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शेफाली वर्मा: कभी क्रिकेट खेलने के लिए बनना पड़ा था लड़का, आज पावर-हिटिंग के लिए हैं फेमस

शेफाली वर्मा ने सितंबर 2019 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ Women's T20 International सीरीज से अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी.

शेफाली वर्मा: कभी क्रिकेट खेलने के लिए बनना पड़ा था लड़का, आज पावर-हिटिंग के लिए हैं फेमस

Monday February 20, 2023 , 5 min Read

वर्तमान में भारत की महिला क्रिकेट टीम काफी चर्चा में है. एक तो वुमन्स प्रीमियर लीग (WPL) में भारतीय महिला क्रिकेटरों के लिए लगी बोली के कारण और दूसरा वर्तमान में चल रहे Women’s T20 World Cup के कारण. Women’s T20 World Cup में गई भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा शेफाली वर्मा (Shafali Verma) भी हैं. शेफाली को उनके पावर-हिटिंग स्किल के लिए जाना जाता है. वह ओपनिंग बैटर हैं और वर्तमान में केवल 19 वर्ष की हैं. हाल ही में वुमन प्रीमियर लीग मेगा ऑक्शन में भी शेफाली छाई रहीं. शेफाली वर्मा को दिल्ली कैपिटल्स ने 2 करोड़ रुपये में खरीदा है.

शेफाली वर्मा का जन्म 28 जनवरी 2004 को हरियाणा के रोहतक में एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ. शेफाली के पिता संजीव वर्मा रोहतक में एक ज्वैलर हैं और मां प्रवीन वर्मा हाउस वाइफ हैं. महज 7 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने क्रिकेट से अपने प्यार की झलक दिखा दी थी. उनके बड़े भाई और पिता ग्राउंड में क्रिकेट प्रैक्टिस के लिए जाते थे और शेफाली भी उनके साथ जाती थीं.

जब सचिन को खेलते देख जुनून हुआ पक्का

बात साल 2013 की है. संजीव वर्मा 9 वर्ष की शेफाली को रोहतक के एक क्रिकेट ग्राउंड में रणजी मैच देखने के लिए गए. उस मुकाबले में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी भाग ले रहे थे. सचिन लाहली में हरियाणा के खिलाफ अपना आखिरी रणजी ट्रॉफी मैच खेल रहे थे. मैदान पर सचिन को खेलता देख शेफाली ने कहा कि वह भी क्रिकेट खेलना चाहती हैं. बस यहीं से शेफाली पर क्रिकेट की धुन सवार हो गई और उन्होंने बैट लेने की जिद पकड़ ली. कुछ दिन बाद पिता ने शेफाली को बैट दिला दिया. फिर क्या था, जब भी उन्हें मौका मिलता गली के बच्चों के साथ गली में क्रिकेट खेलने लग जातीं.

जब लड़का बनकर खेलना पड़ा

शेफाली के पिता संजीव वर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शेफाली को क्रिकेट खेलने के लिए खुद को एक लड़के के रूप में बदलना पड़ा था. उनके पिता उन्हें पड़ोस में स्थानीय टीमों के साथ क्रिकेट खेलने के लिए ले जाते थे, लेकिन शेफाली को किसी ने स्वीकार नहीं किया क्योंकि वह एक लड़की थीं. अधिकांश टीमों ने उनके साथ खेलने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि शेफाली को चोट लग सकती है और अगर ऐसा हुआ तो शेफाली के पिता शिकायत करेंगे.

शेफाली के पिता भी क्रिकेट के दीवाने हैं. जब उनके पिता ने शेफाली को क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन दिलाने का सोचा तो उन्हें निराशा हाथ लगी. उस वक्त रोहतक जिले की हर क्रिकेट एकेडमी ने उन्हें एडमिशन देने से इनकार कर दिया, इसकी वजह थी शेफाली का लड़की होना. तब रोहतक में लड़कियों के लिए एक भी एकेडमी नहीं थी. शेफाली के पिता ने कई क्रिकेट अकादमियों के दरवाजे खटखटाए लेकिन हर जगह से न ही सुनने को मिली. उसके बाद उन्होंने शेफाली के बाल कटवाकर उन्हें लड़के का रूप देने का फैसला किया और एक लड़के के तौर पर ही उनका एडमिशन, एकेडमी में कराया. किस्मत से कोई नहीं जान पाया कि शेफाली एक लड़की हैं. 9 वर्ष की उम्र में लड़का और लड़की में भेद करना आसान नहीं था.

जब रिश्तेदारों ने मारे ताने

वर्मा परिवार को अपनी बेटी के क्रिकेट खेलने के लिए अन्य बाधाओं का भी सामना करना पड़ा. पड़ोसी और रिश्तेदार अक्सर शेफाली के माता-पिता को उन्हें खेलने देने के लिए हतोत्साहित करते थे और ताने मारते थे. तब शेफाली ने अपने पिता से कहा था कि पापा एक दिन वे सभी मेरा नाम जपेंगे और ऐसा हुआ भी. शेफाली की कामयाबी में उनके पिता के दृढ़ निश्चय का बहुत बड़ा हाथ है. शेफाली का एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन है. उनकी बहन ने भी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया है.

शेफाली और उनका भाई अपने पिता के साथ सुबह 5.30 बजे स्कूल से पहले और फिर रात में टेनिस कोर्ट में अभ्यास करते थे क्योंकि केवल वहीं पर्याप्त रोशनी थी. शेफाली को प्रेरित करने के लिए उनके पिता ने प्रति छक्के के लिए 5 रुपये (पुरस्कार) की भी घोषणा की थी. हर दिन शेफाली 50 से 60 रुपये लेकर घर लौटतीं.

श्री राम नारायण क्रिकेट क्लब ने निखारी प्रतिभा

संजीव ने अपने बेटे और शेफाली को साल 2015 में श्री राम नारायण क्रिकेट क्लब में दाखिला दिलाया. यहीं पर शेफाली की प्रतिभा सही मायने में निखरी. शेफाली हर दिन 8 किमी साइकिल चलाकर एकेडमी पहुंचती थीं. वहां उन्हें पहले उनकी आयु वर्ग की टीम में रखा गया और उन्होंने अपने साथियों को पछाड़ दिया. उसके बाद उन्हें अंडर-19 महिला टीम के साथ खिलाया गया और शेफाली ने यहां भी अन्य महिला खिलाड़ियों को पछाड़ दिया. इसके बाद शेफाली को अंडर-19 लड़कों की टीम के साथ अभ्यास कराया गया.

अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत

शेफाली वर्मा ने सितंबर 2019 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ Women's T20 International सीरीज से अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी. डेब्यू के समय शेफाली महज 15 साल की थीं. नवंबर 2019 में शेफाली ने इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे कम उम्र में (15) अर्धशतक लगाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया. इस मामले में उन्होंने सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़ दिया था, जिन्होंने 16 साल की उम्र में फिफ्टी जड़ा था. जून 2021 में, वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी, पुरुष या महिला बनीं. 8 अक्टूबर 2022 को वह टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 1000 रन पूरे करने वाली सबसे कम उम्र की क्रिकेटर बन गईं. उनकी कप्तानी में, भारत ने 2023 आईसीसी अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप जीता. यह 14—29 जनवरी के बीच खेला गया.


Edited by Ritika Singh