ऋषि सुनक और सुएला ब्रेवरमैन के भारतीय मूल का होना गर्व की बात, लेकिन क्या भारतीयों को होगा फायदा?
भारतीय मूल के ऋषि सुनक के ब्रिटेन के शीर्ष पद पर पहुंचने के साथ ही एफटीए यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त व्यापार समझौता) पर हस्ताक्षर की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं. भारत को ‘आर्थिक महाशक्ति’ बताते हुए ब्रिटेन के व्यापार विभाग के मंत्री ग्रेग हैंड्स ने कहा कि दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा. उन्होंने कहा कि भारत निश्चित रूप से एक ‘आर्थिक महाशक्ति’ है, जिसका वर्ष 2050 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने का अनुमान है. आगे उन्होंने बताया कि ब्रिटेन ने भारत के साथ एफटीए के ज्यादातर हिस्से पूरे कर लिए हैं. लेकिन, निष्पक्ष और पारस्परिक होने पर समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
भारत और ब्रिटेन के बीच के संबंधों में एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) का मुद्दा मुख्य है. इसके तहत भारत और ब्रिटेन के बीच 2030 तक 100 अरब डॉलर के निवेश को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने हैं. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कार्यकाल के दौरान भारत और ब्रिटेन ने इस इस साल की शुरुआत में एफटीए के लिए बातचीत शुरू की थी, जिसे दिवाली तक की समयसीमा के भीतर पूरा होना था. हालांकि, कई मुद्दों पर आम सहमति की कमी के कारण और ब्रिटेन की घरेलू राजनीति में उथल-पुथल के कारण समयसीमा पार हो गई. सुनक के पीएम चुने जाते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी तो 2030 के रोडमैप का जिक्र करना नहीं भूले.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्विटर पर ऋषि सुनक के लिए बंधाई संदेश में लिखा था, ''ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर आपको हार्दिक बधाई, वैश्विक मुद्दों पर एक साथ मिलकर काम करने और 2030 के रोडमैप को लागू करने की मैं आशा करता हूं. जैसा कि हम अपने ऐतिहासिक संबंधों को एक आधुनिक साझेदारी में बदलते हैं, ब्रिटिश भारतीयों के सजीव सेतु को विशेष दिवाली की शुभकामनाएं.''
प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट में 2030 का रोडमैप इसी FTA को लेकर है.
क्या है एफटीए?
एफटीए यानी मुक्त व्यापार समझौता अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार दो या दो से अधिक सहयोगि देशों के बीच उत्पादों और सेवाओं के आयात और निर्यात में रुकावटों को कम करने के लिए करार किया जाता है. मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच सामान, सेवाएं, निवेश, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्धा, सरकारी खरीद और अन्य क्षेत्रों में मुक्त व्यापार की अनुमति देता है. एफटीए के जरिये व्यापार की बाधाओं को कम करने या समाप्त करने के लिए टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या प्रतिबंध को निर्धारित किया जाता है जिससे इनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है.
एफटीए के तहत ब्रिटेन में भारतीयों के बिजनेस यानी व्यावसायिक वीजा का मुद्दा बहुत बड़ा है. भारत चाहता है कि भारतीय व्यापारियों और छात्रों को ब्रिटेन ज्यादा वीजा दे. एफटीए के तहत हुए व्यापारिक समझौते में भारतीय नागरिकों को दिए गए व्यावसायिक वीजा की संख्या में वृद्धि की जाएगी या नहीं? क्या सुनक का प्रधानमंत्री बनना इस मुद्दे पर भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा? ब्रिटिश व्यापार मंत्री ग्रेग हैंड्स ने बुधवार को हाउस ऑफ कॉमन्स को बताया कि भारत के साथ चर्चा में व्यापार वीजा महत्वपूर्ण मुद्दा है और यह “सक्रिय बातचीत” का एक क्षेत्र बना हुआ है. लेकिन मामला फंस सकता है सुनक की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन की वजह से. ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को ब्रिटेन में बढ़ती भारतीय प्रवासियों की तादाद पर आपत्ति हैं और वह इसे लेकर नाराजगी व्यक्त कर चुकी हैं. ब्रेवरमैन भारतीयों के वीजा ओवर-स्टे सबसे बड़ा समूह बता विवादों में घिरी रह चुकी हैं. अगर ब्रिटिश सरकार वीजा व्यवस्था में ढील देती है तो पीएम सुनक गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन के साथ सीधे टकराव में आ सकते हैं.
पीएम ऋषि सुनक और गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन दोनों ही भारतीय मूल के हैं. ऋषि सुनक और सुएला ब्रेवरमैन की उपलब्धियां भारतीयों के लिए गर्व की बात हो सकती है, लेकिन क्या भारतीयों के लिए फायदेमंद हो सकती है… इसकी उम्मीद कम है.
जानकारों की मानें तो ब्रिटेन के नजरिए में कोई खास बदलाव नहीं आने वाला है. उसकी विदेश नीति यूरोप, अमेरिका, रूस और चीन पर केंद्रित होगी. वह पश्चिमी खेमे से ही सख्ती से जुड़ा रहेगा और अमेरिका से उसे ज्यादा मदद की आस होगी. भारत के साथ डील करते समय वह चाहेगा कि एफटीए फाइनल हो और रक्षा और सुरक्षा सहयोग में बढ़ोतरी हो.
इस दौर में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के मायने, किन चुनौतियों का सामना करेंगे ऋषि सुनक