शेयर बाजार में हाहाकार, सेंसेक्स 861 अंक लुढ़का; टेक महिन्द्रा 4% से ज्यादा टूटा
वैश्विक बाजारों में कमजोर रुख के बीच IT शेयरों में बिकवाली से बाजार नीचे आया.
घरेलू शेयर बाजारों (Stock Market) में सोमवार को भारी गिरावट आई और BSE Sensex 861 अंक से अधिक लुढ़क गया. वैश्विक बाजारों में कमजोर रुख के बीच IT शेयरों में बिकवाली से बाजार नीचे आया. कारोबार बंद होने पर सेंसेक्स 861.25 अंकों की गिरावट के साथ 57972.62 पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान एक समय यह 1466.4 अंक तक लुढ़क गया था. पूरे दिन में सेंसेक्स ने 58208.30 का उच्च स्तर और 57367.47 का निचला स्तर छुआ.
सेंसेक्स के शेयरों में 4.60 प्रतिशत की गिरावट के साथ सर्वाधिक नुकसान में टेक महिंद्रा रही. इसके अलावा इन्फोसिस, विप्रो, HCL टेक्नोलॉजीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा स्टील, एक्सिस बैंक, ICICI बैंक और भारतीय स्टेट बैंक भी प्रमुख रूप से नुकसान में रहे. दूसरी तरफ मारुति, नेस्ले, एशियन पेंट्स, ITC, महिंद्रा एंड महिंद्रा और हिंदुस्तान यूनिलीवर प्रमुख रूप से लाभ में रहे.
Nifty के टॉप गेनर्स व लूजर्स
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी (NSE Nifty) 246 अंकों के नुकसान के साथ 17312.90 पर बंद हुआ. निफ्टी पर FMCG और ऑयल एंड गैस को छोड़कर अन्य सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं. निफ्टी आईटी में सबसे ज्यादा 3.53 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. ब्रिटानिया, मारुति, नेस्ले इंडिया, कोल इंडिया, एशियन पेंट्स टॉप गेनर्स रहे. दूसरी ओर टेक महिन्द्रा, इन्फोसिस, विप्रो, कोटक बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीस टॉप लूजर्स रहे.
वैश्विक बाजारों की कैसी रही चाल
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में, जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट मामूली बढ़त में रहा. यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख था. अमेरिकी शेयर बाजार शुक्रवार को नुकसान में रहे. विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को 51.12 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे.
अमेरिका में जेरोम पॉवेल का एक बयान और..
शेयर बाजारों हुई उठापटक की एक प्रमुख वजह अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का बयान रहा. उन्होंने साफ कहा है कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और महंगाई से निपटने के लिए फेड, ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रख सकता है. अमेरिका के केंद्रीय बैंक की सख्ती से परिवारों और कंपनियों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है. इसके बाद डॉलर में मजबूती आई और भारतीय रुपया समेत बाकी देशों की करंसी भी कमजोर हुई. रुपये ने 29 अगस्त को रेकॉर्ड निचला स्तर छुआ और डॉलर के मुकाबले 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा. इसकी वजह से शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया. हालांकि बाद में रुपये में रिकवरी आई. अमेरिका अभी 1980 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई देख रहा है. इसके चलते यूएस फेड दो बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है.