स्‍पेन के डॉक्‍टरों ने किया मानव इतिहास का पहला सफल आंत प्रत्‍यारोपण

स्‍पेन में डॉक्‍टरों ने एक 13 महीने की बच्‍ची एम्‍मा की आंतों को सफल प्रत्‍यारोपण कर इतिहास रच दिया है.

स्‍पेन के डॉक्‍टरों ने किया मानव इतिहास का पहला सफल आंत प्रत्‍यारोपण

Wednesday November 09, 2022,

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यह मानव इतिहास और विज्ञान की एक महान उपलब्धि है. मानवता और विज्ञान के इतिहास में पहली बार मनुष्‍य ने यह सफलता हासिल की है. स्‍पेन में डॉक्‍टरों ने पहली बार इंटेस्‍टाइन (आंत) का सफल प्रत्‍यारोपण किया है.  

स्‍पेन में डॉक्‍टरों ने एक 13 महीने की बच्‍ची एम्‍मा की आंतों को सफल प्रत्‍यारोपण कर इतिहास रच दिया है. जन्‍म से ही कई तरह के कॉप्‍लीकेशंस का शिकार एम्‍मा की आंतों ने जन्‍म के एक साल के भीतर ही काम करना और फूड को एब्‍जॉर्ब करना बंद कर दिया. ट्रांसप्‍लांट करने से पहले डॉक्‍टरों ने उसकी कई सर्जरी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

इतने छोटे बच्‍चे के शरीर में ट्रांसप्‍लांट करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण भी था. उसकी दो वजहें थीं. एक तो इतना छोटा डोनर मिलना मुश्किल है और दूसरा ये कि बच्‍ची का शरीर ट्रांसप्‍लांट को एक्‍सेप्‍ट करेगा या नहीं. यह दुनिया की पहली इंटेस्‍टाइन ट्रांसप्‍लांट सर्जरी थी. लेकिन स्‍पेन की राजधानी मैड्रिड के La Paz हॉस्पिटल के डॉक्‍टर पिछले तीन सालों से इस पर रिसर्च कर रहे थे और अंत में वो इस नतीजे पर पहुंचे कि यह ट्रांसप्‍लांट मुमकिन है.

अंत में एम्‍मा के लिए एक नन्‍ही डोनर मिल गई. एक ऐसी बच्‍ची, जिसका जीवन अन्‍य कारणों से बचाया नहीं जा सका था. डॉक्‍टरों ने कई घंटे लंबे और श्रमसाध्‍य ऑपरेशन के बाद एम्‍मा का सफलतापूर्वक इंटेस्‍टाइन ट्रांसप्‍लांट किया. अब एम्‍मा बिलकुल स्‍वस्‍थ्‍य है और अपने माता-पिता के साथ घर पर है. वह तेजी से रिकवर कर रही है.

आंतों के साथ-साथ एम्‍मा का लिवर, आमाशय, पैंक्रियाज और स्‍प्‍लीन भी ट्रांसप्‍लांट किया गया है.

ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्‍लांट के मामले में स्‍पेन दुनिया में पहले नंबर पर है, जहां बड़ी संख्‍या में लोग मरने से पहले अपना शरीर और सारे अंग डोनेट करते हैं. ग्‍लोबल ऑब्‍जरवेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्‍लांटेशन (Global Observatory on Donation and Transplantation) के मुताबिक पूरी दुनिया के ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्‍लांटेशन का 5 फीसदी अकेले स्‍पेन में होता है.  

यह उपलब्धि क्‍यों ऐतिहासिक है  

55 साल पहले 1967 में जब दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में डॉ. क्रिश्चियन बर्नार्ड ने दुनिया का पहला हार्ट ट्रांसप्‍लांट (हृदय प्रत्‍यारोपण) किया था तो कुछ महीनों तक वह मीडिया की सबसे बड़ी सुर्खी रही थी. एक 23 साल के लड़के का हृदय एक 53 साल के मृत्‍यु की कगार पर बैठे बुजुर्ग को लगाकर डॉक्‍टरों ने उसे एक नई जिंदगी बख्‍शी थी. यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी.

उसके बाद से हार्ट, लिवर और किडनी ट्रांसप्‍लांट पूरी दुनिया में परफॉर्म किया जाने लगा. अब तो यूटेरस ट्रांसप्‍लांट भी किया जा रहा है. मरते हुए व्‍यक्ति के शरीर से बचाकर निकाले गए अंगों ने जाने कितनों की जान बचाई और कितनों को नई जिंदगी बख्‍शी. लेकिन प्रत्‍यारोपित किए जा सकने वाले अंगों में अब तक आंतों को लेकर कोई सफल प्रयोग नहीं हुआ था.

इंटेस्‍टाइन से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी यदि लाइलाज हो जाए तो उसका अंत मृत्‍यु में ही होता है. इंटेस्‍टाइन का कैंसर मृत्‍यु के बड़े कारकों में से एक है क्‍योंकि यूटेरस, ओवरीज, गॉल ब्‍लैडर, सिंगल किडनी की तरह आंतों के अभाव में शरीर फंक्‍शन नहीं कर सकता. यदि हृदय, लिवर और फेफड़ों की तरह जीवित रहने के लिए अनिवार्य अंग है. लेकिन जहां विज्ञान अब सफलतापूर्वक हृदय, लिवर, किडनी आदि का सफल प्रत्‍यारोपण कर रहा है, वहीं आंतों के प्रत्‍यारोपण को लेकर अब तक कोई सफलता नहीं मिली थी.  

स्‍पेन की यह घटना इस लिहाज से ऐतिहासिक और महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि अब शरीर के बाकी अनिवार्य अंगों की तरह आंतों को भी ट्रांसप्‍लांट किया जा सकेगा और आंतों से जुड़ी बीमारियां जानलेवा नहीं रह जाएंगी. अपना शरीर डोनेट कर रहे लोगों के शरीर का एक और अंग अब दूसरे लोगों की जान बचाने का काम करेगा.


Edited by Manisha Pandey