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चाय सुट्टा बार: पापा को बिना बताए दो दोस्त बेचने लगे चाय, आज हैं 450 स्टोर, 100 करोड़ का टर्नओवर

चाय सुट्टा बार में ना तो सुट्टा है ना ही बार है, इसमें है तो बस चाय. अनुभव दुबे और आनंद नायक ने 2016 में इसकी शुरुआत की थी. आज इसके करीब 450 स्टोर हैं और कंपनी का 100 करोड़ से भी अधिक का टर्नओवर है.

चाय सुट्टा बार: पापा को बिना बताए दो दोस्त बेचने लगे चाय, आज हैं 450 स्टोर, 100 करोड़ का टर्नओवर

Thursday December 22, 2022 , 7 min Read

चाय सुट्टा बार, इस स्टार्टअप (Startup) का नाम सुनते ही अधिकतर लोगों के दिमाग में कुछ अलग ही तस्वीर बनती है. लोगों को लगता है कि यहां चाय के साथ सिगरेट मिलती होगी और ये किसी तरह का बार होगा, जहां शराब भी परोसी जाती होगी. चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar) की कहानी शुरू करने से पहले ही आपको बता दें कि चाय सुट्टा बार में ना तो सुट्टा है, ना ही ये कोई बार है. यह एक चाय कैफे है, जहां पर आपको कई तरह के फ्लेवर वाली चाय मिलती है, वो भी कुल्हड़ में. जिस उम्र में बच्चे खेलने-कूदने और मौज मस्ती में अपना सारा टाइम बर्बाद कर देते हैं, उस उम्र में अनुभव दुबे और आनंद नायक ने चाय का ये बिजनेस शुरू किया.

इस कहानी की शुरुआत हुई जुलाई 2016 में, जब अनुभव और आनंद करीब 22-23 साल के रहे होंगे. दोनों बचपन से ही अच्छे दोस्त थे और उन्होंने पढ़ाई (बीकॉम-टैक्सेशन) भी साथ में ही की थी. अभी तो दोनों रहते भी एक ही शहर में हैं, मध्य प्रदेश का इंदौर. उस वक्त दोनों ही दोस्तों ने साथ मिलकर कोई बिजनेस शुरू करने का फैसला किया. इसी सोच के साथ दोनों बाजार में घूमे और समझने की कोशिश की कि कौन सा बिजनेस करना चाहिए. दोनों ने देखा कि जगह-जगह चाय के ठेले लगे हुए हैं. बिना पढ़े-लिखे या बहुत ही कम पढ़े लिखे लोग चाय का ठेला लगाकर बिजनेस कर रहे हैं. वहीं से आइडिया आया कि चाय का बिजनेस किया जाए. उन्होंने सोचा जब कम पढ़े-लिखे लोग चाय बेच सकते हैं, तो हम तो 12वीं पास हैं हम भी बेच ही लेंगे.

450 से भी ज्यादा स्टोर हैं चाय सुट्टा बार के

मौजूदा समय में चाय सुट्टा बार के दोनों ही को-फाउंडर्स की उम्र करीब 30 साल है. इतनी सी उम्र में ही उन्होंने करीब करोड़ों के टर्नओवर वाला बिजनेस खड़ा कर दिया है. अगर सिर्फ कंपनी के अपने आउटलेट के टर्नओवर की बात करें तो यह करीब 30 करोड़ रुपये सालाना का है. वहीं दूसरी ओर अगर सारे स्टोर्स और आउटलेट के रेवेन्यू को एक साथ देखें तो उनका कुल टर्नओवर 100 करोड़ रुपये सालाना से भी अधिक है. इस वक्त भारत में उनके करीब 450 स्टोर हैं. इसके अलावा दुबई में भी इनके दो स्टोर हैं और एक और खुलने वाला है. वहीं नेपाल में भी उनका एक स्टोर है. इसके अलावा अमेरिका, कनाडा, यूके जैसे देशों में भी चाय सुट्टा बार अपने स्टोर्स खोलने की प्लानिंग में है.

