फूडटेक से लेकर ईकॉमर्स तक, इनोवेशन को बढ़ावा दे रहे हैं कश्मीर के ये 5 स्टार्टअप
पश्मीना बनाने और कश्मीरी उत्पादों की रिटेल बिक्री से लेकर ऑनलाइन फूड डिलीवरी सेवा मुहैया कराने और स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देने तक, ये स्टार्टअप कश्मीर घाटी में रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
कश्मीर इतना खूबसूरत है कि इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। यह भारत के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक है। पर्यटन के अलावा यह पश्मीना शॉल, कालीन, कालीन, स्कार्फ जैसे हस्तशिल्प और हथकरघा, साथ में विदेशी मसालों और रंगीन ट्यूलिप के लिए भी जाना जाता है।
हालांकि जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता, प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों, तकनीक की कम पहुंच, बेरोजगारी और कभी-कभी शून्य इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी समस्याएं भी हैं। इन सबके चलते यहां तकनीक आधारित इनोवेशन एक दूर के ढोल जैसा लगता है।
इसके बावजूद कश्मीर घाटी कई स्टार्टअप और आंत्रप्रेन्योर्स का घर है, जो जनता के लिए अवसर पैदा करने के नए विचारों के साथ आए हैं। राज्य में स्टार्टअप्स के विकास को सुविधाजनक बनाने और पोषित करने के उद्देश्य से, जम्मू-कश्मीर सरकार ने सितंबर 2018 में अपनी पहली स्टार्टअप नीति शुरू की।
योरस्टोरी के इस आर्टिकल में कुछ ऐसे ही स्टार्टअप्स की सूची है जिन्होंने घाटी में इनोवेशन को जिंदा रखा हुआ है
Gatoes
एक फूडटेक स्टार्टअप है, जिसे जिब्रान गुलजार ने 2020 में शुरू किया था। इस स्टार्टअप की शुरुआत एक सबसे बेसिक आइडिया से हुई कि- आखिर 2जी नेटवर्क पर फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म कैसे बनाया जाए?
जिब्रान ने योरस्टोरी के साथ कुछ समय पहले हुई एक बातचीत में कहा था, “हमने 2जी पर फूड डिलीवरी ऐप को बनाने के लिए सैकड़ों डेवलपर्स से बात की। हम कुछ असंभव जैसी चीज संभव करने की कोशिश कर रहे थे। घाटी में बहुत कम स्टार्टअप एक साल से अधिक समय तक चलते हैं।”
Gatoes मुख्य रूप से एक ऐप-आधारित फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म है, जिसने राज्य के सात जिलों में 2,000 से अधिक स्थानीय रेस्टोरेंट्स के साथ करार किया है।
जिब्रान कहते हैं, यह रोजाना करीब 1,000 ऑर्डर की डिलीवरी करता है और इसका औसत ऑर्डर वैल्यू 450 रुपये है, जो "दिल्ली में आपके द्वारा देखे जाने से अधिक" है।
Gatoes का दावा है कि ग्राहकों के लिए इसकी कीमतें और रेस्टोरेंट्स से इसके द्वारा लिया जाने वाला कमीशन अन्य फूडटेक ऐप्स की तुलना में कम है।
टीम का दावा है कि उसने फूड डिलीवरी के समय को 65 मिनट से घटाकर 45 मिनट कर दिया है और इसे और कम करके 30 मिनट करने की कोशिश की जा रही है।
जिब्रान ने कहा, "श्रीनगर में सड़कों पर काम करना मुश्किल है। कभी-कभी यहां बर्फ होती है और कभी-कभी पुलिस बाइक सवारों के लिए कुछ मुश्किल पैदा कर देती है।"
Gatoes का लक्ष्य आने वाले समय में श्रीनगर में रोजाना 5,000 ऑर्डर के डिलीवरी का है और मार्च 2022 तक वह 5 गुना ग्रोथ के साथ 50 करोड़ रुपये के GMV को पार करना चाहती है।
