Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

क्‍या आप भी हर रात सोने के लिए स्‍ट्रगल करते हैं? डॉ. मार्क हाइमन बता रहे हैं सोने का आसान तरीका

क्‍या ये आपकी भी रातों की कहानी है. लाइट ऑफ, आंखें बंद, लेकिन दिमाग जगा हुआ. और सुबह सूजी आंखें, सिर भारी और दिन भर थकान. तो फिर पढि़ए, डॉ. हाइमन क्‍या कह रहे हैं.

क्‍या आप भी हर रात सोने के लिए स्‍ट्रगल करते हैं? डॉ. मार्क हाइमन बता रहे हैं सोने का आसान तरीका

Sunday August 07, 2022 , 5 min Read

अगर रात में ठीक से नींद न आए तो सुबह क्‍या-क्‍या हो सकता है?

सूजी हुई आंखों से दिन की शुरुआत, शरीर में थकान, सिर में भारीपन, नींद भगाने के लिए दिन में ढेर सारा कैफीन इंटेक, एक उनींदा, सुस्‍ती भरा, भारी सा दिन. कवियों और स्‍वप्‍नजीवियों की मानें तो उन्‍हें सपने देखने के लिए एक सुकून भरी नींद चाहिए, लेकिन सामान्‍य व्‍यक्ति को ऑफिस में एक प्रोडक्टिव दिन बिताने के लिए भी सुकून भरी नींद की जरूरत है. नींद खराब मतलब अगला दिन भी खराब.

जाने-माने अमेरिकन डॉक्‍टर और लेखक डॉ. मार्क हाइमन कहते हैं कि स्‍वस्‍थ रहने के लिए हेल्‍दी फूड से भी पहले जरूरी है हेल्‍दी नींद. अगर किसी भी कारण से आपकी नींद पूरी नहीं होती और शरीर को सेल्‍फ रिपेयर का टाइम नहीं मिलता तो आपकी बाकी हेल्‍दी लाइफ स्‍टाइल भी किसी काम की नहीं.

डॉ. मार्क हाइमन का एक छोटा सा स्‍लीप कोर्स है, जिसमें वे समझाते हैं कि नींद का सीधा संबंध हमारे इम्‍यून सिस्‍टम और रेजिस्‍टेंट पावर यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता से है. उनके इस स्‍लीप कोर्स में कही गई बातों को हम यहां संक्षेप में समझाने की कोशिश करेंगे.

बकौल मार्क हाइमन नींद पूरी न होने के पांच परिणाम होते हैं.

1. थकान महसूस होना

2. स्‍ट्रेस्‍ड यानि तनावग्रस्‍त रहना

3. ब्रेन फॉग यानि दिमाग में सुस्‍ती, थकान.

4. शरीर में दर्द, भारीपन.

5. पाचन तंत्र कमजोर होना.

डॉ. हाइमन कहते हैं कि नींद न आने की स्थिति अगर अक्‍यूट हो, जैसेकि इंसोम्निया या स्‍लीप एप्निया आदि तो ऐसी स्थिति में हमें मेडिकल सपोर्ट की जरूरत होती है यानि दवाइयों की. लेकिन बहुसंख्‍यक लोगों की खराब नींद की वजह कोई बीमारी नहीं, बल्कि खराब लाइफ स्‍टाइल है. इस लाइफ स्‍टाइल को सुधारकर और कुछ बातों का ख्‍याल करके अपनी नींद की क्‍वालिटी को बेहतर किया ला सकता है. डॉ. हाइमन के सुझाए कई तरीकों में से दो प्रमुख तरीके इस प्रकार हैं-

लाइट, मेलेटोनिन हॉर्मोन और हमारी नींद

डॉ. हाइमन कहते हैं कि नींद आने के लिए शरीर में मेलेटोनिन नामक हॉर्मोन का रिलीज होना जरूरी है. मेलेटोनिन हॉर्मोन हमारे मस्तिष्‍क को ये मैसेज देता है कि अब शरीर को आराम की जरूरत है. लेकिन मॉडर्न लाइफ स्‍टाइल में आसपास ऐसी कई चीजें हैं, जो इस हॉर्मोन रिलीज की प्रक्रिया को बाधित करती हैं. जैसेकि टेलीविजन और मोबाइल की स्‍क्रीन.

