दुनिया की मोह माया छोड़ संन्यासिन बन गईं सिंगर-मॉडल मानवी जैन
मनुष्य की जिंदगी कब, किस राह चल पड़े, किधर मुड़ जाए, किसी के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। मूलतः पाली (राजस्थान) की रहने वाले साड़ी व्यवसायी अतुल कुमार जैन को भी कहां पता था कि जब वह कारोबार में मुनाफे के लिए सूरत (गुजरात) जा बसेंगे तो उनकी सिंगर बेटी सांसारिक सुखों से मुंह मोड़ लेगी।
सूरत के कपड़ा व्यापारी की सिंगर बेटी मानवी जैन अब संन्यासी बन गई हैं। सांसारिक सुखों का त्याग कर संयम की राह पर चल पड़ीं 22 वर्षीय मानवी जैन कभी महंगे मोबाइल, ब्रांडेड कपड़े और मॉडलिंग फोटोग्राफ़ी का शौक रखती थीं। वह सोशल मीडिया पर भी व्यस्त रहती थीं। मानवी ने जब अपने निर्णय को परिवार वालों के सामने रखा तो उन्होंडने भी बेटी के फैसले का सम्मान करते हुए खुले मन से सहर्ष लिया। गत दिवस मानवी जैन ने सुबह सांसारिक सुखों का त्याग कर दीक्षा ग्रहण कर ली। दीक्षार्थी मानवी जैन की कार चल रही थी तो उसके आगे ढोल नगाड़े गूंजते रहे। मानवी की कार में उनके माता-पिता भी सवार थे। मानवी जैन के लिए अब महंगे मोबाइल, ब्रांडेड कपड़े और मॉडलिंग फोटोग्राफ़ी मोह माया की बातें हो चुकी हैं। अब वह अपने धर्म गुरु के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण कर रही हैं।
मानवी जैन मूलतः पाली (राजस्थान) के तिलक नगर की रहने वाली हैं। उनके पिता अतुल कुमार जैन अब सूरत (गुजरात) के कैलाश नगर में साड़ियों का व्यवसाय करते हैं। मानवी पाली के भंसाली कॉलेज से बीकॉम की पढाई कर चुकी हैं। बांगड़ कॉलेज में एमकॉम के लिए प्रवेश लिया तो गुरू पुर्णनज्ञ रेखा श्रीजी मसा के संपर्क आकर सूरत के राम पावन भूमि पर 48 दिन की मूल विधि का उपध्यान की तपस्या करने गईं। वहां रेखा श्रीजी मसा ने सांसारिक जीवन व संन्यास जीवन का तुलनात्मक अध्ययन करवाया। अध्ययन के बाद संयम मार्ग की खूबियों की पहली बार जानकारी हुई।
साथ ही सांसारिक जीवन छोड़ संयम पथ अपनाने का भाव भी जग गया। संयम पथ को अपनाने के लिए परिवार को बताने पर पिता अतुल कुमार जैन व माता जूली जैन को यह डर सताने लगा कि बेटी मानवी आरामदायक जिंदगी को छोड़कर संयम पथ को अपना सकेगी या नहीं। इसको लेकर अतुल ने पहले तो बेटी को पढाई पूरी करने को कहकर उनकी बात को टाल दिया। इसके बाद एक साल तक वह बेटी को जैन धर्म के त्याग, तपस्या के आयोजनों से दूर रखते हुए मिलने वालों की हाईप्रोफाइल शादी समारोहों में ले गए, आरामदायक जिंदगी का अनुभव करवाया। इसके बाद भी मानवी संकल्प डिगी नहीं। इसके बाद परिवार के सदस्यों ने संयम पथ को अपनाने की अनुमति दी।
पाली में ब्लाउज पीस का व्यापार करते रहेअतुल कुमार जैन की तीन बेटियां हैं-मानवी जैन, मयूरी जैन औरशी जैन। इनमें मानवी सबसे बड़ी बेटी हैं। लगभग सात महीने पहले ही अतुल जैन का परिवार पाली से सूरत स्थित कैलाश नगर में जाकर रहने लगा है। मानवी को लक्जरी विवाह कार्यक्रमों ले जाने के साथ ही ऐशोआराम की तरह तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गईं, साधु-साध्वियों की दिनचर्या से दूर रखा गया लेकिन इन सबका उन पर कोई असर नहीं हुआ। सूरत के कैलाश नगर में साड़ी कारोबार से इस समय अतुल कुमार जैन को साठ-सत्तर हजार रुपए महीने की कमाई हो जाती है। वह अपने परिवार को हर सुख सुविधाएं उपलब्ध कराने में स्वयं सक्षम हैं लेकिन बड़ी बेटी ने इस सबका त्याग करने का निर्णय लिया तो एक बार को इस संपन्न मध्यमवर्गीय परिवार में विचलन तो पैदा होना ही था लेकिन चूंकि यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा था, इसलिए परिजनों ने अपनी बेचैनी पर काबू पाना सीख लिया था।
जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने जब संयम पथ पर चलने का निर्णय लिया था, तभी से वर्षीदान में सांसारिक वस्तुओं को लुटाने की परंपरा है। अब मुमुक्षु मानवी ने इसे बदला, निभाया है। गत दिवस साध्वी होने से पहले मुमुक्षु मानवी के दीक्षा महोत्सव को लेकर पाली के तिलक नगर में दिनेश वीर चंद्र के घर से वर्षी दान वरघोडा निकाला गया। साथ ही रात में साढ़े सात बजे सिखवाल भवन से मानवी को विदाई दी गई। इसके बाद सूरत में मुमुक्षु मानवी अतुल कुमार ने दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया। इस दौरान तरह तरह के जैन सामुदायिक कार्यक्रमों का सिलसिला चला। दीक्षा महोत्सव का श्री जैन पर्ल्स परिवार की ओर से यू ट्यूब, वीवा बुक, फेसबुक पर लाइव प्रसारण किया गया।
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