अनुभव बताते हैं कि इस वक्त चाय सुट्टा बार दुनिया में सबसे ज्यादा कुल्हड़ चाय बेचने वाली कंपनी है. चाय सुट्टा बार हर रोज करीब 4.5-5 लाख कुल्हड़ चाय बेचता है. इसकी वजह से करीब 1500 परिवारों को रोजगार मिला है, जो कुल्हड़ बनाकर अपना पेट पालते हैं. कंपनी ने कई गरीब और विकलांग लोगों को भी नौकरी दी है. चाय सुट्टा बार के फाउंडर अनुभव दुबे बताते हैं कि उनके इस स्टार्टअप का मकसद सिर्फ पैसे कमाना ही नहीं है, बल्कि समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को निभाना भी है.

क्या है कपंनी का बिजनेस मॉडल?

चाय सुट्टा बार 4 तरीकों से पैसे कमाता है. पहला तरीका तो है चाय बेचकर पैसे कमाना. चाय सुट्टा बार में 7 फ्लेवर (चॉकलेट, अदरक, इलायची, मसाला, रोज, पान , तुलसी) में चाय मिलती है, जिसकी कीमत 10-30 रुपये के बीच होती है. चाय के बिजनेस में करीब 50-55 फीसदी का मर्जिन मिलता है. कंपनी की कमाई का दूसरा तरीका है फ्रेंचाइजी फीस और तीसरा तरीका है रॉयल्टी फीस. चाय सुट्टा बार की तरफ से फ्रेंचाइजी लेने वाले को सेल्स का 2 फीसदी रॉयल्टी फीस के तौर पर चुकाना होता है. ये सब चाय सुट्टा बार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तहत होता है. वहीं कमाई का चौथा तरीका है कंपनी के प्रोडक्ट्स, जैसे कुल्हड़. इसके लिए एक अलग कंपनी बनाई गई है, जिसका नाम है चाय सुट्टा बार ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड. इसके जरिए तमाम फ्रेंचाइजी को तो कॉस्ट-टू-कॉस्ट ही कुल्हड़ दिए जाते हैं, लेकिन अगर दूसरी कोई कंपनी उनसे कुल्हड़ खरीदती है तो उनसे मुनाफा कमाया जाता है.

chai sutta bar

'चाय सुट्टा बार' नाम कहां से आया?

इस पूरी कहानी में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर चाय सुट्टा बार नाम क्यों रखा. अनुभव दुबे बताते हैं कि जब चाय के बिजनेस के लिए कोई नाम सोच रहे थे, उस वक्त चाय-सुट्टा की बात खूब ट्रेंड में थी. उस वक्त सोचा क्यों ना कि कोई अतरंगी सा नाम रखा जाए, जो लोगों में एक उत्साह पैदा करे. अनुभव कहते हैं कि ऐसा नाम रखने की वजह यही थी कि लोगों को ध्यान अपनी ओर खींचा जा सके. यानी अगर इसे पब्लिसिटी स्टंट कहा जाए तो गलत नहीं होगा, लेकिन यह स्टंट बड़े काम आया और उनका चाय बिजनेस खूब फला-फूला. हालांकि, चाय सुट्टा बार नाम की वजह से कई सारे लोग कंपनी को इंडोर्स नहीं करते हैं. तो जिस नाम की वजह से कंपनी को खूब तरक्की मिली है, वही नाम कंपनी के कुछ मामलों में परेशानी का सबब भी है.

महज 3 लाख रुपये से शुरू किया बिजनेस

अनुभव बताते हैं कि जब उन्होंने कोई बिजनेस शुरू करने की सोची थी, उस वक्त दोनों दोस्तों के पास महज 3 लाख रुपए थे. ऐसे में उन्हें कोई ऐसा बिजनेस ही करना था, जो इतने बजट में शुरू हो सके. ऐसे में उन्होंने चाय का बिजनेस करने का फैसला किया. शुरुआत में तो उन्होंने अपनी चाय की कीमत भी 7 रुपये रखी थी, लेकिन बाद में कई फ्लेवर के साथ-साथ कीमतें बढ़ गईं.