टेलीविजन और मोबाइल से निकलने वाली ब्‍लू रेज मेलेटोनिन रिलीज को रोकती हैं. इसलिए देर रात तक किसी भी तरह की स्‍क्रीन के संपर्क में रहने का हमारी नींद पर नकारात्‍मक असर पड़ता है. कभी किसी जंगल या गांव में शाम बिताकर देखिए. जहां कोई टीवी, मोबाइल वगैरह न हो. आपको अपने आप ही जल्‍दी और अच्‍छी नींद आएगी. वजह यही है. वहां मेलेटोनिन रिलीज को रोकने वाले कारण मौजूद नहीं हैं.  

इससे बचने के लिए डॉ. हाइमन तीन सलाहें देते हैं.

1. सूरज ढलने के बाद कोशिश व्‍हाइट या ब्‍लू लाइट न जलाकर अपने आसपास सॉल्‍ट लैंप यानि हल्‍की पीली रौशनी वाला बल्‍ब जलाइए.

2. स्‍क्रीन का जितना हो सके, कम इस्‍तेमाल करिए. अगर इस्‍तेमाल करना ही पड़े तो रेड लाइट ग्‍लासेस के साथ करिए.

3. सोते वक्‍त कमरे में बिलकुल अंधेरा हो और मोबाइल आसपास न हो.

खाने का नींद से क्‍या रिश्‍ता है

डॉ. हाइमन कहते हैं कि हमारी नींद और भोजन के बीच कम से कम तीन घंटे का अंतराल होना जरूरी है. वैसे आदर्श स्थिति तो यह है कि यह अंतराल चार से पांच घंटे का हो. लेकिन किसी भी स्थिति में खाना खाकर तुरंत नहीं सोचा चाहिए. आपने वजन घटाने के लिए इस तरह के उपायों के बारे में सुना होगा, लेकिन शायद ये नहीं पता कि इसका सीधा संबंध हमारी नींद की क्‍वालिटी से भी है.

डॉ. हाइमन कहते हैं कि खाने और सोने के बीच अंतराल इसलिए जरूरी है कि जब आपका शरीर आराम करने जाए, उस वक्‍त आपका पाचन तंत्र भोजन पचाने का एक्टिव हिस्‍सा पूरा करके पैसिव चरण में जा चुका हो. जब हमारा पाचन तंत्र खाना पचाने के शुरुआती चरण में होता है तो दिमाग को ये मैसेज देता है कि बॉडी अभी एक्टिव है. अभी उसे एनर्जी की जरूरत है. ऐसे में दिमाग शरीर के बाकी हिस्‍सों को पैसिव एक्टिव यानि स्‍लीप मोड में डालने में देर करता है. डॉ. हाइमन बहुत सारी मेडिकल डीटेलिंग के साथ इस प्रक्रिया को समझाते हैं, लेकिन आसान शब्‍दों में उसे ऐसे समझ सकते हैं कि शरीर का एक हिस्‍सा अगर काम में सक्रिय है तो बाकी हिस्‍सों को आराम करने में तकलीफ होगी. इसलिए जरूरी है कि जब हम सोने जाएं तो पूरा शरीर अपने दिनभर की दिनचर्या निपटा चुका हो और आराम करने के मूड में हो.

डॉ. हाइमन कहते हैं कि जब हम सो रहे होते हैं तो भी शरीर काम करता रहता है. नींद के दौरान ही शरीर रिपेयर वर्क करता है. टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्‍मत का काम उसी दौरान होता है. लेकिन वो शरीर की पैसिव एक्टिविटी है और वो होने के लिए जरूरी है कि दिमाग स्‍लीप मोड में यानि आराम की मुद्रा में हो.

अगर आपकी आंखें बंद हैं, लेकिन दिमाग जगा हुआ है तो यह रिपेयर वर्क भी ठीक से नहीं होगा. यही कारण है कि खराब नींद खराब इम्‍यूनिटी और फिर बीमारियों का कारण बनती है.

डॉ. हाइमन इसके अलावा सुबह जल्‍दी उठने, व्‍यायाम और योग करने, लो कार्ब और शुगर और हाई फाइबर डाइट लेने जैस सुझाव भी देते हैं, लेकिन उसके बारे में हम अगले आर्टिकल में चर्चा करेंगे, डॉ. मार्क हाइमन की किताब “द अल्‍ट्रा माइंड सॉल्‍यूशन” से.

तब तक- हैपी स्‍लीप.     


Edited by Manisha Pandey