59 फीसदी नौकरीपेशा औरतें भी अपने फायनेंशियल फैसले खुद नहीं लेतीं : सर्वे
सर्वे के मुताबिक 89 फीसदी शादीशुदा महिलाएं अपने आर्थिक फैसलों के लिए पूरी तरह पति पर निर्भर हैं.
आंकड़ों को देखें तो पाएंगे पिछले दो दशकों में नौकरियों में स्त्रियों की हिस्सेदारी का ग्राफ बहुत तेजी के साथ बढ़ा है. अब बड़ी संख्या में महिलाएं घरों से निकलकर काम करने जा रही हैं, अपने पैसे कमा रही हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं. लेकिन इस सच का एक दूसरा पहलू ये है कि अपने पैसे कमाने के बावजूद उस पैसे से जुड़े फैसले महिलाएं खुद नहीं ले रहीं.
हाल ही में भारत में हुई एक स्टडी कह रही है कि 59 फीसदी महिलाएं अपने फायनेंशियल फैसले खुद नहीं लेतीं. टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस (Tata AIA Life Insurance) के एक सर्वे में यह बात सामने आई है. Tata AIA ने यह जानने के लिए यह स्टडी की कि महिलाएं अपने पैसों को बचाने, संभालने और इंवेस्ट करने आदि विषयों को लेकर कितनी जागरूक हैं. स्टडी का नाम है- फायनेंशियल अवेअरनेस अमंग विमेन (Financial Awareness Among Women.)
इस स्टडी में शामिल हुई 59 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वे स्वतंत्र रूप से अपने पैसों को खर्च करने और उन्हें निवेश करने से जुड़े फैसले नहीं लेतीं. 44 फीसदी महिलाओं ने कहा कि यदि मौका मिले तो वे अपने फायनेंशियल निर्णय खुद लेना चाहेंगी.
इस सर्वे से जो महत्वपूर्ण बातें सामने निकलकर आई हैं, वे हमारे समाज, पितृसत्ता और शादी की संस्था के बुनियादी चरित्र को उजागर करने वाली हैं. ये कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं-
1- 89 फीसदी शादीशुदा महिलाएं अपने फायनेंशियल निर्णय खुद नहीं लेतीं. इसके लिए वे अपने पति पर निर्भर हैं. शादी से पहले ये सारे फैसले उनके पिता लेते थे और शादी के बाद पिता की जगह पति ने ले ली.
2- सर्वे में शामिल 39 फीसदी औरतों ने कहा कि उनकी फायनेंशियल प्लानिंग सिर्फ घर का बजट बनाने तक सीमित है.
3- 42 फीसदी औरतों को फायनेंशियल प्लानिंग की ठीकठाक समझ है लेकिन फिर भी वे अपने फायनेंशियल फैसले खुद नहीं लेतीं.
4- फायनेंस समझने वाली 42 फीसदी महिलाओं में से सिर्फ 12 फीसदी महिलाएं होममेकर हैं.
5- पैसे कमाने के बावजूद पैसों से जुड़े अपने फैसले न लेने वाली महिलाओं का अनुपात टिअर 3 शहरों में सबसे ज्यादा है, जहां 65 फीसदी महिलाएं अपने आर्थिक फैसले खुद नहीं लेतीं.
6- 62 फीसदी महिलाएं सिर्फ FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) में पैसे इंवेस्ट करने को वरीयता देती हैं क्योंकि उन्हें वह सबसे सुरक्षित विकल्प लगता है.
7- 72 फीसदी महिलाओं का मानना है कि लाइफ इंश्योरेंस सेविंग और इंवेस्टमेंट का सबसे जरूरी हिस्सा है और खासतौर पर कोविड पैनडेमिक के बाद यह बहुत जरूरी है.
8- 75 फीसदी महिलाओं का कहना है कि निवेश के मामले में भरोसा सबसे बड़ी चीज है. मौका मिलने पर वो उसी कंपनी में निवेश करना चाहेंगी, जिस पर भरोसा हो.
इस सर्वे में महानगरों के अलावा टिअर 2 और 3 शहरों को मिलाकर कुल 18 शहरों की 25 से लेकर 55 आयु वर्ष की एक हजार महिलाओं ने बात की गई. सर्वे के नतीजे इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पैसों को लेकर आज भी बहुसंख्यक आत्मनिर्भर महिलाएं भी आत्मनिर्भर नहीं हो पाई हैं. परिवार आज भी उनके लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है और फायनेंशियल प्लानिंग के मामले में वे पूरी तरह अपने पति पर निर्भर हैं. ऐसी महिलाओं का प्रतिशत छोटे शहरों में सबसे ज्यादा है.
एक के बाद एक आए दिन आने वाले ये सर्वे इशारा कर रहे हैं कि जेंडर बराबरी का लक्ष्य अभी भी दूर की कौड़ी है. यदि पैसे कमाने के बावजूद महिलाएं उसे खर्च करने और निवेश करने से जुड़े फैसले खुद नहीं ले सकतीं तो उन्हें सचमुच की बराबरी हासिल करने में अभी बहुत लंबा सफर तय करना है.
Edited by Manisha Pandey