2022 में फंडिंग के लिए झेल गए स्टार्टअप्स, 35 फीसदी घटी फंडिंग, फिनटेक और रिटेल ने मारी बाजीः रिपोर्ट
'ट्रैक्सन जियो एनुअल रिपोर्टः इंडिया टेक 2022’ नाम से जारी रिपोर्ट के मुताबिक फंडिंग स्टेज के आधार पर सबसे ज्यादा कमी बाद वाले स्टेज की फंडिंग राउंड में नजर आई है. आखिरी स्टेज वाली फंडिंग जनवरी-नवंबर 2022 में 45 फीसदी घटकर 16.1 अरब डॉलर रही जो पिछले साल इसी दौरान 29.3 अरब डॉलर रही थी.
भारतीय स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग के लिहाज से साल 2022 थोड़ा निराशाजनक रहा है. 2022 इस साल भारतीय स्टार्टअप कंपनियों ने कुल 24.7 अरब डॉलर का फंड जुटाया है जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 35 फीसदी कम है. पिछले साल 2021 में स्टार्टअप्स ने 37.2 अरब डॉलर का फंड जुटाया था.
लीडिंग ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस प्लैटफॉर्म ट्रैक्सन की ‘ट्रैक्शन जियो एनुअल रिपोर्टः इंडिया टेक 2022’ नाम से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट बताती है कि फंडिंग स्टेज के आधार पर सबसे ज्यादा कमी बाद वाले स्टेज की फंडिंग राउंड में नजर आई है. आखिरी स्टेज वाली फंडिंग जनवरी-नवंबर 2022 में 45 फीसदी घटकर 16.1 अरब डॉलर रही जो पिछले साल इसी दौरान 29.3 अरब डॉलर रही थी.
सीड स्टेज राउंड्स में भी इस समय फंडिंग की किल्लत दिख रही है. पिछले साल के मुकाबले यह 38 फीसदी घटी है. फंडिंग के टिकट साइज में निगेटिव ट्रेंड देखने को मिला है. 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा के फंडिंग राउंड भी 35 फीसदी घटकर 55 रह गए, जिनकी संख्या एक साल पहले 85 थी.
100 मिलियन डॉलर से ऊपर की फंडिंग वाले टिकट साइज में बायजूज, वर्स और स्विगी जैसी कंपनियों ने जगह बनाई है. बायजूज ने 2022 में अब तक 1.2 अरब डॉलर, तो वर्स ने 805 मिलियन डॉलर और स्विगी ने 700 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है.
टॉप परफॉर्मिंग सेक्टर्स चुनें तो इस कैटिगरी में फिनटेक और रिटेल का नाम सबसे ऊपर आता है. ये वो सेक्टर हैं जिन्हें सबसे ज्यादा फंडिंग मिली है. हालांकि इन सेक्टर्स को अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ही अधिक फंडिंग मिली है.
ओवरऑल बात करें तो पिछले साल के मुकाबले इनपर भी फंडिंग स्लोडाउन का साया दिखा है. इनवेस्टर्स से ज्यादा भाव मिलने के बावजूद दोनों ही सेक्टर्स की फंडिंग सालाना आधार पर घटी है. फिनटेक को 57 फीसदी और रिटेल को 41 फीसदी कम निवेश मिला है.
फिनटेक क्षेत्र में फंडिंग घटने का असर आरबीआई की तरफ से दिखाई गई सख्ती को बताया जा रहा है. नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस (एनबीएफआई) के लिए प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट्स को लेकर जारी आरबीआई की पॉलिसी स्लाइस और यूनिकार्ड्स जैसी कंपनियों के बिजनेस मॉडल के लिए भारी पड़ी है.
इसके अलावा इस साल क्रिप्टो असेट में भी भारी उतार चढ़ाव देखने को मिला है. भारत समेत ग्लोबल क्रिप्टो एक्सचेंजेज को ऑपरेशनल दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है.
एडटेक सेक्टर में 2022 में भारी पैमाने पर फंडिंग में कटौती दिखी है. सालाना आधार पर इसमें 39 फीसदी की कमी आई है. स्कूल और कॉलेज खुल जाने के बाद से एडटेक सेक्टर डिमांड में कमी का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते कई बड़ी से छोटी एडटेक कंपनियों को छंटनी करनी पड़ रही है.
एडटेक सेक्टर में मिली कुल फंडिंग में 70 फीसदी तो अकेले 5 कंपनियों की हिस्सेदारी है. बायजूज, अपग्रैड, लीड स्कूल और फिजिक्सवाला ने पांच 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा के टिकट साइज वाले फंडिंग राउंड पूरे किए हैं.
रिपोर्ट यह भी बताती है कि इस साल 22 स्टार्टअप्स ही यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुई हैं जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 46 के आसपास रहा था. 11 स्टार्टअप्स के इनवेस्टर्स ने भी आईपीओ के लिए जरिए एक्जिट किया. वहीं इस साल सबसे एक्टिव इनवेस्टर्स में लेट्सवेंचर, एंजललिस्ट और Y कॉम्बिनेटर का नाम है.
ट्रैक्सन की को-फाउंडर नेहा सिंह ने कहा, दुनिया भर में सेंट्रल बैंकों की ओर से बढ़ाए जा रहे ब्याज दरों के दौर और मंदी की आशंका ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है. इसी का असर स्टार्टअप ईकोसिस्टम में फंडिंग पर नजर आ रहा है.
फंडिंग विंटर की शुरुआत Q4, 2021 से हुई थी जो 2023 में बनी रहने वाली है. इस तूफान का सामना करने के लिए स्टार्टअप्स अप यूनिट इकॉनमिक्स को ज्यादा गंभीरता से ले रहे हैं. क्योंकि निवेशक इनवेस्टमेंट से पहले ग्रोथ के मुकाबले हर हाल में प्रॉफिटेबिलिटी को तरजीह दे रहे हैं.
प्रॉफिटेबिलिटी के लिए कंपनियां मास लेऑफ जैसी चीजें अपना रही हैं. देखने में ये मुश्किल हालात लग रहे हैं लेकिन स्टार्टअप्स इसी बहाने ग्रोथ के लिए अधिक टिकाऊ और एक साफ तस्वीर बना पा रहे हैं, जो उनके लिए लॉन्ग टर्म में फायदेमंद साबित होने वाला है.