एंजल निवेशकों की फंडिंग वाले इस वेंचर ने पंजाब और हरियाणा के टियर II और टियर III शहरों में भी पायलट बेसिस पर शुरुआत की है और उसका लक्ष्य अधिक फंडिंग मिलने के बाद पूरे भारत में विस्तार करना है।
Jammu Basket
अंकुश वर्मा और आशीष वर्मा ने अक्टूबर 2020 में
की शुरुआत की थी। यह लोकल लेवल पर ग्रॉसरी डिलीवरी के अलावा जम्मू के स्थानीय और लोकप्रिय उत्पादों की देश भर में डिलीवरी भी करती है।आशीष ने हाल ही में योरस्टोरी से बातचीत में कहा, “जम्मू और कश्मीर जाने पर ज्यादातर लोग कश्मीरी उत्पाद खरीदते हैं। चाहे वह पश्मीना शॉल हो, चाय हो या फिर सूखे मेवे। लेकिन जम्मू के पास इनके अलावा और भी बहुत कुछ है। इन चीजों का उतना प्रचार नहीं है, इसलिए लोग उनके बारे में जागरूक नहीं है।
स्टार्टअप ने पहले ही कम से कम 20 स्थानीय विक्रेताओं के साथ करार किया है जो राज्य के स्थानीय उत्पाद बेचते हैं। इनमें उत्पादों में उधमपुर कलाड़ी (एक प्रकार का पनीर), अखनूर पलंगतोड़ (इलाके की फेमस मिल्क केक) और सूखे स्ट्रॉबेरी और कीवी आदि शामिल हैं।।
जहां अधिकतर ऑनलाइन मार्केटप्लेस कमीशन के आधार पर काम करते हैं, वहीं इनके उलट जम्मू बास्केट अपने बिक्रेताओं के साथ मार्जिन के आधार पर काम करता है।
स्टार्टअप के पास कम से कम 70 प्रतिशत ऑर्डर जम्मू से ही आते हैं जबकि बाकी ऑर्डर देश के प्रमुख मेट्रो शहरों से आते हैं।
आशीष ने कहा, “हम स्थानीय ग्राहकों को एक ही दिन में डिलीवरी की पेशकश करते हैं और मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु आदि शहरों में डिलीवरी ऑर्डर के लिए दो से तीन दिन लेते हैं। प्लेटफॉर्म पर हर महीने औसतन 4,000 यूजर्स आते हैं और 2,000-2,500 रुपये के औसत बास्केट वैल्यू के साथ 500-600 ऑर्डर मिलते हैं।
अभी यह स्टार्टअप पूरी तरह से फाउंडर्स के पैसे से ही चल रही है। स्टार्टअप का दावा है कि उसका कस्टमर रिटेंशन रेट 60 प्रतिशत है।
जम्मू और कश्मीर में कम इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण, फाउंडर्स ने ऐप के बजाय एक वेबसाइट बनाने का फैसला किया। हालांकि जैसे-जैसे मांग बढ़ती जा रही है, उसे देखकर फर्म एक ऐप लॉन्च करने की योजना बना रही है।
भविष्य की बात करें तो, जम्मू बास्केट की योजना राज्य-आधारित उत्पादों के लिए अपने SKUs को बढ़ाने की है, जिससे पूरे देश के दूसरे हिस्सों में रहने जम्मू-कश्मीर के लोगों से उसे अधिक डिमांड मिलेगी। स्टार्टअप फैशन और अपैरल कैटेगरी में भी उतरना चाहती है।
स्टार्टअप ने पहले महीने में ही 1-2 लाख रुपये की बिक्री की। हालांकि अप्रैल 2021 में जब COVID की दूसरी लहर बढ़ रही थी, तब जम्मू बास्केट का कारोबार 10 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच था। आशीष का दावा है कि फर्म औसतन 15-20 फीसदी का मुनाफा कमा रही है।
FastBeetle
एक श्रीनगर आधारित लॉजिस्टिक सर्विस स्टार्टअप है। इसे मई 2019 में शेख समीउल्लाह और आबिद राशिद ने मिलकर शुरू किया था। इसे धीमी स्पीड से चलने वाले 2जी इंटरनेट के जरिए फूड, ग्रॉसरी आदि डिलीवरी करने के इरादे से लॉन्च किया गया है।
