12 साल पुराने मामले में आया फैसला, माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस को रेगुलेट नहीं कर सकते राज्य
तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा कि आरबीआई के साथ पंजीकृत माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (MFIs) को रेगुलेट करने का अधिकार केवल केंद्रीय बैंक के पास है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ पंजीकृत माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (MFIs) को राज्य मनी लेंडिंग एक्ट्स को लागू करके रेगुलेट नहीं कर सकते हैं. तेलंगाना हाईकोर्ट ने 14 फरवरी के अपने फैसले में यह बात कही है. यह फैसला एक 12 साल पुराने मामले में आया है.
तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा कि आरबीआई के साथ पंजीकृत माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (MFIs) को रेगुलेट करने का अधिकार केवल केंद्रीय बैंक के पास है.
साल 2010 में माइक्रोफाइनेंस लॉबी MFIN ने तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार के खिलाफ केस किया था. आंध्र प्रदेश सरकार एक विवादित कानून लेकर आई थी, जिसके तहत राज्य में MFIs’ के ऑपरेशन को प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस फैसले के कारण कई माइक्रोलेंडर इंस्टीट्यूशंस बंद हो गए थे. इसको देखते हुए आरबीआई ने NBFC-MFIs के रेगुलेशंस के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी.
बता दें कि, MFIs ऐसी कंपनियां होती हैं जो कि कम आय वाले कर्जदाताओं को कर्ज देती हैं. ये कंपनियां अपना कारोबार चलाने के लिए कॉमर्शियल बैंकों से पैसे लेती हैं.
केंद्रीय बैंक के साथ पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई विवादित अधिनियमों-आंध्र प्रदेश माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (मनी लेंडिंग का विनियमन) अधिनियम, 2011 और तेलंगाना माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (मनी लेंडिंग का विनियमन) अधिनियम, 2011 के प्रावधानों द्वारा शासित नहीं होंगे.
Edited by Vishal Jaiswal