पापा को नहीं बताया और बेचने लगे चाय

अनुभव अपनी मम्मी के तो राजा बेटा रहे हैं, लेकिन पापा से थोड़ा डरते थे. ऐसे में जब उन्होंने चाय का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया तो इसके बारे में मम्मी को तो बता दिया, लेकिन पापा को नहीं बताया. काफी वक्त यूं ही गुजर गया, लेकिन एक दिन वह लाइव हुए तो पोल खुल गई. किसी रिश्तेदार ने उनके पिता को बता दिया कि अनुभव दुबे तो चाय बेच रहे हैं. बस फिर क्या था, उनके पिता सीधे जा पहुंचे उनकी दुकान पर, लेकिन जब देखा कि वहां अनुभव चाय बनाते नहीं है, बल्कि सिर्फ मैनेज करते हैं तो कुछ नहीं बोले. हालांकि, अनुभव बताते हैं कि उनके पापा कुछ वक्त के लिए निराश जरूर हुए थे. दरअसल, हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा कोई अच्छी सी सरकारी नौकरी करे, जिससे खूब कमा सके, चाय बेचकर कोई कितना कमा लेगा. खैर, उस वक्त तक चाय सुट्टा बार के 3 आउटलेट हो चुके थे और तरक्की तेजी से मिलती जा रही थी. अनुभव दुबे और आनंद नायक ने तमाम मां-बाप की इस सोच को बदल दिया है.

चुनौतियां भी कम नहीं

अनुभव दुबे के सामने इस बिजनेस में सबसे पहली चुनौती तो पैसा ही रहा, जिसकी उनके पास बहुत कमी थी. वहीं दूसरा बड़ा चैलेंज ये रहा कि चाय के बिजनेस के लिए परिवार का सपोर्ट थोड़ा कम मिला, क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों को लेकर बहुत डरते हैं. वहीं चाय के बिजनेस में तमाम तरह के लोग मिलते थे, वह भी किसी चुनौती से कम नहीं. कभी कोई नेता मिलता, तो कभी कोई गुंडा पहुंच जाता, हर तरह के लोगों को हैंडल करना पड़ा, क्योंकि सभी ग्राहक हैं. टारगेट कस्टमर स्टूडेंट थे, जिनमें एनर्जी बहुत अधिक होती है, उन्हें मैनेज करना भी उतना ही मुश्किल होता है.

फंडिंग कब लेंगे, अभी सोचा नहीं

अनुभव बताते हैं कि अभी तो चाय सुट्टा बार बूटस्ट्रैप्ड कंपनी है, लेकिन भविष्य में फंडिंग पर विचार जरूर किया जाएगा. अभी कंपनी का बिजनेस मॉडल फ्रेंचाइजी से पैसे कमाना है. इसकी वजह से नए स्टोर खोलने में कंपनी का पैसा खर्च नहीं होता, बल्कि उल्टा पैसे मिलते हैं. ऐसे में अभी तक फंडिंग के बारे में नहीं सोचा है, लेकिन भविष्य में जरूर फंडिंग की जरूरत पड़ेगी.

भविष्य की क्या है प्लानिंग?

आने वाले दिनों में चाय सुट्टा बार के स्टोर्स की संख्या बढ़ाने की योजना है. साथ ही कंपनी कुछ प्रोडक्ट्स में भी उतरने की कोशिश करेगी, जैसे चायपत्ती. कुल्हड़ में तो पहले से ही कंपनी बिजनेस कर रही है. आने वाले दिनों में कंपनी कुछ और प्रोडक्ट्स में उतरेगी, लेकिन सारे प्रोडक्ट चाय से जुड़े ही होंगे.