3700 किलो बारूद.. 10 सेकेंड.. और जमींदोज हो जाएगा सुपरटेक ट्विन टावर, ऐसे गिराई जाती हैं गगनचुंबी इमारतें
सुपरटेक के ट्विन टावर्स को गिराए जाने का वक्त बेहद नजदीक आ चुका है. 28 तारीख को एक के बाद एक सिलसिलेवार तरीके के कई धमाके होंगे और देखते ही देखते ये गगनचुंबी इमारतें मलबे का ढेर बन जाएंगी.
आखिरकार वो दिन बेहद नजदीक आ चुका है, जब नोएडा में सुपरटेक एमरॉल्ड प्रोजेक्ट के आसमान छूने वाले 40 मंजिला ट्विन टावर्स को गिराया जाएगा. 28 अगस्त को दोपहर करीब 2.30 बजे इस बिल्डिंग में धमाका किया जाएगा और महज 10 सेकंड में ही ये गगनचुंबी इमारतें जमींदोज हो जाएंगी. इस पूरी कवायद में कई चुनौतियां भी हैं. आसपास लोग हैं तो डर है कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए. बता दें कि अगर किसी धमाके के वक्त में एक सेकंड की भी ऊंच-नीच हो गई तो कोई भी हादसा हो सकता है. आइए आज आपको बताते हैं धमाके के जरिए कैसे गिराई जाती है बिल्डिंग.
पहले जानिए अब तक क्या-क्या हो चुका है
सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने का आदेश करीब साल भर पहले 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया था. तब से लेकर अब तक इसे गिराने की तैयारी पर काम हो रहा था. सबसे पहले इसे गिराने की तारीख 22 मई निर्धारित की गई थी और एडिफिस नाम की कंपनी को इस बिल्डिंग को धमाके से गिराने का ठेका दिया जा चुका है. बिल्डिंग को गिराने के लिए करीब 3700 किलो विस्फोटक लगाया जा चुका है और पुलिस व्यवस्था मुस्तैद है. 28 अगस्त को सुबह 7 बजे ही आस-पास की बिल्डिंग में रहने वालों को बाहर जाना होगा. सिक्योरिटी गार्ड्स को भी 12 बजे बिल्डिंग छोड़नी होगी. शाम 4 बजे क्लीयरेंस मिलने के बाद ही लोग वापस अपने घरों में जा सकेंगे. धमाके के दौरान एक्सप्रेसवे को भी बंद रखा जाएगा, क्योंकि धुएं के गुबार की वजह से विजिबिलिटी में दिक्कत के चलते एक्सिडेंट हो सकते हैं.
कैसे गिराई जाती है कोई बिल्डिंग?
किसी भी बिल्डिंग को गिराना उसे बनाने से भी मुश्किल काम होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि बिल्डिंग को बनाने में आप धीरे-धीरे बिल्डिंग को बनाते-बनाते ऊपर बढ़ते जाते हैं और कुछ सालों में बिल्डिंग तैयार हो जाती है. वहीं अगर बिल्डिंग गिरानी है तो वह एक झटके में गिरेगी, जिससे आप पास के लोगों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. ऐसे में किसी भी बिल्डिंग को गिराने के लिए प्रोफेशनल कंपनी को हायर किया जाता है. इसमें सबसे पहले बिल्डिंग की नींव से लेकर सबसे ऊपरी माले तक के हर कोने की रिसर्च की जाती है.
जब बिल्डिंग की अच्छे से रिसर्च हो जाती है तो बारी आती है उसमें डेटोनेटर्स लगाने की. पहले पूरी बिल्डिंग में मजबूत और कमजोर प्वाइंट्स की मार्किंग की जाती है. इसके बाद मजबूत जगह पर अधिक और कमजोर प्वाइंट पर कम डेटोनेटर्स लगाए जाते हैं. ये डेटोनेटर्स कॉलम या बीम में छेद कर के उसमें भरे जाते हैं पूरी बिल्डिंग को डेटोनेटर्स को तारों के एक पूरे जाल के जरिए कनेक्ट किया जाता है. ये सब हो जाने के बाद जहां-जहां जरूरत महसूस होती है, वहां पर लोहे की मजबूत केबल लगाकर बिल्डिंग को उस दिशा में गिराने की कोशिश की जाती है, जिधर कंपनी उसे गिराना चाहती है.
बिल्डिंग में डेटोनेटर्स को कुछ ऐसे लगाया जाता है कि एक के बाद एक धमाका होता है. यह धमाके एक सीरीज में होते हैं और तय समय पर होते हैं. धमाकों की शुरुआत नीचे से होती है और ऊपर की तरफ जाती है. अगर बिल्डिंग को किसी दिशा में गिराना होता है तो पहले उसी तरफ के डेटोनेटर्स में धमाका किया जाता है. धमाके सीरीज में होने की वजह से बिल्डिंग धीरे-धीरे मलबे के ढेर में बदलती जाती है और आस-पास की इमारतों को कुछ नहीं होता है. बाद में यह मलबा धीरे-धीरे वहां से हटा दिया जाता है.
बहुत सी चुनौतियां भी हैं इस राह में
ट्विन टावर्स गिराने में सबसे बड़ी चुनौती ये है कि धमाके से गिराई जाने वाली यह भारत की सबसे ऊंची बिल्डिंग होगी. मतलब इससे पहले केरल के कोच्चि में स्थित जिन मराड़ू टावरों को धमाके से गिराया गया था, उसमें इससे करीब आधी मंजिलें ही थीं. एक बड़ी चुनौती ये भी है कि इन टावरों के आस-पास करीब 7 हजार लोग रहते हैं, ऐसे में उनके घरों की सुरक्षा भी बड़ा सवाल है. इतना ही नहीं, इस धमाके से उठने वाला धुएं का गुबार भी चिंता का विषय है, क्योंकि बिल्डिंग के बिल्कुल करीब ही एक्सप्रेसवे है.
क्या है विवाद?
सुपरटेक ने जब एमरॉल्ड कोर्ट का नक्शा ग्राहकों को दिखाया था उस वक्त ट्विन टावर वाली जगह को ग्रीन दिखाया था. यानी उस जगह पर पार्क बनना था, जहां पर सुपरटेक ने दो गगनचुंबी इमारतें बना दीं. इस धोखे की शिकायत वहां के लोगों ने की और मामला कोर्ट तक गया. 2009 में एमरॉल्ड कोर्ट में रहने वालों ने सुपरटेक के खिलाफ केस लड़ने का फैसला किया. 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला उठा, डेढ़ साल सुनवाई चली और 11 अप्रैल 2014 को टावर को गिराने का आदेश दिया गया. इसके बाद सुपरटेक ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां 7 साल बाद 31 अगस्त 2021 को कोर्ट ने सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराना का आदेश दिया. अब 28 अगस्त 2022 को यह टावर गिराए जाएंगे.