को-फाउंडर्स आबिद ने कहा, “हमारा ध्यान लास्ट माइल डिलीवरी पर है। हम अधिक स्थानीय ऑपरेटरों को शामिल कर रहे हैं और ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ भी गठजोड़ कर रहे हैं। हमने डिलीवरी रूट्स को अधिक प्रभावी बनाने के लिए छोटी सड़कों की मैपिंग शुरू कर दी है। हमारा गहन भौगोलिक ज्ञान इसमें हमारी मदद कर रहा है।”
स्टार्टअप कश्मीर के अंदर सब कुछ डिलीवर कराता है। इसमें फूड, किराना, दवाएं, गिफ्ट, फूल और आधिकारिक दस्तावेजों के साथ-साथ ऑनलाइन या ऑफलाइन दुकानों से खरीदे सामान, कोई अन्य महत्वपूर्ण शिपमेंट और पैकेज आदि शामिल है।
आबिद ने बताया, "आज, हम राज्य के 10 से अधिक जिलों में 300 गांवों को कवर करते हैं। हम उरी सीमा तक भी पहुंचते हैं। हमारे श्रीनगर, बारामूला और पुलवामा में तीन ऑफिस हैं। इसके अलावा हम लद्दाख में एक कार्यालय भी शुरू कर रहे हैं।"
स्टार्टअप 700 से अधिक छोटे और लघु उद्योग के साथ काम करता है और 10 करोड़ रुपये के GMV को पार कर गया है, जिसमें मुख्य रूप से महिला उद्यमियों द्वारा संचालित उद्योगों को मिले ऑनलाइन ऑर्डर को पहुंचाई गई सेवाएं शामिल हैं। ये महिला उद्ममी हस्तशिल्प, शॉल, क्रोकेट आइटम, फोटो फ्रेम इत्यादि में होम बिजनेस चलाती हैं।
आबिद ने कहा, "हम जिन व्यवसायों के साथ काम करते हैं, उनमें से लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं द्वारा चलाए जाते हैं।"
FastBeetle ने 70,000 से अधिक ग्राहकों को 1,00,000 से अधिक डिलीवरी करने का दावा किया है।
इसका डिलीवरी रेट प्रत्येक ऑर्डर पर 80 रुपये से 150 रुपये के बीच होता हैं। सामी ने बताया, “अगर पैकेज बाइक पर फिट नहीं होता है, तो हम डिलीवरी के लिए 699 रुपये चार्ज करते हैं। राज्य के भीतर सभी डिलीवरी एक ही दिन में किए जाते हैं और अंतरराज्यीय डिलीवरी में 3-4 दिन लग सकते हैं।”
स्टार्टअप के पास एक कस्टमर-फेसिंग ऐप भी है। इसपर यूजर्स को पिक-अप और ड्रॉप लोकेशन डालना होता है और वाहन के प्रकार (ट्रक, मिनीवैन, बाइक) का चुनना करना होता है। इसके आधार पर उनसे शुल्क लिया जाता है। ऐप एंड-टू-एंड ऑर्डर ट्रैकिंग सिस्टम भी प्रदान करता है।
कोविड महामारी के बाद, फास्टबीटल ने श्रीनगर के बाहर ई-कॉमर्स डिलीवरी में तेजी लाने के लिए फ्लिपकार्ट और अमेजन के साथ साझेदारी की।
फाउंडर्स ने बताया, “हमने श्रीनगर के बाहर के लोगों को चेक बुक और एटीएम कार्ड देने या डिलीवर करने के लिए बैंकों के साथ भी करार किया है।”
एंजेल निवेशकों से फंडिंग वाला यह स्टार्टअप 50 फीसदी सालाना की दर से बढ़ने का दावा करता है। वित्त वर्ष 2024 तक, यह 30 करोड़ रुपये के GMV पर 700,000 ऑर्डर और 4 करोड़ रुपये की आमदनी को हासिल करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है।
All Things Kashmir
मीर मुबाशेर हमीदी और जहूर हसन मीर ने फरवरी 2021 में
की शुरुआत की। यह श्रीनगर आधारित एक डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) स्टार्टअप है। इसका लक्ष्य ओरिजनल और हाई क्वालिटी वाले पश्मीना शॉल, हाथ से बुने हुए कालीन, स्कार्फ, मसाले और राज्य के हस्तशिल्पों के लिए एक वन-स्टॉप शॉप बनने का है।ऑल थिंग्स कश्मीर (ATK) की पश्मीना शॉल की कीमत 9,000 रुपये से 4 लाख रुपये के बीच है जबकि इसके कालीनों की कीमत 1.3 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच है।
