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सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों पर सख्त हुई सरकार, पेड प्रमोशंस करना पड़ सकता है भारी

प्रस्तावित दिशानिर्देशों के प्रावधानों के तहत, यदि कोई सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर पैसे स्वीकार करने के बाद किसी ब्रांड का समर्थन करता है, तो उसे उस ब्रांड के साथ अपने जुड़ाव का खुलासा करना होगा.

सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों पर सख्त हुई सरकार, पेड प्रमोशंस करना पड़ सकता है भारी

Thursday September 08, 2022 , 2 min Read

सरकार सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों के लिए जल्द ही दिशानिर्देश लाने वाली है. इसके तहत उनके लिए यह बताना अनिवार्य होगा कि जिस भी उत्पाद का वे प्रचार-प्रसार कर रहे हैं या उसके बारे में लिख रहे हैं, उससे उनका क्या संबंध है. एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘‘उपभोक्ता मामला का विभाग सोशल मीडिया ‘इन्फ्लूएंसर’ के लिए दिशानिर्देश लाने जा रहा है.’’

सूत्रों ने बताया कि ऐसे लोग जिनके इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर ‘फॉलोअर्स’ की संख्या काफी अधिक है वे ब्रांड से पैसा लेने के बाद उत्पादों का प्रचार करते हैं.

प्रस्तावित दिशानिर्देशों के प्रावधानों के तहत, यदि कोई सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर पैसे स्वीकार करने के बाद किसी ब्रांड का समर्थन करता है, तो उसे उस ब्रांड के साथ अपने जुड़ाव का खुलासा करना होगा. सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, प्रभावित करने वालों को ऐसे एंडोर्समेंट पोस्ट में डिस्क्लेमर लगाने होंगे.

सूत्रों के मुताबिक, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बड़ी संख्या में इन्फ्लूएंसरों को कंपनियों से भुगतान लेने के बाद उत्पादों का प्रचार करते पाया गया है. सूत्रों ने कहा कि इस तरह की प्रथाओं पर अंकुश लगाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी उपभोक्ता मामलों के विभाग की है. विभाग ई-कॉमर्स साइटों पर फेक रिव्यूज को रोकने के लिए एक फ्रेमवर्क विकसित करने की प्रक्रिया में है.

27 मई को, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर फेक रिव्यूज का संज्ञान लेते हुए, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ई-कॉमर्स कंपनियों और स्टेकहोल्डर्स के साथ फेक रिव्यूज के परिमाण और आगे का रोडमैप तैयार करने पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की थी.

दरअसल, उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ई-कॉमर्स कंपनियों, कंज्यूमर फोरम्स, लॉ यूनिवर्सिटीज, वकीलों, फिक्की और सीआईआई सहित स्टेकहोल्डर्स को पत्र लिखा था. इसके कुछ दिन बाद ही भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के सहयोग से यह बैठक आयोजित की गई थी.

31 जुलाई को व्यापारियों के निकाय CAIT ने ऑनलाइन उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं की फेक रिव्यूज से बचाने के लिए ब्रांड एंडोर्सर्स, सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों और ब्लॉगर्स को प्रस्तावित ढांचे के तहत लाने का आह्वान किया. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने यह भी तर्क दिया था कि किसी उत्पाद या सेवा की रेटिंग को समीक्षा के लिए नीतिगत ढांचे का एक हिस्सा बनाया जाना चाहिए. व्यापारियों के निकाय ने सरकार से उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित और मजबूत नीति को जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया था.


Edited by Vishal Jaiswal