मुंबई की 225 वर्ग फीट की झुग्गी से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक, कुछ ऐसी है क्रिकेटर राधा यादव की कहानी
हाल ही में वुमन्स प्रीमियर लीग (WPL) के लिए लगी बोली में दिल्ली कैपिटल्स ने राधा यादव को 40 लाख रुपये में खरीदा है.
अगर आपमें प्रतिभा है और उसके साथ आगे बढ़ने के लिए मेहनत और लगन है तो कामयाबी आपके कदम चूमती ही चूमती है. जिंदगी की मुश्किलें भी राह का रोड़ा नहीं बन पातीं. इसका एक अच्छा उदाहरण हैं क्रिकेटर राधा यादव (Radha Yadav). राधा यादव इंडियन वुमन्स क्रिकेट टीम में बोलर हैं. उनका जन्म अप्रैल 2000 को हुआ था. वह एक प्रीमैच्योरली बोर्न चाइल्ड हैं, जो सातवें महीने में ही इस दुनिया में आ गई थीं. राधा का बचपन रुपये-पैसों को लेकर संघर्षों में बीता. लेकिन आज राधा भारतीय महिला क्रिकेट टीम का चमकता सितारा हैं.
मुंबई के कांदीवली, (वेस्ट) में राधा के पिता फुटपाथ पर सब्जी व रोजमर्रा के खाने-पीने की चीजों जैसे कि ब्रेड, मसाले, सिगरेट आदि का स्टॉल लगाते थे. इसी के पीछे की सोसायटी में उनका 225 वर्ग फीट का घर है. यह सोसायटी स्लम रिडेवलपमेंट एरिया स्कीम के तहत रिडेवलप हो चुकी है. राधा के पिता ओमप्रकाश यादव उत्तर प्रदेश के जौनपुर से हैं. राधा के 4 भाई-बहन हैं और वह सबसे छोटी हैं.
प्रफुल्ल मलिक ने दिखाई राह
राधा ने 6 साल की उम्र से ही सोसायटी के कंपाउंड में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. एक दिन प्रफुल्ल मलिक की नजर क्रिकेट खेलती राधा पर पड़ी, जब वह 11 वर्ष की थीं. प्रफुल नाइक भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी रह चुके हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मुंबई के कांदीवली इलाके की एक बिल्डिंग में मैंने उसे कुछ लड़कों के साथ क्रिकेट खेलते देखा. उसने टेनिस बॉल से विकेट लिया था और आउट हुआ लड़का बैट छोड़ने को तैयार नहीं था. वहीं राधा इस बात पर डंटी हुई थीं कि वह आउट हो चुका है. राधा के क्रिकेट के प्रति लगाव ने प्रफुल्ल का दिल जीत लिया. उन्होंने राधा को क्रिकेट सिखाने की ठान ली.
लेकिन आमदनी कम होने के कारण राधा के पिता ने उन्हें मना कर दिया. उनका कहना था कि वह बेटी को पढ़ा नहीं सकते तो खेल कहा से सिखा पाएंगे. लेकिन प्रफुल्ल ने राधा के पिता को मनाने के लिए कहा कि खेल प्रतिभा से सीखा जाता है और प्रतिभा पैसों की मोहताज नहीं होती. अगर राधा क्रिकेट खेलने लगती है तो रेलवे में उसकी नौकरी पक्की हो जाएगी. यहां तक कि यह भी कह दिया कि अगर राधा क्रिकेट में नाम नहीं भी कमा पाई, तब भी उसे सरकारी नौकरी मिल जाएगी.
काफी मान मनौव्वल के बाद राधा यादव के पिता मान गए. प्रफुल्ल ने राधा की ट्रेनिंग शुरू कर दी. उन्होंने ही साल 2013 में राधा को आनंदीबाई दामोदर काले विद्यालय से अवर लेडी ऑफ रेमेडी (Borivli) में शिफ्ट किया. लेकिन फिर प्रफुल्ल जॉब से रिटायर हो गए और अपनी बेटी के साथ बड़ौदा में शिफ्ट होने का फैसला लिया. अब राधा की ट्रेनिंग कैसे पूरी हो? इस सवाल का हल निकालते हुए राधा के पिता ने प्रफुल्ल से कहा कि वह अपने साथ राधा को भी ले जाएं. ऐसा ही हुआ. प्रफुल्ल ने कोशिश करके राधा को बड़ौदा क्रिकेट संघ में शामिल करा दिया और लोकल गार्जियन बन गए. यहां पहुंच कर राधा ने बड़ौदा की अंडर 10 टीम में जगह बना ली.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू
राधा यादव ने 13 फरवरी 2018 को भारत बनाम साउथ अफ्रीका मैच से Women's Twenty20 International cricket में डेब्यू किया. Women's One Day International में उन्होंने 14 मार्च 2021 को भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका मैच से डेब्यू किया. राधा के पिता मानते हैं कि राधा की सफलता में सिर्फ उनका या उनकी पत्नी का ही नहीं बल्कि राधा के तीनों बड़े भाई-बहनों की भी अहम भूमिका है. अपनी पहली कमाई से राधा ने अपने पिता के जनरल स्टोर के लिए एक दुकान खरीदी थी. उनके परिवार की जिंदगी भी बदल चुकी है. हाल ही में वुमन्स प्रीमियर लीग (WPL) 2023 के लिए लगी बोली में दिल्ली कैपिटल्स ने राधा यादव को 40 लाख रुपये में खरीदा है. राधा अपने परिवार के लिए अब एक घर लेना चाहती हैं.
Edited by Ritika Singh