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सुपरटेक ट्विन टावर को गिराया जाना कैसे बिल्डर्स और अधिकारियों के लिए है सबक

सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने का आदेश करीब साल भर पहले 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया था.

सुपरटेक ट्विन टावर को गिराया जाना कैसे बिल्डर्स और अधिकारियों के लिए है सबक

Sunday August 28, 2022 , 4 min Read

नोएडा के सेक्टर 93A के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में स्थित सुपरटेक के ट्विन टॉवर आज यानी 28 अगस्त को गिराए जाने वाले हैं. दोपहर करीब 2.30 बजे धमाका किया जाएगा और महज 10 सेकंड में ही ये गगनचुंबी इमारतें जमींदोज हो जाएंगी. बिल्डिंग को गिराने के लिए करीब 3700 किलो विस्फोटक लगाया जा चुका है और पुलिस व्यवस्था मुस्तैद है. सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने का आदेश करीब साल भर पहले 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 40 मंजिला ट्विन टॉवर के घर खरीदारों को उनकी पूरी धनराशि वापस दी जाएगी.

सुपरटेक ट्विन टावर गिराया जाना रियल एस्टेट क्षेत्र में अवैध निर्माण के खिलाफ एक सबक का काम करने वाला है. साथ ही यह भ्रष्टाचारी सरकारी अधिकारियों के लिए भी एक सबक होगा. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी का कहना है कि अगर नियमों का उल्लंघन होता है तो आज नहीं तो कल, इसकी जवाबदेही निश्चित तौर पर तय की जाएगी. सरकार और अदालतों द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए. सुपरटेक के ट्विन टावर का मामला सरकारी अधिकारियों के लिए एक सबक है, क्योंकि परियोजना में मिलीभगत के आरोप में नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है.

अचल संपत्ति क्षेत्र के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण

घर खरीदारों के शीर्ष संगठन फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (FPCI) का भी कहना है कि सुपरटेक के ट्विन टावर का मामला अवैध निर्माण का सहारा लेने वाले बिल्डरों के लिए एक ‘सबक’ के रूप में काम करेगा. FPCI के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने PTI-भाषा से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का ट्विन टावर को ढहाने का आदेश निश्चित रूप से भारत के अचल संपत्ति क्षेत्र के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है. यह बिल्डरों के लिए अवैध निर्माण का सहारा नहीं लेने के खिलाफ एक बड़े सबक के रूप में काम करना चाहिए. इस मामले में शामिल सभी अधिकारियों को भी अनुकरणीय दंड दिया जाना चाहिए. अन्यथा, थोड़े समय बाद वही स्थिति फिर शुरू हो जाएगी.’’

ताकि भविष्य में न हों ऐसी घटनाएं...

रितु माहेश्वरी का कहना है कि सुपरटेक की घटना ने नोएडा प्राधिकरण को मानदंडों को संशोधित करने और निर्माताओं को फ्लोर एरिया रेशो (FAR) के वितरण के मामले में अधिक सख्ती बरतने के लिए प्रेरित किया है. ऐसा इसलिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके. ट्विन टावर के मामले में ऐसा नहीं था कि नोएडा प्राधिकरण ने नक्शों को मंजूरी नहीं दी थी. यहां तक कि अदालत ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और बिल्डर के बीच मिलीभगत थी. निर्माण की स्वीकृति नोएडा प्राधिकरण ने ही दी थी. तत्कालीन मानदंडों और उपनियमों को ध्यान में रखते हुए FAR खरीद को भी मंजूरी दी गई थी. उल्लंघन मुख्य रूप से तकनीकी पहलुओं, मसलन टावर के बीच की दूरी आदि से जुड़े हुए थे. इसके अलावा, निवासियों की रजामंदी नहीं ली गई थी.

नियमों को किया गया और सख्त

भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के उपायों के बारे में नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ने कहा कि उन्होंने सहमति के मानदंडों को संशोधित किया है और भुगतान विधियों को सुव्यवस्थित करने के अलावा बिल्डरों को FAR के वितरण के नियमों को अधिक कठोर बना दिया है. पहले बिल्डरों को किस्तों में भुगतान करने के लिए दो साल का समय मिलता था. अब उन्हें तीन महीने में पूरी राशि का भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा, 'नोएडा प्राधिकरण ने एक नया प्रारूप तैयार किया है, जिसके तहत निर्माताओं को इस तरह के निर्माण के लिए खरीदारों की मंजूरी लेनी होगी. यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पहले अस्तित्व में नहीं थी. पहले बिल्डर फ्लैट बेचने के दौरान खरीदारों की मंजूरी लेते थे. अब हम नए सिरे से ली गई मंजूरी मांगेंगे.'

बरती जा रही पूरी एहतियात

28 अगस्त को सुबह 7 बजे ही आस-पास की बिल्डिंग में रहने वालों को बाहर जाना होगा. सिक्योरिटी गार्ड्स को भी 12 बजे बिल्डिंग छोड़नी होगी. शाम 4 बजे क्लीयरेंस मिलने के बाद ही लोग वापस अपने घरों में जा सकेंगे. धमाके के दौरान एक्सप्रेसवे को भी बंद रखा जाएगा, क्योंकि धुएं के गुबार की वजह से विजिबिलिटी में दिक्कत के चलते एक्सिडेंट हो सकते हैं. नोएडा पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए 26 से 31 अगस्त तक उपनगर के आसमान में ड्रोनों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. ध्वस्तीकरण के समय नोएडा एक्सप्रेसवे को भी कुछ देर के लिए बंद किया जाएगा.


Edited by Ritika Singh