त वर्ष 2022-23 में यूएसडी 101 बिलियन के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में, स्मार्टफोन निर्यात के रूप में इसका हिस्सा यूएसडी 11.1 बिलियन सहित यूएसडी 44 बिलियन का है.
दूरसंचार क्षेत्र में 60 प्रतिशत का आयात प्रतिस्थापन हासिल किया गया है और भारत एंटीना, जीपीओएन (गीगाबिट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क) और सीपीई (ग्राहक परिसर उपकरण) में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है. ड्रोन क्षेत्र ने पीएलआई योजना के कारण टर्नओवर में 7 गुना वृद्धि देखी है जिसमें सभी एमएसएमई स्टार्टअप शामिल हैं.
खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजना के तहत, भारत से कच्चे माल की सोर्सिंग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसने भारतीय किसानों और एमएसएमई की आय पर सकारात्मक प्रभाव डाला है.
पीएलआई योजना के कारण फार्मा क्षेत्र में कच्चे माल के आयात में भारी कमी आई है. पेनिसिलिन-जी सहित भारत में अद्वितीय मध्यवर्ती सामग्री और थोक दवाओं का निर्माण किया जा रहा है और चिकित्सा उपकरणों जैसे (सीटी स्कैन, एमआरआई आदि) के निर्माण में प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण हुआ है.