जहूर ने योरस्टोरी के साथ हालिया बातचीत में कहा, “ऑल थिंग्स कश्मीर पर, आपको न केवल एक असली उत्पाद का आश्वासन दिया जाता है, बल्कि प्रत्येक उत्पाद के साथ उसकी प्रामाणिकता का सर्टिफिकेट भी दिया जाता है। हम प्राइस का एक मानक तय करने के साथ गुणवत्ता पर भी काम कर रहे हैं। हम केवल बेहतरीन पश्मीना और कालीन बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसके लिए कश्मीर ऐतिहासिक रूप से जाना जाता है।”
फिलहाल यह स्टार्टअप केवल अपनी वेबसाइट के जरिए ही बिक्री करता है। स्टार्टअप को पूरे भारत से ऑर्डर मिलते हैं और इसकी अधिकांश बिक्री देश के उत्तरी और पश्चिमी भागों से होती है।
मुबाशेर के अनुसार, ATK ने 2021 में अधिक बिक्री देखी। उन्होंने कहा, "सितंबर 2021 में लॉन्च की गई पहली उत्पाद लाइन पूरी तरह से बिक गई। बिक्री में बढ़ोतरी हमारी उम्मीदों को पार कर गई। अब हमें विश्वास है कि हम सही रास्ते पर हैं।"
फिलहाल यह स्टार्टअप पूरी तरफ से फाउंडर्स के पैसे से चल रहा है। इसका लक्ष्य मौजूदा वित्त वर्ष में 3 गुना बिक्री हासिल करना है, जिसका मतलब है कि 5 करोड़ रुपये के राजस्व को हासिल करना। मुबाशेर ने कहा, "अब तक हमने जो प्रगति की है, उसे देखते हुए हम इसे पार करने की उम्मीद करते हैं।"
2022 की दूसरी तिमाही में, यह स्टार्टअप यूनाइटेड किंगड के बाजार और ग्लासगो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ स्ट्रैथक्लाइड में भी प्रवेश की तैयारी कर रही है। साल के अंत तक यह नार्वे और उसके आसपास के देशों तक पहुंचने का भी इसका लक्ष्य है।
ATK ने भारत में बढ़ते फैशन सेंस को पूरा करने के लिए पेरिस, मिलान और कोपेनहेगन के प्रसिद्ध डिजाइनरों के साथ सहयोग करने की भी योजना बनाई है। जहूर ने कहा, "हमारी योजना इन कौशलों को अपने कारीगरों को तक ट्रांसफर करने की है, जिससे उनकी क्षमताओं को ग्लोबल फैशन के रुझानों के अनुरूप बनाया जा सके।"
Kashmir Box
मुहीत मेहराज ने 2011 में
की शुरुआत की थी, जो हथकरघा और स्थानीय उत्पादों के लिए एक ई-कॉमर्स वेंचर है।श्रीनगर आधारित यह स्टार्टअप स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों, उत्पादकों और रचनात्मक उद्यमियों को अपने उत्पादों को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के लिए एक बाजार मुहैया करता है।
कश्मीर बॉक्स इन कारीगरों को माइक्रो आंत्रप्रेन्योर्स बनाने का इरादा रखता है, उन्हें वह देता है जिसके वे हकदार हैं, उनके मजदूरी में बढ़ोतरी करके रोजगार बढ़ाने में मदद करता हैं और इससे उनके जीवन स्तर में सुधार करता है।
स्टार्टअप का दावा है कि वह अब तक 10,000 से अधिक स्थानीय कारीगरों और किसानों को अपने मंच पर लाने में कामयाब रहा है। इसके मंच पर कारीगरों और भागीदारों को अपने उत्पादों को अपने व्यक्तिगत ब्रांडनेम से बेचने का मौका मिलता है। इस तरह यह उन्हें सशक्त बनाता है और उन्हें उपलब्धि और गर्व की भावना देता है।
स्टार्टअप ने 2018 में एक एंजल फंडिंग राउंड में एक अघोषित रकम जुटाई थी। उस वक्त मोहित ने बताया था, "हमारे प्रयासों से हमारे कारीगरों और किसानों की आमदनी में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।"
Edited by Ranjana Tripathi